Khakee The Bengal Chapter Review: बोर नहीं होने देगी नीरज पांडे की पॉलिटिकल थ्रिलर, पढ़ें ये रिव्यू

Khakee The Bengal Chapter Review: नीरज पांडे के निर्देशन में बनी वेब सीरीज 'खाकी- द बंगाल चैप्टर' में वैसे तो हर एपिसोड नए ट्विस्ट के साथ दर्शकों का उत्साह बढ़ाने में कामयाब रहता है लेकिन आप इसे देखने का मन बना रहे हैं तो ये रिव्यू जरूर पढ़ लें।

क्रिटिक्स रेटिंग

3.5
Khakee The Bengal Chapter Review

Khakee The Bengal Chapter Review

कास्ट एंड क्रू

Prosenjit Chatterjee

Saswata Chatterjee

Parambrata Chatterjee

Ritwik Bhowmik

Chitrangada Singh

Khakee The Bengal Chapter Review: कोलकाता में सेट की गई वेब सीरीज 'खाकी- द बंगाल चैप्टर' (Khakee The Bengal Chapter) में क्राइम नेक्सस को खत्म करने के पुलिस एक मुहीम चालती है। 'खाकी- द बंगाल चैप्टर' में दो ऐसे दोस्तों की कहानी को दिखाया गया है, जो कभी एक-दूसरे के लिए जान देने से पीछे नहीं हटते थे लेकिन बाद में ये दोनों एक-दूसरे की जान के प्यासे हो जाते हैं। देबात्मा मंडल और तुषार कांति रे के निर्देशन में बनी इस सीरीज को देखने के लिए समय निकालने से पहले पढ़ ले आखिर कैसी है 'खाकी- द बंगाल चैप्टर'?

क्या है 'खाकी- द बंगाल चैप्टर' की कहानी

नीरज पांडे की नई वेब सीरीज 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' की कहानी एक नेता के पोते की किडनैपिंग से शुरू होती है। इसके बाद एक आईपीएस ऑफिस सप्तऋषि सिन्हा (परमव्रत चटर्जी) को एसआईटी की जिम्मेदारी सौंप दे जाती है। सप्तऋषि को पहले से ही जानकारी होती है, वहां डॉन शंकर बरुआ उर्फ बाघा का आतंक कायम है। बाघा के दो राईट और लेफ्ट हैंड होते हैं, जिन्हें लोग जय-वीरू यानी सागोर तालुकदार (रित्विक भौमिक) और रंजीत ठाकुर (आदिल खान) के नाम से जानते हैं। ये दोनों मिलकर एक दिन सप्तऋषि सिन्हा की हत्या कर देते हैं और बाघा हमेशा ही पुलिस ऑफिसर की हत्या करने के खिलाफ था। कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है, जब ये दोनों एक दिन बाघा को फंसाकर उसकी हत्या कर सत्ता अपने हाथ में ले लेते हैं। वहीं दूसरी ओर सप्तऋषि सिन्हा की हत्या के बाद सुपरकॉप अर्जुन मैत्रा (जीत) को नियुक्त किया जाता है और उन्हें सारे क्राइम को साफ करने और सप्तऋषि सिन्हा के कातिलों को सजा दिलाने के बोला जाता है। इन सब चीजों की बागडोर सत्ताधारी पार्टी के ताकतवर नेता बरुन रॉय (प्रोसेनजीत चटर्जी) के हाथ होती है। इस कहानी को रचने वाला बरुन रॉय ही होता है।
बाघा की हत्या होने के बाद बरुन रॉय सागोर तालुकदार और रंजीत ठाकुर को बड़े-बड़े सपना दिखाने लगता है। वहीं दूसरी ओर अर्जुन मैत्रा भी इन दोनों में फूट डालने की तैयार करने लगता है। एक दिन होता है जब ये दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। अब ये दोनों अपने मकसद में कामयाब होते हैं या नहीं, सप्तऋषि सिन्हा के कातिलों को सजा मिलती है या नहीं? इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए आपको ये सीरीज देखनी पड़ेगी।

कैसा है 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' का राइटिंग और डायरेक्शन

देबात्मा मंडल और तुषार कांति रे के निर्देशन में बनकर तैयार हुई 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' के 7 एपिसोड्स हैं। इन सभी सातों एपिसोड्स में अलग-अलग ट्विस्ट देखने को मिलता है, जो लोगों के अन्दर अगले एपिसोड पर ले जाने के लिए काफी है। निर्माता नीरज पांडे, मंडल और सम्राट चक्रवर्ती द्वारा सह-लिखित इस क्राइम ड्रामा की कहानी आपको अपनी सीट से बांधे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। डायरेक्टर ने सभी एक्टर्स के स्क्रीनटाइम के साथ भी न्याय किया है। उन्होंने हर छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा है।
अगर आप सच में पॉलिटिकल थ्रिलर देखने के शौकीन है तो नीरज पांडे की 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' को आप अपनी लिस्ट में जोड़ सकते हैं। बाकी क्राइम थ्रिलर की तरह इस सीरीज में शायद ही कोई ऐसा पल होगा, जब आप बोर महसूस करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि बड़ी स्टारकास्ट होने के बाद भी सभी की परफॉर्मेंस तारीफ करने लायक है।
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आर्टिकल की समाप्ति

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