Comedian Shares Funny Review Of Lakshya-Raghav Juyal's Film Kill

क्रिटिक्स रेटिंग

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Jul 2, 2021

Kill Movie Review: एक्शन में हॉलीवुड को मात देती है मूवी, 'लक्ष्य' और 'राघव जुयाल' की एक्टिंग निकली दमदार

Kill Movie Review in Hindi: सिर पर हथौड़ा मारना, 40 डकैतों से भरी ट्रेन, बहादुर कमांडो, खून से लथपथ एसी डिब्बे, चाकू से वार, शरीर के कुचले हुए हिस्से - जब भी हम किल के बारे में सोच रहे होते हैं तो हमारा दिमाग इन फ्लैश बैक से जूझ रहा होता है। निखिल भट्ट के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक ऐसी मूवी है, जहां आधे दर्शक खूनी धमाके के कारण कांप रहे हैं, जबकि बाकी लोग तालियां बजा रहे हैं जब अमृत (लक्ष्य) एक ठग की खोपड़ी को कुचलने के लिए आग बुझाने वाले यंत्र का यूज करता है, तो लोग अपनी आंखों को बंद करने पर मजबूर हो जाते हैं।
किल का सेटअप एक नॉर्मल बॉलीवुड फिल्म की तरह एक लव स्टोरी के साथ शुरू होता है जो एक 'दुखद' मोड़ लेती है और क्रूर हिंसा में बदल जाती है। लेकिन यह सिर्फ 40 डाकुओं से मुकाबला करने वाले दो कमांडो की कहानी नहीं है। आइए फिल्म के रिव्यू पर एक नजर डालते हैं।

कहानी

लक्ष्य ने एक आर्मी कमांडो अमृत माथुर का रोल निभाया है, जो न केवल अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित है, बल्कि अपनी गर्लफ्रेंड तूलिका (तान्या मानिकतला) का दिल भी जीतना चाहता है। हालांकि, इसमें एक मोड़ है, उसे तूलिका के माता-पिता की परमीशन लेनी होगी। उनके सफर में एक अजीब सा मोड़ तब आता है जब वे एक ट्रेन में चढ़ते हैं जहां अमृत को तूलिका के साथ दोबारा मिलने उम्मीद होती है। अचानक फानी (राघव जुयाल) के डाकुओं के एक गिरोह ने ट्रेन का अपहरण कर लिया। लेकिन फानी का अपना एजेंडा है, जो मार-धाड़ को जन्म देता है। जैसे ही कार्रवाई तेज होती है और ट्रेन आगे बढ़ जाती है, अमृत और फानी अपने-अपने पागलपन में भिड़ जाते हैं। पहली नज़र में, यह एक कमांडो बनाम डाकुओं के गिरोह की सीधी-सादी कहानी लग सकती है। पिक्चर तो अभी शुरू ही हुई है। शुरुआत से ही, हर एक स्क्रीन आपको यह पूछने पर मजबूर करती है: क्या यह सारी हिंसा वास्तव में आवश्यक है? यदि नहीं, तो इन लोगों को खलनायक से बचाने के लिए कौन कदम उठाएगा?

डायरेक्शन

फिल्म देखने के बाद हमारे मन में एक विचार आया - निखिल भट्ट को पता था कि वह फिल्म के साथ क्या करना चाहते हैं। वह इधर उधर नहीं घूमते। यह निश्चित रूप से अब तक बनी सबसे क्रूर फिल्मों में से एक है, जिसमें फिल्मों में देखी जाने वाले नॉर्मल सीजीआई एक्शन के विपरीत तेज एक्शन सीन दिखाए गए हैं।
लगभग सारे एक्शन एक तंग, खचाखच भरी एसी ट्रेन के अंदर होती है। निखिल ने अपनी टीम और डीओपी के साथ इसे इतनी अच्छी तरह से निर्देशित किया कि दर्शक भी इस तनावपूर्ण, तेजी से बढ़ रही कहानी को फील करने लगते हैं। फिल्म क्रूरता को गले लगा सकती है लेकिन यह हमें ऐसी हिंसा की कीमत भी दिखाती है, जो जिंदगियों को बचाना चाहती है उन्हें मारकर।

परफॉर्मेंस

लक्ष्य ने इस फिल्म के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने अपने रोल के साथ पूरा जस्टिस किया है। बेहद कम डायलॉग के साथ, उन्होंने कमांडो के रोल को सहजता से दिखाया है। उन्होंने तेज एक्शन सीन और इमोशनल मूमेंट के साथ निभाया है। टीआईएफएफ में किल स्क्रीनिंग के बाद, राघव जुयाल ने विलेन ऑफ द ईयर का खिताब पक्का जीत लिया है।और हम इससे इनकार भी नहीं करेंगे। उनका रोल खतरे और कॉमेडी के बीच संतुलन बनाता है। साथ ही, राघव के डायलॉग कहानी को नई ऊंचाइयों तक ले जाती है।
फिल्म की कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तान्या मानिकतला स्क्रीन पर चमकती हैं, जबकि आशीष विद्यार्थी, राघव जुयाल के पिता और गैंग बॉस का किरदार निभाते हुए, एक बार फिर अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से कमान संभालते हैं।

मूवी देखें या नहीं?

अगर हम निखिल भट्ट की किल की तुलना संदीप रेड्डी वांगा की 'ब्लॉकबस्टर' एनिमल से करें, तो एक्शन के मामले में किल को ज्यादा नंबर मिलेंगे। किल एक भी बीट छोड़े बिना जोर-जोर से चिल्ला रही है कि यह साल की सबसे ब्लडी फिल्म है। यह एक ऐसी फिल्म है जो आपको बेचैन कर देगी, फिर भी आपको अंत तक टिके रहने के लिए मजबूर करेगी। यह कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है क्योंकि किल आपकी रीढ़ को ठंडक पहुंचाएगा।
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