Dunki Movie Review: डायरेक्शन-एडिटिंग के राजकुमार ने डंकी की कहानी को बनाया हीरा, शाहरुख खान के आभामंडल पर भारी पड़ा हिरानी यूनिवर्स
Dunki Movie Review.
कास्ट एंड क्रू
परदेस...विदेश या NRI यह तीन शब्द कई सारे लोगों को बहुत फैसिनेट करते हैं। इन शब्दों और सिनेमा के माध्यम से दिखाया गया दूसरा देश बहुत सुंदर लगता है। इसके चलते हमारे कुछ देशवासी या अलग अलग देशों के नागरिक वहां पहुंचने के लिए ठान लेते हैं। भले ही उनके पास कोई सही माध्यम नहीं हो। पर उन्हें जाना है, ऐन केन प्रकारेण सोचकर वह निकल जाते हैं। इन्हें वहां की असलियत नहीं पता चलती है, लगता है विदेश में बहुत पैसा है। वहां पहुंचते ही हम अपने परिवार वालों की जिंदगी संवार देंगे। होता इसका उलट है, कई लोग डंकी मतलब सरहद लांघकर गैर कानूनी तरीके से यहां पहुंचते हैं। 140 साल पहले तक कहीं वीजा नहीं लगता था। वीजा आने के बाद दूसरे देशों में भेदभाव और अभद्र व्यवाहर प्रवासियों के साथ होता आया है। राजकुमार हिरानी की फिल्म इन्ही कुछ फैक्ट्स पर है।
डिस्क्लेमर- यह शाहरुख खान की फिल्म नहीं बल्कि राजुकमार हिरानी और अभिजात जोशी की कहानी वाली फिल्म है।
लाल्टू के युवा विदेशी दुनिया पर लट्टू
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पंजाब के लाल्टू में रहने वाले तीन युवा, जिनकी परिस्थियां आर्थिक रूप से खराब है वह लोग अपने ही पिंड में रहकर कोई कोई ना कोई काम करते हैं। परिवार भी बहुत संपन्न नहीं है और ज्यादा पढ़ाई लिखाई भी नहीं की है। मनु, बल्ली और बुग्गु तीनों यह सोचते हैं कि हम भी इंग्लैंड जाएंगे और अपने घर की तस्वीर बदल देंगे। 84 दंगे के बाद मनु लाल्टू आती है, भाई कर्जा लेकर बिजनेस खड़ा करने की सोचता है। एक हादसे में उसकी मौत होती है और परिवार को घर खाली करना पड़ता है। बुग्गु के पिता बेरोजगार हो गए मां गार्ड की नौकरी करती है। पैंट-शर्ट पहन कर जाती है तो गांव के लोग गंदी नजर से देखते हैं वह बुग्गु को पसंद नहीं है। बल्ली की मां सिलाई मशीन चलाकर घर का खर्च चलाती है। इसी बीच एक फौजी हार्डी की एंट्री होती है, वह महिंदर को ढूंढ रहा होता है। महिंदर ने हार्डी की जान बचाई थी। यहां आकर उसे पता चलता है कि इन सबको लंदन जाना है। अब कहानी यहीं से शुरू होती है। जहां गुलाटी इंग्लिश सिखाता है और विदेश भेजने की गारंटी लेता है। कहानी में एक और किरदार सुखी की आमद होती है। इसे भी लंदन जाना है लेकिन वहां जाने का जो मुद्दा वह बहुत अलग है। लीगल रास्ता नहीं मिलता तो यह डंकी के जरिए विदेश निकल जाते हैं फिर इनकी कहानी पूरी 360 डिग्री में घूमती है। इसके आगे कहानी के बारे लिखना स्पॉइलर के दायरे में आएगा, इसीलिए अब फिल्म देखना होगा।
सपोर्टिंग कास्ट के अभिनय में छिपा स्टार पावर
फिल्म में हार्डी के किरदार में शाहरुख खान हैं, जिनका सिनेमा में एक अलग आभामंडल है। इस फिल्म में उनका आभामंडल गायब है, फिल्म की कहानी में वह हार्डी की जगह शहारुख खान ही लगे हैं। कहानी में इमोशनल डायलॉग्स में उन्होंने अपना कमाल दिखाया है। इस फिल्म में उनके पास करने का बहुत कुछ था, लेकिन कहीं कहीं वह मात खा गए हैं। उनके फैंस को जो उम्मीदे हैं, उस पर शाहरुख कुछ कमाल नहीं कर पाए हैं। मनु के किरदार में तापसी पन्नू