Ganpath Review: टाइगर ने खुद के करियर पर लगाया बट्टा, गणपत बनाने का विकास बहल का उद्देश्य क्या?
टाइगर श्रॉफ की फिल्म गणपत सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म अगर आपको देखने जाना है, उसके पहले टाइम्स नाउ नवभारत का यह रिव्यू जरूर पढ़ें। इसके बाद ही तय करिए क्या करना चाहिए...
कास्ट एंड क्रू
कहानी- अमीर और अमीर होना चाहता है। वह गरीब को और गरीब करना चाहते हैं। गरीबों को हमेशा लगता है कि कोई एक मसीहा आएगा और उन्हें इससे बाहर निकालेगा। गरीबी और भुखमरी से जनता परेशान जनता आपस में लड़ने लगती है। इससे बचाने के लिए दलपति खुद एक रिंग बनाते हैं और वहां उनसे लड़ने के लिए कहा जाता है। दलपति का मानना है कि इससे आपस में शक्ति बनी रहेगी। फिल्म गनपत में भी एक ऐसी ही दुनिया है, जहां अमीर और गरीब के बीच एक लंबी गहरी खाई है। युद्ध होता है, जिससे दुनिया वीरान हो जाती है। इसके बाद जो अमीर बचे वह बेहद लालची हैं। उनकी दुनिया को सिल्वर सिटी का नाम दिया गया है। आम दुनिया में भी गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है, तो यहां भी नहीं है। इससे गरीबों को उस सिल्वर सिटी के बाहर बसा दिया जाता है। इन दोनों के बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाती है। कुछ दिन बाद दलिनी जो सिल्वर सिटी का राजा है, उसे बस्ती की रिंग के बारे में पता चलता है। अब वो इन बॉक्सर को सिल्वर सिटी में ले जाता है और अपनी दुनिया की बॉक्सिंग लड़ाता है। यहां बेटिंग की जाती है, एक तरह इस बेटिंग से दालिनी और आमिर बनता जाता है। गरीब मर जाता है और गरीबी हावी होती रहती है। इस बीच एक बच्चा अपनी मां से कहता है कि मां हम यहां से कब निकलेंगे। तब वह कहती है कि गणपत आएगा और हमें बचाएगा। वह कब और कैसे आता है? क्या बचाता है? दलपति का क्या होता है? कुछ हल्के सवाल हैं, जो फिल्म में मिलेंगे।
एक्टिंग- फिल्म में टाइगर श्रॉफ गणपत के रोल में हैं। यहां उनके एक्सप्रेश और एक्टिंग सिर्फ फोटोशूट करने वाली है। एक्शन भी ऐसा ही है, जिसे देखकर आप बोरियत मिटा सकते हैं। उन्हें अपनी एक्टिंग में अभी और मेहनत करने की जरूरत है। जस्सी के किरदार में कृति सेनन का काम भी हल्का है। एक्शन उनका बढ़िया हैं। यहां पर उनकी एक्टिंग भी मजेदार नहीं है। अमिताभ बच्चन को कम टाइम मिला है, वह ठीक ही हैं। राशिन रहमान ने शिवा का किरदार निभाया है। उनका काम फिल्म में अच्छा है।
राइटिंग और डायरेक्शन- इस फिल्म को विकास बहल ने लिखा है। उन्होंने इस फिल्म में एक अलग दुनिया बनाने की कोशिश की है। जो समझ के परे है, डायलॉग भी कुछ खास नहीं है। डायरेक्शन की बात करें तो विकास ने इसके पहले चिल्लर पार्टी, क्वीन और गुडबाय जैसी फिल्में बनाई हैं। इस बार गनपत देख उनसे यह सवाल पूछा जा सकता है कि इसे क्यों बनाई है। इसका बनाने का उद्देश्य क्या है।
कनक्लूजन- फिल्म 133 मिनट की है, इसको देखते हुए आपकी नींद ही पूरी हो सकती है। इसके लिए फिल्म काबिल-ए-तारीफ है। ना फिल्म में ड्रामा है, ना इमोशन, ना कहानी और ना ही एक्शन। आपको फिल्म देखना चाहिए या नहीं, इसे पढ़ने के बाद आप खुद तय कर सकते हैं।
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आर्टिकल की समाप्ति
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