Leo Movie Review: लोकेश कनगराज की कमजोर लियो को थलापति विजय ने उठाया, फिल्म को एक्टिंग-एक्शन ने बनाया क्साली एंटरटेनर

थलापति विजय की फिल्म लियो रिलीज हो गई है। यह फिल्म पूरी तरह से मास-एंटरटेनर है। इसे लोकेश कनगराज ने डायरेक्ट किया है। फिल्म को देखने से पहले पढ़ें यह पूरा रिव्यू...

क्रिटिक्स रेटिंग

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Leo Movie Review लोकेश कनगराज की कमजोर लियो को थलापति विजय ने उठाया फिल्म को एक्टिंग-एक्शन ने बनाया क्साली एंटरटेनर

कास्ट एंड क्रू

thalapathy Vijay

Sanjay Dutt

Trisha

Arjun

कहानी- इस दुनिया का सबसे बड़ा शब्द विश्वास है, लेकिन अब इसके आगे अंध जोड़ा जाने लगा है। अंध विश्वास लोगों और समाज पर दिन प्रतिदिन हावी होता जा रहा है। इसके चलते लोग, दूसरों के साथ अपने परिवार वालों की भी जान लेने पर उतारू होते हैं। तेलंगाना के पास एक शहर में एंटनी दास नाम का आदमी तंबाकू का कारोबार करता है। उसका छोटा भाई हेरोल्ड पढ़ने के लिए कनाडा गया। यहां उसे ड्रग्स के बारे में पता चला और वह भाई के साथ मिलकर तंबाकू के साथ ड्रग्स का कारोबार करता। उनका यह कारोबार खूब फल-फूल रहा था। इसमें एंटनी का बेटा लियो दास और बेटी एलिशा दास भी खूब साथ दे रहे थे। पूरा ही परिवार खूंखार है। एंटनी अंध विश्वास का भक्त है। एक दिन उसे फादर कहते हैं कि अगर कारोबार को और आगे ले जाना है तो बेटा या बेटी की बलि दो। वह देता है और उसके बेटा और बेटी दोनो मर जाते हैं। दूसरी तरफ हिमाचल के ठियोग में पार्थिबन नाम के एक युवक अपने परिवार के साथ खुशी से रह है। यहां उसका कैफे है, बीवी नौकरी करती है और बच्चे स्कूल जाते हैं। पूरा परिवार हंसी-खुशी अपने जीवन को जीते हैं। इसी बीच एक दिन कुछ गुंडे पार्थी के कैफे आते हैं। वहां वह उसकी एक महिला कर्मचारी के साथ बद्तमीजी करते हैं। पार्थी को यह बुरा लगता है और मारपीट करता है। थोड़ी देर में वह उसकी बेटी तक वह गुंडे पहुंचते है और पार्थी सबको मार देता है। पुलिस केस होता है पार्थी की फोटो पूरे देश में फैल जाती है। वह फोटो एंटनी और हेरोल्ड के पास पहुंचती है। इतने में ही पार्थी को मारने एंटनी अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मारने पहुंच जाता है। ऐसे इसिलिए होता है कि एंटनी को लगता है कि पार्थी ही लियो है। बस यहीं से कहानी तीसरे मोड़ पर पहुंचती है। अब लियो और पार्थी एक हैं? क्या लियो सच में मर गया है? और यार आखिर लियो कौन है? इन सबके जवाब पार्थी के परिवार के लोग खोजने लगते हैं? क्या लियो और पार्थी दोनों अलग व्यक्ति हैं?
एक्टिंग- पार्थी के किरदार में थलपति विजय का काम लाजवाब है। उन्होंने एक 40-45 साल के आदमी के किरदार को बखूबी निभाया है। एक्शन में भी उनका कोई सानी नहीं है। विजय और उनका बेटी के साथ एक सीन बेहद इमोशनल करने वाला है। इसमें विजय ने बाप और बेटी के इमोशन को भरपूर रूप से दिखाने का काम किया है। पार्थी की पत्नी सत्या के किरदार में त्रिशा का काम भी अच्छा है। उनकी और विजय की केमेस्ट्री अच्छी जमी है। एंटनी दास यानी संजय दत्त, इन दिनों वह विलेन की भूमिका में सबसे आगे हैं। यहां भी संजू ने अपने किरदार की अमिट छाप छोड़ी है। हेरोल्ड बने अर्जुन का भी काम अच्छा है। गौतम वासुदेव मेनन ने भी जोशी का किरदार बखूबी निभाया है। जॉर्ज मार्यन एक छोटे से किरदार में हैं, लेकिन यहां उनके किरदार को भुलाया नहीं जा सकता है। अनुराग कश्यप का भी कैमियो है, हालांकि उनके डायलॉग नहीं है।
राइटिंग और डायरेक्शन- लियो जॉर्ज क्रोनबर्ग की अ हिस्ट्री ऑफ वॉयलेंस पर बेस्ड है। इसे लोकेश कनगराज, रत्ना कुमार और दीरज वैद्य ने लिखा है। तीन लोगों के द्वारा लिखी गई पठकथा हल्की कमजोर है। यहां उन्होंने कहानी को थोड़ा लंबा खींचा है। इसी वजह से फिल्म थोड़े फीकी होती है। डायरेक्शन लोकेश कनगराज का है। लोकेश अपने यूनिवर्स के लिए जाने जाते हैं। इसके पहले उनकी कैथी और विक्रम भी जबरदस्त रही हैं। लियो में उनका डायरेक्शन बढ़िया हैं। हालांकि वह राइटिंग में मात खाए हैं।
सिनेमैटोग्राफी, एडिटिंग और एक्शन- फिल्म की सिनेमैटोग्राफी मनोज परमहम्स ने की है, उनका काम काबिले तारीफ है। फिल्म के हर एक फाइटिंग सीन को उन्होंने अलग तरीके से फिल्माया है। कोई सीन एक दूसरे से मिलता हुआ नहीं है। यह मनोज की मास्टरी का कमाल है। एडिटिंग की कमान फिलोमिन राज के हाथ थी, यहां उन्होंने कुछ सीन में कैंची नहीं चलाई है। इसके चलते फिल्म में थोड़ी कम कसावट देखने को मिली है। एक्शन अनवरीब ने डिजाइन किया है, इसकी जितनी तारीफ करो कम है। एक्शन ने फिल्म को पूरी तरह से बचा लिया है, इससे लियो और मासी फिल्म बनी है।
म्यूजिक- अनिरुद्ध रविंद्रचंद्र का म्यूजिक इस बार भी पूरी तरह से साउथ के कलेवर वाला है। इसमें एक रोमांटिक सॉन्ग आपको याद रह सकता है। उन्होंने मासी फिल्म होने के चलते अपने म्यूजिक से लियो को और मजबूत बनाया है।
कनक्लूजन- लोकेश कनगराज की इस फिल्म को आप तीन कारणों से देख सकते हैं। आप विजय के फैन हैं? फिल्म आपके लिए है। आपको मासी और एक्शनपैक्ड फिल्म पसंद है? यह फिल्म आपके लिए है। लोकेश कनगराज यूनिवर्स देखना है? आप देख सकते हैं। इसके अलावा फिल्म की ग्राफिक्स और विजय की एक्टिंग के लिए भी देख सकते हैं।
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आर्टिकल की समाप्ति

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