Yaariyan 2 Review: भाई-बहन की बॉन्डिंग दिखाती फैमिली फिल्म है दिव्या खोसला कुमार की यारियां 2, खराब प्रमोशन स्ट्रैटजी का हुई शिकार
दिव्या खोसला कुमार के डायरेक्शन बनी यारियां का अब सीक्वल आ गया है। फिल्म यारियां 2 में दिव्या खोसला कुमार इस बार अभिनय करती हुई नजर आ रही हैं। फिल्म अच्छी बनी है, देखने से पहले पढ़ें रिव्यू...
कास्ट एंड क्रू
कहानी- भाई बहन का प्यार अनूठा प्यार होता है, इनकी दोस्ती भी सबसे ज्यादा प्यार और अनोखी होती है। फिल्म दिव्या खोसला कुमार की यारियां 2 भी इसी प्यार रिश्ते को बताती है। कहानी तीन कजन भाई बहनों की है। इसमें शिखर रंधावा (मिजान जाफरी), लाडली छिब्बड़ (दिव्या खोसला कुमार) और बजरंग दास खत्री (पर्ल वी. पुरी) है। यह तीनों अपने जीवन में अलग अलग समस्याओं से जूझ रही होते हैं। इसमें लाडली की अभय सिंह कटयाल (यशदास गुप्ता) के साथ शादी होती है। इस शादी में भी दोनों अलग अलग तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं। रिश्ता भी कुछ खास ठीक नहीं चल रहा है। बजरंग टूटा दिल आशिक है, उसका ब्रेकअप हो गया है। वह एक साधारण सी नौकरी कर रहा है। शिखर बाइकर है, रेसिंग उसका जुनून है। हालांकि उसे किसी प्रकार से इस रेसिंग से बैन कर दिया है। सबसे खास इसमें यह है कि तीनों परेशान हैं लेकिन दोस्ती वैसे ही बरकरार है। कहानी में वह फिर साथ आते हैं। इस बार वह तीनों एक दूसरे की समस्याओं का हल करना चाहते हैं। क्या वह इस प्रयास में सफल हो जाएंगे? उनकी बॉन्डिंग में वापस मजबूती कैसे मिलती है? कैसे भाई-बहन के बीच वापस विश्वास गहराता है? इनके जवाब फिल्म देखने पर ही मिलेंगे।
एक्टिंग- फिल्म में दिव्या खोसला कुमार का अभिनय काफी सराहनीय है। फिल्म भी उन्हीं के कंधों पर टिकी हुई है। मीजान जाफरी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। उनका काम फिल्म में जबरदस्त है। यारियां से यशदास गुप्ता ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया है। उन्होंने अपने अभिनय को दिखाने की भरपूर कोशिश की है। हालांकि यहां वह सफल नहीं हो पाए हैं। यही हाल पर्ल वी पुरी का भी, वह अपने किरदार के साथ ज्यादा न्याय नहीं कर पाए हैं। वहीं, भाग्यश्री बोरसे का काम फिल्म में शानदार है। फिल्म में उनके अभिनय ने मजबूती प्रदान की है। हालांकि फिल्म में उनका स्क्रीन प्रजेंस काफी कम है, फिर भी उन्होंने अपने हिस्सा का काम बखूबी निभाया है।
राइटिंग और डायरेक्शन- यारियां 2 मलयालम फिल्म बैंगलोर डेज की हिंदी रीमेक है। फिल्म 8 करोड़ के बजट में बनी और करीब 45 करोड़ की कमाई की थी। राधिका राव और विनय सप्रू इसे हिंदी में लेकर आए हैं। इस फिल्म को मुहम्मद आसिफ अली ने लिखा है। वहीं, राधिका और विनय ने इसका सक्रीनप्ले लिखा है। यहां दोनों की जोड़ी कुछ कमाल नहीं दिखा पाई है। फिल्म का स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर और बिखरा हुआ है। डायरेक्शन की बात करें तो यहां भी वह कुछ खास कमाल नहीं कर पाए हैं। दोनों ने अपनी फिल्म में खूब प्रॉप्स और डिजाइन के हिसाब से काफी हैवी किया है। ऐसे में डायरेक्शन पर ध्यान नहीं रख पाए हैं।
म्यूजिक- फिल्म में म्यूजिक मनन भारद्वाज, खालिफ, राहिम शाह और हनी सिंह का है। सबने अपने हिस्से का काम अच्छी तरीके से परोसने की कोशिश की है। अरिजीत और जुबिन की आवाज में गाए हुए गाने लंबे समय तक जीवित रहने वाले हैं। वहीं, फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर जैम8 ने दिया है। इनका काम भी ठीक है।
कनक्लूजन- कुछ खामियों को नजर अंदाज करें तो फिल्म अच्छी बनी है। भाई बहन के बॉन्डिग को जिस तरह से दिखाया गया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। फिल्म की प्रमोशन स्टैटजी ने इसे कमजोर बनाया है। इस फिल्म को फैमिली फिल्म कहना भी बुरा नहीं है। बाकी फिल्म अच्छी बन गई है, इसे सिनेमाघरों में जाकर देखा जा सकता है।
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आर्टिकल की समाप्ति
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