Fighter Movie Review: सिद्धार्थ आनंद ने पकड़ी दर्शकों की नब्ज, दीपिका की दमक और ऋतिक के एक्शन सीक्वेंस से दमकी फाइटर
Fighter Movie Review.
कास्ट एंड क्रू
फिल्म मेकर सिद्धार्थ आनंद दर्शकों की रग को भांप चुके हैं। पिछले साल 25 जनवरी को आई उनकी पठान देश भक्ति से लबरेज फिल्म थी। अब 25 जनवरी 2024 में वह फाइटर लेकर आए हैं। यह भी उसी पृष्ठभूमि से प्रेरित है। इसमें एरियल एक्शन हैं और जबरदस्त फाइट सीक्वेंस हैं। पठान उनके करियर की जितनी ही हल्की थी, फाइटर उससे एक कदम आगे निकल गई है। यह भी सच है कि वतन से प्यारा कोई महबूब नहीं होता।
धोखे का मतलब बदला
14 फरवरी को जब पूरी दुनिया वेलेंटाइन सेलिब्रेट कर रही थी तब भारत की घाटी में एक बड़ा धमाका हुआ। बात साल 2019 की है, कश्मीर में जब आतंकवादी गतिविधि बढ़ने लगी तब सीआरपीएफ की एक पूरी बटालियन को वहां भेजा जा रहा था। तभी सीआरपीएफ के काफिले में एक आत्मघाती हमला हुआ, इसमें सैकड़ों जाबांज जवान शहीद हो गए और कुछ गंभीर रूप से घायल हुए। इस हमले की जानकारी सेना को नहीं थी। इस हमले का सेना ने जवाब देना का फैसला किया। उरी सर्जकिल स्ट्राइक के बाद, इस बार इसकी जवाबदारी वायुसेना को दी गई। इस टीम में शमशेर, रॉकी, मिनी, बैश और ताज को लेकर एक स्पेशल टीम बनाई गई। इनका प्लान था कि आतंकवादियों को उनके घर में घुस कर मारना। ऐसे में एक मिशन कामयाब होने के बाद पाकिस्तान ने वापस हमला किया। कहानी यहां आती है कि जवाबी हमले में भारत के दो फाइटर उनकी कैद में आ जाते हैं। यहां शमशेर की गलती मानी जाती है और उन्हें एयरफोर्स के ट्रेनिंग सेंटर हैदराबाद भेज दिया जाता है। संधि के बाद पाकिस्तान ने दोनों फाइटर को भेजने का फैसला किया, लेकिन उन्होंने एक फाइटर को मार दिया। इस कहानी के पीछे शमशेर और मिनी की एक पर्सनल परेशानी भी है। शमशेर की मंगेतर भी दुश्मनों के ट्रैप में फंसकर शहीद हो जाती है। शमशेर उसका बोझ लेकर भी चलता है। दूसरी तरफ मिनी को उसके घरवालों ने शहीद मान लिया है, क्योंकि उनकी मर्जी के खिलाफ बेटी ने एयरफोर्स चुनी है। अब कहानी का दिलचस्प मोड़ है मिशन में जाने से पहले मिनी के घरवालों का एयरबेस पहुंचना और शमशेर का कमांड सेंटर पर रहना। फाइटर की कहानी इसी के साथ ही आगे बढ़ती है।
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ऋतिक पर भारी दीपिका पादुकोण
फिल्म में शमशेर का किरदार ऋतिक रोशन ने निभाया है। वह अपनी फिजिक और इमोशन से थोड़ा फिल्म को आगे बढ़ाते हैं। एक्शन सीक्वेंस में वह चमक उठते हैं। फिल्म के फाइट सीक्वेंस में उन्होने अपनी प्रजेंस दिखाई है। स्क्वार्डन लीडर पैटी के रोल में उन्होंने ठीक काम किया है। उनका किरदार एग्रेसिव और ईगो से भरा हुआ है। मिनी के किरदार में दीपिका ने फिल्म को अपनी एक्टिंग से दमका दिया है। उनका काम बेहद सधा हुआ है। उन्हें यहां देख ऐसा लगता है कि यह रोल उनके लिए ही बना है। इमोशनल सीन में उन्होंने अपने अभिनय के सारे जादू दिखा दिए हैं। पिता-पुत्री वाले दृश्य में वह अपने साथ दर्शकों को भी उस सिचुएशन में ले जाती हैं। यह उनके