Crew Review: क्रू में तब्बू कृति और करीना का ग्लैमर, रिया कपूर को कॉमेडी और फूहड़ संवादों में अंतर समझने की सख्त जरूरत

Crew Review: तब्बू, करीना कपूर खान और तब्बू की फिल्म क्रू रिलीज हो गई है। यह फिल्म कैसी और इसकी कहानी के साथ कैसा ट्रीटमेंट हुआ है, इसके लिए पढ़िए यह रिव्यू।

क्रिटिक्स रेटिंग

2.5
Crew Review

​Crew Review

लोगों को जितना रुलाना आसान हैं, हंसाना उतना ही मुश्किल। रुलाने वाले लोगों से लोग दूर भागते हैं और हंसाने वाले लोगों से जुड़ना पसंद करते हैं। हंसाना या कॉमेडी करना, आपकी किसी लाइन या किसी को अपशब्द कहने से नहीं होती है। कभी वह किसी परिस्थिति यानी सिचुएशन पर निर्भर करती है या फिर आपकी टाइमिंग। हालांकि इसमें सबसे ज्यादा टाइमिंग का ही खेल होता है। इन दिनों इसका विपरीत हो रहा है, खासकर फिल्मों में। राइटर या डायरेक्टर कॉमेडी करने के लिए ओछी या कहें तो थोड़े चीप टाइप डायलॉग बुलवाते हैं। कई बार एक्शन ऐसे होते हैं, जिन्हें कॉमेडी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। साल 1992 में बेटा फिल्म आई थी, इससे अनिल कपूर को घर घर मकबूलियत मिली थी। अब 2-3 दशक बाद उनकी बेटी प्रोड्यूसर बन गई हैं। उनकी पिछली दो-तीन फिल्मों में एक पैटर्न देखा जा रहा है। उनकी फिल्मों के एक्टर दर्शकों को हंसाने के लिए दोमए दर्जे की कॉमेडी करते हैं। उसमें डायलॉग ऐसे होते हैं, जो फूहड़ होते हैं। इसका उदाहरण फिल्म क्रू है। कल मैं इस फिल्म की स्क्रीनिंग में शामिल हुआ, हंसाने के लिए थोड़े ऐसे डायलॉग और एक्शन डाले गए कि आस पास बैठे लोग अपनी बगलें झांकने लगे। बेटा की बेटी यानी रिया को अभी असल कॉमेडी समझने की बहुत जरूरत है।
मजबूरी और सपनों की कहानी
फिल्म की कहानी तीन महिलाओं की है, जो एक एयरलाइन कंपनी में बतौर केबिन क्रू काम कर रही हैं। इन-फ्लाइट सुपरवाइजर गीता सेठी, सीनियर फ्लाइट अटेंडेंट जैस्मिन और जूनियर फ्लाइट अटेंडेंट दिव्या राणा की है। यह तीनों जिस एयरलाइन में काम कर रही हैं वह दिवालिया होने की कगार में हैं। इसके अलावा इनकी निजी जिंदगी की कहानी भी कुछ अलग और ट्रेजिडिक है। तीनों कोहिनूर एयरलाइंस में एयर होस्टेस हैं। एयर होस्टेस बनने का कारण तीनों की एक मजबूरी रहती है, जिससे वह निकलना चाहती हैं, लेकिन निकल नहीं पा रही हैं। सबसे अपने अपने सपने हैं, जो अपनी सैलरी और पीएफ का पैसा आने के बाद पूरा करने निकल जाना चाहती हैं। इसी बीच इनकी एयरलाइन का मालिक देश छोड़ देता है। सबकी तरह इनके भी सपने चूर चूर हो जाते हैं। इन्होंने स्मगलिंग करना शुरू कर दिया था, पर पकड़े जाने से बच जाती हैं। अब एक बार शेर की दाढ़ में खून लग जाए तो वह कहां चुप बैठता है। बस कहानी इसके आगे पूरी घूमती है।
अभिनय है ठीक-ठाक
फिल्म में तब्बू, करीना कपूर खान और कृति सेनन हैं। तब्बू ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। हालांकि उन्होंने कुछ नया करने की कोशिश में कॉमेडी के नाम पर कुछ ओछे डायलॉग बोले हैं। इससे कॉमेडी तो नहीं हुई पर दिमाग में यह आया कि इतना अच्छी और बड़ी एक्ट्रेस के लिए क्या मजबूरी थी? करीना कपूर खान का बड़े पर्दे पर औरा कुछ अलग ही होता है। वह जितनी ग्लैमरस निजी जिंदगी में हैं, उतनी ही इस फिल्म में भी दिखाई पड़ी हैं। एक महत्वकांक्षी लड़की जिसके सपने आसमान से बड़े हैं। उन्हें पूरा करने के लिए वह क्या क्या करती है, इस किरदार को उन्होंने अच्छे से निभाया है। कृति सेनन को अभी भी अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट पसंद करने में ज्यादा दिमाग लगाने के जरूरत है। मिमी के बाद उनसे और ज्यादा अच्छे काम की उम्मीद थी। हालांकि वह इसे तोड़ती नजर आ रही हैं। वह ग्लैमरस हैं और इन दिनों उन्हें ऐसे ही रोल मिल रहे हैं। इस फिल्म में भी मेकर्स ने उनके ग्लैमर का भरपूर उपयोग किया है। उन्होंने अपने किरदार को ठीक ठाक तरीके से निभाया है। स्पेशल कैमियो में कपिल शर्मा हैं, उन्होंने अपने स्क्रीन के हिसाब से उम्दा प्रदर्शन किया है। वहीं, दिलजीत दोसांझ का काम भी बढ़िया हैं। राजेश शर्मा हर किरदार को अपना लेते हैं, यह उनकी खासियत है। क्रू में भी यही देखने को मिला है। सास्वत चटर्जी एक रंगीन मिजाज के आदमी का किरदार काफी बेहतरीन तरीके से निभाते हैं। इसमें भी उन्होंने कुछ ऐसा ही रोल निभाया है।
कॉमेडी बनाने की कोशिश में कुछ फूहड़ संवाद
इस फिल्म को निधि मेहरा और मेहुल सूरी ने लिखा है। फिल्म की कहानी एक काल्पनिक है और इसमें अपने मुख्य किरदार को हीरो बनाया गया है। फिल्म की कहानी में कई जगह कमजोर कड़ी दिखती है। इसमें वह कसावट नहीं है, कॉमेडी के लिए भी बेहद हल्के और ओछे संवाद का प्रयोग किया गया है। यह फिल्म को थोड़ा एडल्ट कॉमेडी की तरफ लेकर जाता है। डायरेक्शन के लिहाज से राजेश कृष्णन का काम बेहतरीन हैं। वेब सीरीज से शुरू हुआ सफर अभी बढ़िया चल रहा है। हालांकि राजेश को अपनी फिल्मों की संवादों पर भी पकड़ रखने की जरूरत है।
दोस्तों के साथ देखें
फिल्म 2 घंटे की हैं और ठीक ठाक बनी हुई है। इसे आप अपने परिवार के साथ देखने से बचेंगे। अगर देखना चाह रहे हैं तो दोस्तों के साथ जाएं वह बेहतर होगा। एंटरटेनमेंट का तड़का लगाने की भरपूर कोशिश की गई है। इसमें थोड़ा सफलता भी मिली है। हालांकि इस फिल्म की कॉमेडी को देख आप अपने विचार बना सकते हैं। इस फिल्म को लेकर मेरी बात यहीं तक। सिनेमा देखिए खूब देखिए और अपने विचार तय करिए।
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