Hamare Baarah Movie Review: अधर्म नहीं नारी सश्क्तिकरण को बढ़ावा देती है फिल्म! जानिए कैसी है मूवी?

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Hamare Baarah Movie Review in Hindi: किसी मज़हब का इस्तेमाल औरत की इजाजत के बगैर बार बार बच्चा पैदा करने के लिए किया जाए तो उस समाज के लिए उससे अफ़सोसजनक और क्या हो सकता है भला? मगर यह आज का चलन नहीं है बल्कि यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और 21वीं सदी में भी इस परंपरा को को जीवित रखने की तमाम कोशिशें हो रही हैं. ऐसी ही नापाक कोशिशों पर कुठराघात करने के लिए बनाई गई है फ़िल्म 'हमारे बारह' जो इस शुक्रवार को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज कर दी गई है।
राजन अग्रवाल की कहानी व पटकथा पर आधारित 'हमारे बारह' के संवाद भी बेहद मारक हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं। कमल चंद्रा के निर्देशन में बनी यह फ़िल्म कुछ इस अंदाज में बनाई गई है कि यह फ़िल्म दर्शकों के दिलो-दिमाग पर गहरा असर छोड़ सके। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डायरेक्टर कमल चंद्रा अपने मकसद में पूरी तरह से कामयाब साबित होते हैं। उन्होंने एक ऐसी फिल्म को सशक्त रूप में पेश किया है जिसकी चर्चा लम्बे समय तक होती रहेगी।
महज़ब के नाम पर कैसे एक उम्रदराज़ शौहर मंज़ूर अली ख़ान संजरी (अन्नू कपूर) अपनी ही बीवियों के शरीर को अपनी जागीर समझकर उन्हें बच्चे पर बच्चे पैदा करने पर मजबूर करता है, इसे बड़े ही दिल दहलाने वाले तरीके से निर्देशक कमल चंद्रा ने पेश किया है. आबादी बढ़ाने के लिए मज़हब के इस्तेमाल पर यह फ़िल्म ऐसे ऐसे सवाल उठाती है कि आपको इस फ़िल्म के मेकर्स की हिम्मत पर हैरानगी होगी कि आख़िर उन्होंने इतने बोल्ड विषय पर फ़िल्म कैसे बना ली?
फ़िल्म के सबसे अहम किरदार होने के नाते पूरी फ़िल्म का दारोमदार अन्नू कपूर के कंधों पर टिका है. वे इस फ़िल्म में अपने अभिनय का ऐसा जादू दिखाते हैं कि आप उनके किरदार से तो नफ़रत करेंगे मगर एक बार फ़िर से उनकी उम्दा एक्टिंग के मुरीद हो जाएंगे. मंज़ूर अली ख़ान संजरी के रोल को जिस शिद्दत के साथ उन्होंने अपनी दकियानूसी सोच को बड़े पर्दे पर पेश किया है, वो तारीफ़ के क़ाबिल है।
फ़िल्म 'हमारे बारह की ख़ासियत है कि जिस भी कलाकार‌ को फ़िल्म‌ में लिया गया है, बड़े ही सोच-समझ कर लिया गया है. ऐसे में अलग अलग किरदारों में पार्थ समथान, मनोज जोशी, अश्विनी कलसेकर, अभिमन्यु सिंह, पारितोष त्रिपाठी, अदिति भातपेहरी, अंकिता द्विवेदी, अदिति धीमान, शगुन मिश्रा आदि सभी अपने अपने रोल के साथ पूरी तरह से इंसाफ़ करते हुए नज़र आते हैं.
लब्बोलुआब यह है कि 'हमारे बारह' हर लिहाज़ से एक बेहतरीन फ़िल्म है जो महज़ब से उपजे दकियानूसी रिवाज़ों और आबादी बढ़ाने की होड़ को पीछे छोड़ एक आधुनिक समाज के निर्माण में योगदान देने की पुरज़ोर वकालत करती है.‌ इस‌ फ़िल्म को‌ एक बार सिनेमाघर के बड़े पर्दे पर‌ ज़रूर देखा‌‌ जाना चाहिए।
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आर्टिकल की समाप्ति

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