​Amar Singh Chamkila Review

क्रिटिक्स रेटिंग

4

Jul 2, 2021

Chamkila Review: दिलजीत दोसांझ ने अभिनय से चमकीला को किया अमर, फिल्म में दिखा इम्तियाज अली का G.O.A.T वाला डायरेक्शन

डर.....। दो अक्षरों से मिलकर बना यह शब्द बेहद ताकतवर होता है। इस शब्द से कुछ अपनी धाक जमाना चाहते हैं। कुछ ताकतवर लोग इसे अपनी बपौती समझते हैं, कमजोर और दबे कुचले लोगों के अंदर दहशत भरकर इस शब्द को स्थापित करते हैं। इससे वह अपना काम करवाने की कोशिश करते हैं। कबतक...एक दिन तो यह खत्म होगा। क्योंकि जब इंसान के अंदर से डर खत्म होता है तो वह फिर सबसे खतरनाक इंसान बन जाता है। ऐसा ही कुछ 80 के दशक के पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला के साथ हुआ। 27 साल की उम्र में जिसने सबकुछ देखा और मारा गया। नैरेटिव बस आज के ही समय में नहीं बनाया जाता, उस समय भी सेट किया जाता था। क्योंकि चमकीला एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन से बड़ा बन गया था और उसकी चमक खटकने भी लगी थी।
गलती से बना चमकीला
जिस वजह से चमका वो, उस वजह से टपका. चमकीला, सेक्सिका, ठरकीला, वो गंदा बंदा। यह चमकीला में लाइन लिखी गई है। एक लड़का है जो महिलाओं के महफिल में बैठा हुआ है। वह महिलाएं गाना गा रही हैं, उसमें एक शब्द खड़ा बार बार आता है। वह अपनी मां से पूछता है कि खड़ा का मतलब क्या है। मां थप्पड़ मारकर शांत करा देती है। चमकीले के जहन में यह बात बैठ जाता है। वह बड़ा होकर ऐसे ही गाने बनाना शुरू कर देता है। हालांकि चमकीला को मंच पर गाने का मौका एक घटना के जरिए मिलता है। जुराबें बनाने के काम से अमर निकलना चाहता था, वह उस जमाने के मशहूर गायक (सुरिंदर शिंदा) के यहां नौकरी के चला जाता है। एक दिन जब गायक लेट पहुंचे तो आयोजकों ने अमर को मंच पर गाने के लिए मौका दिया और वहां उसे नाम मिला चमकीला। चमकीला ने गाया भी ऐसा कि पब्लिक झूम उठी यहां से चमकीला की किस्मत पलटी और वह देखते ही देखते सितारा बन गया। उसके रिकॉर्ड हिट होने लगे और वह सबकी आंखों में भी चढ़ने लगा। अमर सिंह कौन था? वह चमकीला कैसे बना? किसने उसे नाम दिया? यह सब फिल्म में देखने पर पता चलेगा।
दिलजीत ने चमकीला को किया अमर
फिल्म में दिलजीत दोसांझ अमर सिंह चमकीला का किरदार निभाया है। जिसके नाम में ही चमक थी, उसे दिलजीत ने और चमका, दमका और महका दिया है। दिलजीत ने फिल्म में कालजयी अभिनय किया है। चमकीला के एक दृश्य में वह अपनी जाति बताता है। यहीं वह अपने हुनर से पैदा हुए आत्मविश्वास में कहता है कि मैं कर लूंगा। यहां दिलजीत की आंखें बोलती हैं। इसके अलावा वह एक पत्रकार से इंटरव्यू में कहते हैं कि ‘सच और गलत में फर्क करने की हर किसी की औकात नहीं होती’यहां भी वह अपने अभिनय का दंभ भरते हैं। इसके अलावा परिणीति चोपड़ा ने भी ठीक काम किया है। हालांकि कुछ जगह ऐसा लगता है कि वह बस डायलॉग बोल रही हैं। वहीं, दिलजीत के साथ मंच में गाने वाले सीन में वह जबरदस्त साथ देती हुई दिखाई पड़ती हैं। अंजुम बत्रा ने भी जबरदस्त काम किया है। सपोर्टिंग कास्ट ने भी अपने हिस्से का काम शानदार किया है।
लेखक और निर्देशक इम्तियाज
फिल्म को इम्तियाज अली और साजिद अली ने लिखा है। दोनों ने चमकीला की बायोपिक को ऐसे लिखा है कि आपको वह स्क्रीन से नजर नहीं हटाने देंगे। फिल्म के सवांद भी ऐसे लिखे हैं कि आपको वर्षों तक याद रहेंगे। निर्देशन की बात करें तो इस बार इम्तियाज का पूरा अलग रूप देखने को मिला है। यह उनकी मास्टरपीस है। चमकीला को लोग बहुत अलग अलग तरीके से जानते हैं, लेकिन इम्यिताज ने उस तरीके पेश किया है जैसा वह चाह रहे थे। शुरुआत से लेकर वह अंत तक बांधे रखते हैं। उन्होंने फिल्म में उन सभी पहलुओं को दिखाया है, जो समाज में अभी होता आ रहा है। चाहे महिलाओं की अकेले में लगने वाली महफिल हो या फिर पत्रकारों द्वारा सेट किए जा रहे नैरेटिव। सभी को इम्तियाज ने प्रमुखता से दिखाया है। यही उनकी खासियत है और उन्हें बाकी फिल्मकारों से बेहद अलग भी बनाती है।
इम्तियाज ने कैनवास पर भरे सारे रंग
इस फिल्म में वह सबकुछ है जो इम्तियाज के दर्शक उनके सिनेमा में देखना चाहते हैं। बेहद सधी हुई स्क्रिप्ट के साथ सधा हुआ डायरेक्शन भी है। इरशाद कामिल और ए आर रहमान का म्यूजिक भी शानदार है। इम्तियाज ने इस फिल्म में वह सब भरा है, जो उनके दर्शक देखना चाहते हैं। इस 2 घंटे 26 मिनट की फिल्म को देखने के बाद आपको बिल्कुल भी हताशा नहीं होगी।
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