हैं, जो बड़े दिनों बाद पर्दे पर लौटी हैं। उनका अच्छा है, उन्हें देखना सुखद भी है। अपने रोल पर उन्होंने काम किया है। बुग्गु के किरदार में विक्रम कोचर शानदार और जबरदस्त हैं, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में उनकी अभिनय की पढ़ाई काम आई है। फ्लैट एक्सप्रेशन के साथ जबरदस्त पंच बोल कर दर्शकों को हंसाने में उनकी महारत है। बल्ली के किरदरा में अनिल ग्रोवर ने कमाल काम किया है। जवानी से अधेड़ और फिर बुढ़ापे के दिनों के किरदार में उनका ट्रांसफॉर्मेंशन दिखता है। बमन ईरानी ने गुलाटी का रोल किया है जो अपने आप में गजब है। विक्की कौशल का इसमें स्पेशल अपीरियंस है, इन दिनों वह कमाल कर रहे हैं। डंकी में भी उनकी एक्टिंग शानदार है। उनका 20-25 मिनट का रोल फिल्म में छाप छोड़ता है। बाकी डंकी के सभी सपोर्टिंग कास्ट की स्क्रीन प्रेजेंस दिखती है।
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कहानी है फिल्म की हीरो
फिल्म की कहानी राजकुमार हिरानी, अभिजात जोशी और कनिका ढिल्लों ने लिखी है। राजकुमार हिरानी फिल्मों की खासियत यह रहती है कि उसमें स्टार कोई भी हो, लेकिन बात कहानी और राइटिंग की होती है। डंकी में भी यही रहा है। राजुकमार एंड टीम की लेखनी में शाहरुख खान का आभामंडल खो गया है। फिल्म को बहुत ही सधे और सटीक ढंग से लिखा गया है। इसमें कहीं भी ढीलापन नहीं है, फैक्ट्स और फिगर्स हैं। डायेरक्शन और फिल्म की एडिटिंग राजुकमार हिरानी ने ही की है। दोनों ही डिपार्टमेंट उनकी एक अलग समझ है। किसी फिल्ममेकर ने यह सही कहा है कि जो एडिट करना जानता है उससे अच्छा डायरेक्शन किसी का नहीं होता। राजुकमार हिरानी इस बात को सत्यता के साथ स्थापित करते हैं।
प्रोडक्शन डिजाइन ने जीता दिल
इस फिल्म के टेक्निकल हिस्से में पहुंचे तो यहां एक बड़ी ही खास बात सामने आती है। फिल्म को चार सिनेमैटोग्राफर ने शूट किया है। इसमें सी के मुरलीधरन, मानुष नंदन, अमित रॉय और कुमार पंकज का नाम शामिल है। मुरलीधरन इससे पहले भी राजकुमार हिरानी की फिल्मों को शूट कर चुके हैं। इस फिल्म में अंडरवॉटर सीन भी हैं, उसे भी अच्छे तरीके से शूट किया गया है। अमित रे और सुब्रता चक्रवर्ती ने इसका प्रोडक्शन डिजाइन किया है। जो एकदम परफेक्ट सा दिखता है। हर चीज को रियल दिखाने की कोशिश की है। दिलीप रोकड़े का आर्ट डायरेक्शन भी अच्छा है।
बैकग्राउंड म्यूजिक परफेक्ट
प्रीतम द्वारा कंपोज किए गए म्यूजिक को फिल्म में सुनना ज्यादा अच्छा लगता है। इसके अलावा फिल्म को मजबूत बनाता है बैकग्राउंट स्कोर, जिसे अमन पंत ने बनाया है। अमन का काम भी अच्छा है। हर एक सीन के हिसाब से परफेक्ट म्यूजिक देना फिल्म को और सुखद बनाता है।
विदेशी रंगीनियत की सच्चाई
इस फिल्म को देखना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ सच्चाई है। फिल्म में विदेशी सरजमीं की रंगीनियत के अलावा एक असली बेरंगियत भी दिखाई है। इसे अच्छी स्टोरी और स्क्रीनप्ले के लिए देखना चाहिए। सपोर्टिंग कास्ट की एक्टिंग के लिए देखना चाहिए। फिल्म को आप बिना किसी झिझक के अपने परिवार वालों के साथ देख सकते हैं।
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आर्टिकल की समाप्ति
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