Vedaa Review
Vedaa
John Abraham,Sharvari Wagh,Abhishek Banerjee,Ashish Vidhyarthi
क्रिटिक्स रेटिंग
3
Action
Aug 15, 2024
Vedaa Movie Review: डायरेक्टर निखिल आडवाणी ने जॉन अब्राहम जैसे बड़े कलाकार के साथ जात-पात जैसे गंभीर विषय पर आधारित फिल्म बनाने का जिम्मा उठाया है, जिसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं। निखिल आडवाणी की वेदा अहम मूवी है, जो आजादी के इतने सालों तक समाज में मौजूद भेदभाव की कलई खोलती है।
कास्ट एंड क्रू
John Abraham
Sharvari Wagh
Abhishek Banerjee
Ashish Vidhyarthi
Vedaa Review: बॉलीवुडिया चाशनी में लिपटी जात-पात की झूठी शान की कलई खोलने वाली कहानी
Vedaa Movie Review: एक वक्त था जब जॉन अब्राहम को बॉलीवुड इंडस्ट्री एक्टर नहीं मानती थी। ज्यादातर बॉलीवुड डायरेक्टर्स सिर्फ उनके लुक्स को ध्यान में रखकर कहानियां लिखते थे, जिसका फायदा भी उन्हें मिला। जॉन अब्राहम की शुरुआती सफलता का श्रेय उनकी ऐसी ही फिल्मों को जाता है, जिनमें उन्हें ज्यादा एक्टिंग नहीं करनी होती थी लेकिन सफलता मिलने के बाद जॉन ने उन कहानियों का हिस्सा बनने की ठानी जो समाज को आईना दिखाने का काम करती हैं। इन फिल्मों में जॉन को खुद को साबित करने का मौका मिलने लगा और दर्शकों के सामने कुछ अच्छी कहानियां भी आने लगीं। डायरेक्टर निखिल आडवाणी की वेदा भी इसी सिलसिले को आगे बढ़ाती है, जिसमें जॉन अब्राहम के साथ शरवरी वाघ, अभिषेक बनर्जी और आशीष विद्धार्थी जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में हैं।
फिल्म वेदा की कहानी भारतीय सेना से निकाले जा चुके मेजर अभिमन्यु (जॉन अब्राहम) की है, जिसने अपनी पत्नी (तमन्ना भाटिया) की मौत का बदला लेने के लिए उस आतंकी को मौत के घाट उतार दिया, जिसको सेना जिंदा पकड़ना चाहती थी। अभिमन्यु के बदले की आग ने उसे सेना से बाहर तो किया ही, साथ ही साथ बाड़मेर में आने को भी मजबूर कर दिया है, जहां जात-पात का खूनी खेल सालों से चल रहा है। बाड़मेर में तथाकथित छोटी जाति से रिश्ता रखने वाली एक लड़की वेदा (शरवरी) रहती है, जो बॉक्सर बनना चाहती है। वेदा के सीने में जलती आग को देख अभिमन्यु उसकी मदद करने का जिम्मा उठाता है। ये जिम्मेदारी अभिमन्यु को जात-पात के ऐसे भंवर में लाकर खड़ा कर देती है, जिससे निकलना बहुत मुश्किल है। क्या ऊंची जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधान (अभिषेक बनर्जी) द्वारा रचे चक्रव्यूह से अभिमन्यु वेदा को निकाल पाएगा और उसे न्याय दिलवा पाएगा? ये आपको फिल्म के दौरान जानने को मिलेगा।
साउथ फिल्म इंडस्ट्री लम्बे समय से ऐसी मूवीज बनाती रही है, जिनमें हमें जाति की चक्की में पिस रहे लोगों का दर्द दिखा। बॉलीवुड में भी कुछ डायरेक्टर्स ने ये काम किया लेकिन उनकी मेहनत को लोगों ने आर्ट मूवीज का नाम दे दिया। डायरेक्टर निखिल आडवाणी ने जॉन अब्राहम की मदद से जाति का दुख भोग रही वेदा की कहानी दिखाने का जिम्मा उठाया है। जिसे पल-पल ये याद दिलाया जाता है कि वो ऊंची नहीं बल्कि नीची जाति से है। जाति के चक्रव्यूह में वो और उसका परिवार इस तरह से फंस चुका है कि उसके भाई को प्यार करने तक की इजाजत नहीं है। जब वो समाज की बेड़ियां तोड़कर प्यार करने की कोशिश करता है तो उसका पूरा परिवार उस आग की चपेट में आ जाता है, जिसमें भस्म होना पक्का है लेकिन अभिमन्यु वेदा को इस आग से बचाने का जिम्मा उठाता है।
फिल्म वेदा की सबसे बड़ी कमी डायरेक्टर निखिल आडवाणी का जॉन और जरूरी कहानी के बीच में फंसना है। जाति का दुख भोग रहे परिवार स्थिति तो वेदा के दौरान दिखती है लेकिन निकिल आडवाणी इस दुख की सतह तक नहीं ले जा पाते हैं क्योंकि उन्हें जॉन को भी उचित स्क्रीन टाइम देना था। अगर वो वेदा का दर्द दिखाते समय ऐसे सीन्स गढ़ते, जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े होते और शरीर में कांपन पैदा होता तो इस कहानी का मूल्य बढ़ जाता।
जॉन अब्राहम, शरवरी वाघ, अभिषेक बनर्जी और आशीष विद्धार्थी की अच्छी एक्टिंग से सजी वेदा की कहानी में गहराई की कमी है लेकिन ये एक जरूरी मूवी है, जिसे देखा जाना चाहिए। जॉन और निखिल ने भले ही बॉलीवुडिया अंदाज में जात-पात की कहानी को पेश किया हो लेकिन इनकी जोड़ी की तारीफ होनी चाहिए कि ये मेन स्ट्रीम सिनेमा में एक महत्वपूर्ण विषय को लेकर आए हैं। टाइम्स नाउ नवभारत और जूम टीवी हिन्दी की तरफ से वेदा को 3 स्टार।
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