Dry Day Review.
jitendra kumar,shriya pilgaonkar
क्रिटिक्स रेटिंग
3
Jul 2, 2021
कास्ट एंड क्रू
jitendra kumar
shriya pilgaonkar
Dry Day Review: सौरभ शुक्ला ने शराब दुष्परिणाम दिखा की बंदी की मांग, सोशल सटायर कहानी में दिखा भटकाव
सिगरेट, शराब और तंबाकू यह ऐसी चीजें हैं जिन पर चेतावनी के बाद भी इंसान खरीद कर सेवन करता है। इसके पीछे कई घर बर्बाद हो जाते हैं। कुछ इसकी लत का शिकार हो जाते हैं और फिर अपने ही घर की चीजें को बेच कर नशा करते हैं। नशा सिर्फ स्वास्थ के लिए ही नहीं बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है।
बीबी, बच्चा और शराब...
जगोधर नाम की जगह है, सभी यहां पर खुश और हंसी खुशी से रहते हैं। एक गन्नू हैं जो सांसद जी के छुटभैया नेता हैं। सांसद जी जो कहते हैं वह फटाक से कर देते हैं। समाज में ऐसे लोगों को गुंडे की उपाधि से नवाजा है। गन्नू जगोधर में अपने भरे पूरे परिवार के साथ रहता है। उसकी शादी भी हो गई है। निर्मला जो एक मास्टर की बेटी है और उसे गन्नू से प्यार हो जाता है। शादी करने की प्लानिंग करती है, पिता मना करते हैं। पर प्यार कहां रुकने वाला है, शादी हो जाती है। निर्मला कई बार समझाती है कि गन्नू शराब मत पियो कुछ काम करो और जीवन में आगे बढ़ो। गन्नू को शराब की लत लगी है, वह चाह कर नहीं छोड़ पाता। कहानी आगे बढ़ती है एक दिन नशे में चूर गन्नू को पता चलता है कि पत्नी पेट से है। अब यहां गन्नू थोड़ा सीरियस होता है, क्योंकि निर्मला कहती है बच्चे को मैं गिरा दूंगी। क्योंकि उसका बाप कुछ नहीं करता, लोग कहेंगे आवारा का बेटा जा रहा है। यहां गन्नू सांसद जी के पास पहुंचता है और कहता है मैं बाप बनने वाला हूं और मुझे कॉर्पोरेटर बनना है। अगर नहीं बना तो निर्मला मेरे बच्चे को गिरा देगी। यह सुनकर सांसद जी आशिर्वाद में कॉर्पोरेटर का प्रत्याशी बनवा देते हैं। खैर कहानी इतनी आसान नहीं है, यहीं से कहानी में ट्विस्ट आते हैं। यहां कहानी थोड़ा गंभीर मुद्रा में आकार लेने लगती है।
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श्रिया का काम अच्छा, जितेंद्र कुमार ने पकड़ी बोली
गन्नू के रोल में जितेंद्र कुमार हैं, कई दिनों बाद वह स्क्रीन पर आए हैं। यहां पर उनका काम अच्छा है। बुंदेलखंडी लहजे को भी उन्होंने बहुत गहराई से पकड़ा है। अभिनय भी उनका अच्छा है। श्रिया पिंगलावकर ने निर्मला का किरदार निभाया है, इसमें उन्होंने अपनी नई अदाकारी पेश की है। श्रिया हर बार अपने किरदार में कुछ नयापन करती हैं, इस बार भी वैसा ही हुआ है। एक पत्नी चाहे तो क्या करवा सकती है, इसको उन्होंने किरादर के माध्यम से बताया है। सांसद दाऊ जी के किरदार में अन्नू कपूर हैं, राजनीति के पुराने खिलाड़ी के रोल को उन्होंने अपने अभिनय के अनुभव से निभाया है। अन्नू कपूर की भाषा एकदम क्लिष्ट है, बुंदेलखंडी लहजे में उन्होंने कमाल किया है। इसके अलावा फिल्म की बाकी सपोर्टिंग कास्ट का काम देखने लायक है। सपोर्टिंग कास्ट में ऐसा कोई बड़ा नाम नहीं है, इसके बाद भी कलाकारों ने अपने अभिनय से छाप छोड़ी है।
ढीली दिखी पठकथा
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फिल्म ड्राई डे को सौरभ शुक्ला ने लिखा और डायरेक्ट किया है। फिल्म के माध्यम से उन्होंने शराबबंदी जैसे मुद्दे को उठाया है। इसमें उन्होंने अपनी कहानी से यह भी दिखाया है कि आजकल यह कितनी अंदरुनी तरीके से समाज को खोखला कर दिया है। सौरभ की राइटिंग कमाल की है, दृश्यों में उनके ठेठ और देसीपन नजर आता है। हालांकि कहानी में कहीं-कहीं भटकाव भी नजर आता है। डायरेक्शन के लिहाज से भी सौरभ का काम शानदार है और कसा हुआ है।
ड्राई डे की मांग उठी
शराब से सरकार को टैक्स आता है और राजस्व बढ़ता है। इसकी वजह से कई राज्यों में लगातार मांग के बाद भी इसे बैन नहीं किया जा रहा है। शराब से कितने घर परिवार बिखरते हैं, ड्राई डे में दिखाया गया है। इसके खिलाफ कैसे खड़ें हों ड्राई डे में यह दिखाया गया है। इसे आप अपने परिवार के साथ देख सकते हैं। ड्राई डे हल्की फुल्की कॉमेडी के साथ एक मजबूत संदेश देती है।
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