Kannagi Movie Review: महिला सशक्तिकरण को दिखाने में नाकाम रही यह फिल्म, हर सीन ने किया दर्शकों को निराश
Kannagi Movie Review: कन्नगी फिल्म सामाजिक चुनौतियों का सामना करने वाली चार महिलाओं के जीवन को उजागर करती है। हालांकि दर्शकों को फिल्म से काफी उम्मीदें थी। लेकिन फिल्म बेहतर प्रदर्शन करने में नाकाम रह गई है।

Kannagi Movie Review
कन्नगी के बारे में
कन्नगी फिल्म को दर्शकों को बीच उत्साह तभी बढ़ गया था, जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ था। फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों से सकारात्मक रिव्यू मिले थे। यह फिल्म सामाजिक चुनौतियों का सामना करने वाली चार महिलाओं के जीवन को उजागर करती है।कथानक का अनावरण
यह फिल्म जीवन के विभिन्न चरणों में पुरुषों या समाज के उत्पीड़न से जूझ रही चार महिलाओं के संघर्षों को सामने लाती है। फिल्म के ट्रेलर ने संभावित रूप से सशक्त कहानी का संकेत दिया, जिससे सिनेमा प्रेमी को उम्मीद बढ़ गई थी की फिल्म बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। लेकिन फिल्म रिलीज के साथ ही दर्शकों में निराश की लहर दौड़ गई। कन्नगी फिल्म अपने उद्देश्य को जनता तक ठीक ढंग से नहीं पहुंचा पाई।फोकस पात्र
कलई, एक युवा महिला जो 20 साल की उम्र की है, अपनी रूढ़िवादी मां के सुझाव के कारण अपने लिए सफल प्रेमी से मिल रही है, जबकि अपने खुले विचारों वाले पिता के समर्थन में वह अपना प्यार ढूंढ रही हैं।नेथरा, तलाक के मामले में फंसी हुई हैं। वह अपने पति और ससुराल वालों से बांझपन के आरोपों का सामना कर रही है। फिल्म में धीरे-धीरे अदालत की सुनवाई के दौरान विवाह की पवित्रता मसे उसका विश्वास उठ जाता है।
नाधि, एक मुखर और मिलनसार महिला, जो विवाह की पारंपरिक धारणा को खारिज करती है, साथी की तलाश करती है और नारीवाद की भावना को अपनाती है।
गीता, एक निर्देशक के साथ रिश्ते में बंधी गीता, गर्भपात कराने के निर्णय से जूझ रही है।
जीवन को परिवर्तित करना
कन्नगी इन चार महिलाओं के जीवन का पता लगाती है, यह खोजती है कि क्या उनके विविध रास्ते को मुकाम मिलेगा? क्या वह कभी भी किसी भी बिंदु पर मिलते हैं। कहानी दर्शकों के लिए जिज्ञासा का तत्व जोड़ती है।निदेशक का दृष्टिकोण और उसकी कमियाँ
एक सशक्त नारीवादी फिल्म तैयार करने का निर्देशक यशवंत किशोर के महत्वाकांक्षी प्रयास की सराहना करना जरूरी है। हालाँकि, फिल्म का कार्य लड़खड़ा हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप कहानी उलझी हुई लगती है।फिल्म में स्पष्टता की कमी
फिल्म स्पष्टता की कमी से जूझती है, प्रगतिशील विषयों और कहानी कहने की विसंगतियों के बीच झूलती रहती है। तलाक और महिलाओं के अधिकारों जैसे गहन विषयों से निपटने का प्रयास करते हुए, 'कन्नगी' इन विषयों की सुसंगत खोज प्रदान करने में विफल रहती है।तकनीकी खामियाँ
फिल्म कन्नगी में तकनीकी खामियां भी बहुत है। जिसमें फिल्म की भाषा और कैमरा कार्य में विसंगतियां नजर आती है।प्रदर्शन मूल्यांकन
फिल्म में अम्मू अभिरामी और विद्या प्रदीप ने अच्छा प्रदर्शन किया है, शालीन ज़ोया का चित्रण कुछ खास नहीं है। मौनिका का किरदार अति-उत्साही लगता है, किसी टेलीविजन धारावाहिक की याद दिलाता है। कीर्ति पांडियन, सीमित संवाद के बावजूद, सराहनीय प्रदर्शन के साथ सामने आती हैं।अंत में, कन्नगी एक सशक्त कथा प्रस्तुत करने से चूक गई है। अपने आशाजनक ट्रेलर और निर्देशक के साहसिक इरादों के बावजूद, फिल्म लड़खड़ाती नजर आ रही है। फिल्म ने जिस तरह का वाद किया वैसा प्रदर्शन नहीं किया है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | मूवी रिव्यू (entertainment News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
आर्टिकल की समाप्ति
संबंधित खबरें





The Bhootnii: संजय दत्त संग काम करने पर मौनी रॉय ने कहा, 'उनसे हमें काफी कुछ सीखने में...'

Ramayana: साई पल्लवी से पहले ये हसीना बनने वाली थी सीता, स्क्रीन टेस्ट होने के बाद रणबीर कपूर स्टारर को मारी ठोकर

दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं Bharti Singh और Haarsh Limbachiyaa !! कॉमेडियन ने कहा '2025 एकदम परफेक्ट है...'

Jaat Box Office Day 14: 80 करोड़ का आंकड़ा पार नहीं कर पाए सनी देओल, देखें आंकड़े

Ground Zero Movie Box Office Collection Prediction: 'केसरी-2' की आंधी में तिनके सी उड़ेगी इमरान हाशमी की फिल्म ग्राउंड जीरो, जानिए कितना होगा कलेक्शन
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited