Permanent Roommates Season 3 Review in hindi by timesnow navbharat
Sumeet Vyas,Nidhi Singh,Deepak Kumar Mishra
क्रिटिक्स रेटिंग
3
Jul 2, 2021
मोस्ट अवेटेड सीरीज परमानेंट रूममेट्स का तीसरा सीजन अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रहा है। सीरीज में सुमीत व्यास और निधि सिंह ने काम किया है। इस सीरीज के नए सीजन को देखने से पहले आप यह रिव्यू पढ़िए और निर्णय करिए इसे बिंज वॉच करना है या नहीं।
कास्ट एंड क्रू
Sumeet Vyas
Nidhi Singh
Deepak Kumar Mishra
Permanent Roommates Season 3 Review: कुछ बातों का दिल से निकल जाना जरूरी है का महत्व सिखाती है सुमीत व्यास और निधि सिंह की सीरीज
कहानी- कुछ बातों का दिल से निकल जाना जरूरी है, कुछ आंसुओं का आंखों में भर जाना भी जरूरी है। जख्म छुपाना जरूरी है क्या? क्या हमारे इन जख्मों के बारे में पता चलने से घर वाले परेशान हो जाएंगे? मिकेश ऐसा है सोचता है। सोचे भी क्यों ना उसके दिल में जो जख्म है वह किसी को बता ही नहीं पाया। यहां तक अपनी परमानेंट रूममेट तान्या को। मिकेश अमेरिका रह चुका है, वह एक प्रोग्रेसिव सोच वाला लड़का है। उसे यह भी मालूम है उसकी पत्नी उससे ज्यादा काबिल, जिसे वह स्वीकार भी करता है। अमेरिका में रहते हुए मिकेश ने अपने पिता को खोया है। इसके बाद से ही वह भारत में है और सफलता पूर्वक काम कर रहा है। मुंबई में रहते हुए उसकी मां भी इंदौर से आ जाती हैं। इसी बीच तान्या के मन में ख्याल आता है कि अब विदेश जाना चाहिए। वह कनाडा जाने के लिए भी आतुर है। उसने वहां नौकरी ढूंढनी भी शुरू कर दी। यहां मिकेश भी अपना मन मार कर यह सब कर रहा है।
मां भी यही चाहती है बच्चे आगे बढ़ें तो मेरी खुशी भी वही हैं। हालांकि यहां ट्विस्ट यह आता है कि तान्या की वीजा एप्लीकेशन जमा हो जाती है। इसके अगले ही पल रिजेक्शन का मैसेज आता है। कारण है कि वीजा एप्लीकेशन दो बार जमा हुई है। यहां गलती से मिस्टेक मिकेश से हो जाती है कि वह अपने एजेंट को मना करना भूल जाता है। हालांकि वह इस बात से खुश है कि अब विदेश नहीं जाना पड़ेगा। मिकेश ने एक दिन अपनी मां और बीवी से कहता है कि वह विदेश इसलिए नहीं जाना चाहता क्योंकि वहां रहते हुए अपने पिता को खो चुका है। इसका दर्द अभी भी मिटा नहीं है। अब उसके पास मां और वह यह भी नहीं चाहता कि......। खैर, इसी बीच तान्या को उसी की कंपनी से जर्मनी जाने का ऑफर आता है। बस परमानेंट रूममेट्स के सीजन 3 की कहानी का टर्निंग पॉइंट यही है। क्या होगा, तान्या पति चुनेगी? या करियर? परिवार या कंपनी? कंफर्ट या सपना?
एक्टिंग- सीरीज में मिकेश यानी सुमीत व्यास, वह इस सीजन में भी लाजवाब लगे हैं। खासकर जब अपनी मां और पत्नी के सामने विदेश ना जाने पर सवांद करते हैं। यह उनके अच्छे अभिनय का पर्याय बनाता है। तान्या के रोल में निधि सिंह ने अच्छा काम किया है। दोनों की कैमेस्ट्री देख आप सभी को अपनी पर्सलन कैमेस्ट्री भी याद आएगी। यह इन दोनों के काम की अच्छाई है। टियर 2 शहर की मां के रोल में शीबा चड्ढा जबरदस्त जची हैं। उनका अपने बच्चों को समझना और शहर के हिसाब से अपने आपको ढालना बेहद अच्छा है। सीरीज में छोटे रोल में सचिन पिंगलावकर ने भी बढ़िया काम किया है। पुरषोत्म के किरदार में दीपक कुमार मिश्रा को देखना एक ट्रीट है। तान्या के पिता के रोल में शिशिर शर्मा का काम भी अच्छा है। ड्राइवर के रोल में अश्विनि मिश्रा ने भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है।
राइटिंग और डायरेक्शन- सीरीज के इस सीजन को वैभव और श्रेया की जोड़ी ने लिखा है। सीरीज के पिछले सीजन भी दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किया गया है। परमानेंट रूममेट्स का यह सीजन 6 साल बाद आया है। वैभव और श्रेया ने इसमें वही फ्लेवर डालने में सही साबित हुए हैं। सीरीज जहां छूटी उसे एक अच्छे पॉइंट से ऊपर उठाया और सही अंत दिया है। सीरीज कहीं भी आपको कहीं से भी राइटिंग के हिसाब पकाऊ नहीं लगती। डायरेक्शन इस सीजन का श्रेयांश पाण्डेय का है। उन्होंने अपने काम को बखूबी निभाया है।
कनक्लूजन- परमानेंट रूममेट्स के फैंस के लिए यह सीरीज मस्ट वॉच है। जिनको यह सीरीज देखनी है उन्हें शुरू से शुरुआत करनी पड़ेगी। परमानेंट रूममेट्स की तीसरी किश्त के लिए कुल जमा बात यह है कि देर आए दुरुस्त आए। सीरीज को आप अमेजन प्राइम वीडियो पर बिंज कर सकते हैं।
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