अभिनय की खासियत है। रॉकी के रोल में अनिल कपूर ने अपने उम्र का अनुभव दिखाया है। उनका काम यहां काफी अच्छा है। बैश बने अक्षय ओबरॉय ने अपना काम और किरदार बड़े ही संजीदगी से निभाया है। उनका किरदार भी याद रहता है। फिल्म में ताज के किरदार में करण सिंह ग्रोवर ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों को सरप्राइज किया है। उनका जांबाज जवान का किरदार हो या फिर डायलॉग डिलेवरी दोनों ही अच्छी है। कैमियों रोल की बात करें तो आशुतोष राणा ने अपने 10 मिनट के स्क्रीन स्पेस में दमदार मौजदूगी दर्ज करवाई है। वहीं, शारिब हाशमी का भी काम अच्छा है।
देशभक्ति से लबरेज कहानी में दमदार डायलॉग नहीं
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फिल्म फाइटर की कहानी रमन छिब और सिद्धार्थ आनंद की है। इसमें उन्होंने देशभक्ति और एक्शन जॉनर की फिल्म के हिसाब से ठीक लिखा है। स्क्रीनप्ले रोमन छिब है, जो थोड़ा कमजोर है। इसमें वह दम नहीं है कि दर्शक अपनी कुर्सी पर बैठ एकटक स्क्रीन पर देखता रहा। वहीं, डायलॉग की बात करें तो इसे अब्बास दलाल और हुसैन दलाल ने लिखे हैं। दोनों का ही काम हल्का समझ आता है। 166 मिनट की फिल्म में ऐसा कोई भी डायलॉग नहीं है जिसे दर्शक अपने जेहन में रखकर सिनेमाघरों से बाहर ले जा सके।अब्बास और हुसैन अपनी लेखनी से दमदार लाइन्स नहीं दे पाते हैं।
डायरेक्शन को मिला फिल्म के फाइट सीक्वेंस का साथ
फिल्म फाइटर को सिद्धार्थ आनंद ने डायरेक्ट किया है, इसमें उन्होंने बहुत कुछ हैरतंगेज नहीं किया है। बस इस बार उन्होने पठान से थोड़ा ऊपर उठकर अपनी देशभक्ति को पर्दे पर दिखाया है। सिद्धार्थ ने अपनी इस फिल्म का प्रोडक्शन डिजाइन बेहद सधा हुआ रखा है। जो डायरेक्शन को मजबूती देता है। वहीं, फिल्म का एक्शन भी अच्छा है। सबसे आकर्षक क्लाइमैक्स वाला फाइट सीन है। जो परवेज शेख ने बड़े ही खूबसूरत तरीके डिजाइन किया है।
विशाल-शेखर और बल्हारा ब्रदर्स म्यूजिक अच्छा
फिल्म के गानों को विशाल और शेखर ने कंपोज किया है। उनका द्वारा कंपोज किया हुआ वंदे मातरम गाना सिनेमाघरों में सुन इमोशनल करने करता है। यह उनकी कामयाबी है। वहीं, संचित बल्हारा और अंकित बल्हारा ने फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक को कंपोज किया है। इससे उन्होंने फिल्म के एक्शन और इमोशनल सीक्वेंस में चार चांद लगाए हैं।
एक्शन रसिकों को मिलेगा देशभक्ति का रस
फिल्म फाइटर 166 मिनट की है, इसमें मेकर्स ने सारा मसाला डाला है। फिल्म में एक्शन, इमोशन और थोड़ा थ्रिल भी है। जो फाइटर को अच्छी फिल्म की कैटेगरी में शामिल कराता है। ऐसे में आपको सिनेमाघरों में वह सब मिलेगा, जो एक दर्शक एंटरटेनमेंट के लिए सिनेमाघर जाता है।
अंत में...
ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई, मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हैं कई, मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
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आर्टिकल की समाप्ति
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