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क्रिटिक्स रेटिंग
3.5
Jul 2, 2021
Animal Movie Review: रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल रिलीज हो गई है। यह एक एडल्ट और 3 घंटे 20 मिनट लंबी फिल्म है। इसमें मारधाड़, इमोशन और बहुत कुछ है। फिल्म देखने जाने से पहले, पढ़ें बिना स्पॉइलर वाला रिव्यू
कास्ट एंड क्रू
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Rashmika Mandanna
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Animal Movie Review: रणबीर कपूर ने दिखाए एक्शन और इमोशन के बीच वैरिएशन, संदीप रेड्डी वांगा ने क्लाईमैक्स में झोंकी जान
पिता और बेटे का रिश्ता एक बड़ा ही अहम रिश्ता है, लेकिन बेटा जितना अपनी मां से खुलकर बात करता है उतना पिता से नहीं करता है। पिता को हमेशा बहुत सख्त और कड़क मिजाज का देखा गया है। फिल्मों और साहित्य में भी पिता के बारे में बहुत कुछ लिखा और पढ़ा नहीं गया है। पिता के लिए बेटे की मोहब्बत हमेशा बहुत होती है। 90 के दशक में पैदा हुए लड़के आज भी पिता के सामने बोलने में हिचकिचाते हैं। पिता को गले नहीं लगा पाते। यह कहानी भी ऐसे ही पिता और बेटे की है। हर लड़की ही नहीं, लड़के के हीरो भी पापा ही होते हैं......। डिसक्लेमर यह है कि यह शुद्ध रूप से 18 साल के ऊपर के लोगों के लिए फिल्म है।
बाप-बेटे के बीच प्यार की कहानी में इंतकाम की आग
बलबीर सिंह स्वास्तिक स्टील का कर्ता धर्ता है। वह अपने बिजनेस को खूब ऊंचाईं पर ले जाता है। इसकी वजह से वह अपने परिवार को समय नहीं दे पाता। परिवार में पत्नी एक बेटा और दो बेटियां हैं। बेटा रणविजय सिंह बलबीर अपने पिता से बेहद मोहब्बत करता है। वह अपने पिता की मोहब्बत और समय के लिए तरसता है। बहनों पर जान झिड़कता है। बड़ी बहन रैगिंग का शिकार होती है तो कॉलेज में गन लेकर लड़कों को मारने पहुंच जाता है। पिता इस बात पर मारता है और कहता है बेटा नहीं क्रिमिनल पैदा किया है हमने। यहां उसे घर से बाहर बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया जाता है। रणविजय को एक लड़की से प्यार होता है वह शादी कर लेता है। 8 साल तक वह पिता से ना बात करता है और ना ही मिलता है। एक दिन पिता पर हमला होता है, वह आनन फानन में वापस इंडिया आता है। यहां से शुरू होती है असली कहानी। पिता पर हुए हमले में उसका सगा जीजा शामिल होता है, वह उसे भी मार देता है। कहानी यहां नहीं है, असल में शुरुआत यहीं से होती है। इसके लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा, अगर लिखा तो वह स्पॉइलर की श्रेणी में आ जाएगा।
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रणबीर के इमोशन और एक्शन के बीच बॉबी की चुप्पी का कमाल
रणविजय सिंह बलबीर का किरदार रणबीर कपूर ने निभाया है। पिता के लिए उनकी बेइंतहा प्यार देखते ही बनता है। उन्होंने बच्चे बूढ़े और जवान तीनों ही एज के कैरेक्टर को अच्छी तरीके से निभाया है। एक्शन और मारधाड़ वाली यह उनके करियर की पहली फिल्म है, इसमें उन्होंने अपने आपको बड़ी ही मजबूत दावेदारी से दिखाया है। रणबीर के इमोशन भी फिल्म में ऊबर के दिखाए पड़े हैं। पिता के रोल में अनिल कपूर ने बड़ी सहजता और कड़क अंदाज दोनों को पकड़ा है। उनका एक्सपीरियंस यहां दिखता है। हालांकि वह थोड़ा फीके ही पड़े हैं। रश्मिका मंदाना ने रणबीर की पत्नी का किरदार निभाया है। इसमें वह उतना ही कर पाई हैं, जितनी एक्टिंग उन्हें आती है। उन्होंने हिंदी डायलॉग खुद बोले हैं, लेकिन अभी डिलेवरी कुछ ठीक नहीं लगती है। अबरार के किरदार को बॉबी देओल ने निभाया है। उनके पास स्क्रीन टाइम बेहद कम है, इसमें भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी है। फाइट सीन में वह रणबीर पर हावी होते हैं। अपने रोल के साथ वह न्याय करते हैं। बॉबी के छोटे भाई का किरदार सौरभ सचदेवा ने निभाया है। उन्होंने रणबीर-बॉबी की फाइट सीन में अपने एक्सप्रेशन से ध्यान आकर्षित करने में सफल हुए हैं। इसके अलावा तृप्ति डिमरी, सुरेश ओबेरॉय, प्रेम चोपड़ा, अंशुल चौहान और उपेंद्र लिमाए ने भी अच्छा काम किया है।
लंबी कहानी में क्लाइमैंक्स है बेस्ट
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फिल्म संदीप रेड्डी वांगा की लिखी कहानी पर बनी है। इसका स्क्रीनप्ले प्रणय रेड्डी वांगा और सौरभ गुप्ता के साथ लिखा है। फिल्म एनिमल के स्क्रीनप्ले में एक गड़बड़ी है। फर्स्ट हॉफ तो इस फिल्म का काफी एनर्जी और तेज गति से निकलता है। दूसरे हाफ में उन्होंने फिल्म को स्लो कर दिया है। रणबीर और रश्मिका के बीच का एक सीन है, जिसे थोड़ा ढीला छोड़ा है।
डायरेक्शन और एडिटिंग में रेड्डी ने किया बैंग
फिल्म एक वायलेंट जॉनर की है, इसमें संदीप ने मास्टरी की है। एनिमल उनकी अर्जुन रेड्डी और कबीर सिंह से कई गुना आगे निकल गई है। डायेक्शन के लिए लिहाज से संदीप ने अपने पूरे विजन को अच्छे से दिखाया है। एक्शन भी उन्होंने काफी अलग यूज किया है। उन्होंने ही फिल्म को एडिट किया है, इसमें उन्होंने कमाल के ट्रांजिशन उपयोग किए हैं। बॉबी की एंट्री से लेकर कुल्हाड़ी फाइट सीन में फिल्म की एडिटिंग देखने लायक हैं। फिल्म में एक डायलॉग है, सब्र रखना बेहद जरूरी है इसके बाद जो होता है वह बहुत मजेदार है। फिल्म भी इसी लाइन पर चलती है। अमित राय ने इसे शूट किया है, मारधाड़ वाले सीन्स को उन्होंने बखूबी कैमरे की नजर से पेश किया है। उन्होंने एक्शन सीन की लाइट को भी मजेदार टच दिया है।
बैकग्राउंड म्यूजिक ने फिल्म को बनाया मजबूत
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक हर्षवर्धन रामेश्वर ने कंपोज किया है। उनका यही म्यूजिक लंबी फिल्म में मजा बनाए रखता है। हर सीन और एक्शन में अलग अलग म्यूजिक को यूज किया है। इतनी लंबी फिल्म में हर एक बड़े सीन में नया बैकग्राउंड स्कोर सुनना काफी अच्छा है। इसके अलावा फिल्म में जो गाने है वह स्क्रीन पर देखने में अच्छे लगते हैं। जानी और बी प्राक का गाना असल में काफी बड़ा है। वह भी सरप्राइज है।
बच्चे और खून खराबा ना देखने वाले रहें दूर
फिल्म एनिमल 201 मिनट की है, यह पूरी तरह से एडल्ट फिल्म है। इसमें सिर्फ मारधाड़ ही नहीं, बल्कि कुछ एडल्ट डायलॉग भी हैं। इसके अलावा संदीप ने फिल्म को पूरे तरीके से मास के लिए बनाया है। कहीं-कहीं फिल्म में लॉजिक नहीं है, ढूंढना भी नहीं चाहिए। इसे रणबीर कपूर के नए रूप के लिए भी देखना चाहिए।
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