Sam Bahadur Movie Review in hindi
vicky kaushal,sanya malhotra,fatima sana shaikh
क्रिटिक्स रेटिंग
3.5
Jul 2, 2021
Sam Bahadur Review: विक्की कौशल की फिल्म सैम बहादुर भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की कहानी पर बेस्ड है। इस फिल्म में सान्या मल्होत्रा और फातिमा सना शेख ने भी काम किया है। फिल्म देखने से पहले पढ़िए बिना स्पॉइलर वाला रिव्यू...
कास्ट एंड क्रू
vicky kaushal
sanya malhotra
fatima sana shaikh
Sam Bahadur Movie Review: सैम बहादुर बन विक्की ने दिखाए अभिनय के कौशल, मेघना की रिसर्च और डायरेक्शन से मानेकशॉ की कहानी हुई गुलजार
कुछ लोगों की कहानियां उनके जाने के सालों साल सुनाई जाती हैं। इनकी कहानी को हर शताब्दी के बच्चे सुनते हैं। इन कहानियों को की अच्छी बात यह होती है कि इन्हें बिना किसी लाग लपेट के सुनाई जाती हैं। क्योंकि यह कहानियां बिल्कुल असल जिंदगी के हीरोज की होती हैं। इनमें से एक कहानी हमने 3 अप्रैल 1914 में पैदा हुए एक पारसी लड़के भी सुनी जो इन दिनों खूब चर्चा में हैं। उनके देशभक्ति के किस्से और उनके एटिट्यूड के भी किस्से। वह काफी लोगों के लिए बेस्ट और असली हीरो भी हैं। यह वहीं है जिन्हें उनके जवान ने ही बहादुर का टाइटल दिया था।
मानेकशॉ की बहादुरी और चुटीले अंदाज के किस्से
सैम मानेकशॉ....इनके कई किस्से सुने हुए हैं। वह एक ऐसे जवान थे जिन्होंने अपने जीवन में 6 जंगे लड़ीं। बांग्लादेश को अलग देश बनाने में भी उनका अहम योगदान है। जीवन में जितनी जंगें लड़ीं, उतनी की गोली ने उनके सीने को छलनी किया था। फिर भी उनके देश भक्ति के जज्बे ने उनको ओके रखा। ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हुए मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल भी बने। वह जितने देशभक्त थे, उतने ही ह्यूमर से भरे हुए। वह पंडित नेहरू, सरदार पटेल से लेकर इंदिरा गांधी तक के प्रिय रहे। जब भी देश की सीमाओं में कोई मुसीबत आती, सबसे पहले मानेकशॉ को ही याद किया जाता। वह जब भी अपनी पत्नी के लिए तोहफा लेकर घर जाते, इसका मतलब होता कि उनका ट्रांसफर हो गया है। राजनीति भी किसी का कहां पीछा छोड़ती है, मानेकशॉ पर भी इसका असर हुआ। उनपर एंटी नेशनल होने का आरोप लगा, जांच कमेटी बैठी और वहां भी उन्होंने पूरी ईमानदारी से जवाब दिया। वह एकलौते चीफ थे जो प्राइम मिनस्टर को भी स्वीटी कह कर पुकार देते थे। एक बार इंदिरा को लगा कि पाकिस्तान की तरह यहां भी वह कहीं तख्ता पलट ना कर दें। इसके लिए उन्होंने मानेकशॉ से सवाल पूछा तो जवाब मिला कि आपको राजनीति है आती वह आपका काम है। मेरा नहीं...ऐसे ही उनके कई किस्से हैं।
फिल्म में दिखे अभिनय के कौशल
सैम बहादुर का किरदार विक्की कौशल ने निभाया है। यहां उनके अभिनय की तरीफ के कसीदे पढ़े जा सकते हैं। जिस हिसाब ने उन्होंने फिल्म में मानेकशॉ की चाल-ढाल, बोल-चाल को अपनाया है वह काबिल-ए-तारीफ है। विक्की ने यहां अपने अभिनय के सभी कौशल दिखा दिए हैं। रिटायरमेंट के बाद उनका ऑफिस की बिल्डिंग को बाहर से निहारना, माइक ड्रॉप वाली परफॉर्मेंस है। उनके अभिनय को देख यह भी हो सकता है कि अगले साल सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरुस्कार भी मिल जाए। उनकी पत्नी के सिल्लू के किरदार में सान्या मल्होत्रा दिखी हैं। एक आर्मी अफसर की पत्नी के किरदार को उन्होंने जिस संजीदगी से निभाया है, वह देखने योग्य है। यहां पर वह अभिनय के पथ पर विक्की के कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। बढ़ती उम्र के साथ उनकी चाल-ढाल और बोल-चाल में दिखता है। फातिमा सना शेख ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। उनका काम ठीक है, लेकिन वह सैम से पहली मुलाकात में जो लुक देती हैं। वह उनकी परफॉर्मेंस की ऊंचाई मालूम पड़ती है। जनरल याया खान के किरदार में मोहम्मद जीशान अय्युब ने कमाल किया है। कम स्क्रीन स्पेस के साथ भी, याया के किरदार को उनके बखूबी पेश किया है। इसका आधा श्रेय प्रोस्थेटिक टीम को भी जाता है। पंडित नेहरू के किरदार में नीरज काबि, सरदार पटेल के किरदार में गोविंद नामदेव और अंजन श्रीवास्तव ने भी अपनी प्रजेंस के साथ न्याय किया है।
मेघना ने किया गुलजार
फिल्म की कहानी को मेघना गुलजार ने भवानी अय्यर और शांतनु श्रीवास्तव के साथ मिलकर लिखी है। तीनों ने अपनी रिसर्च और राइटिंग से फिल्म को कसा और सधा हुआ लिखा है। फिल्म के डायलॉग भी अच्छे हैं। मेघना ने डायेरक्शन की सबसे अच्छी और मजबूत कड़ी है रिसर्च। इसकी बदौलत उन्होंने अपनी फिल्म के हर एक फ्रेम को परफेक्ट तरीके से कंपोज किया है। कोई भी जितने अच्छे फ्रेम उतनी की सटीक लोकेशन। इन सभी एलिमेंट्स से मेघना ने सैम बहादुर की बायोपिक को गुलजार कर दिया है।
टेक्निकल टीम की दिखी मजबूती
फिल्म को जय आई पटेल ने शूट किया है। स्टोरी बोर्ड में मेघना के द्वारा चित्राए गए फ्रेम को जय ने स्कीन में हूबहू उकेरा है। जय की लाइटिंग सेंस और कलरिंग की भी तरीफ बनती है। इसमें उनको नितिन बैद की कैंची का भरपूर साथ मिला है। एडिटिंग के लेवल पर नितिन ने कमाल किया है। फिल्म का प्रोडक्शन सुब्रता चक्रबर्ती और अमित रे ने डिजाइन किया है।
बैकग्राउंड के साथ गानों ने भी भरा दम
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर केतन सोढ़ा ने कंपोज किया है। जो फिल्म के सीन्स के हिसाब से बढ़िया है। बात करें फिल्म के म्यूजिक की तो इसे शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी ने कंपोज किया है। फिल्म दो ही गाने हैं, जिन्हें नॉर्मल सुनने में वह इम्पैक्ट नहीं दिखता है। इसे ही जब आप फिल्म में सीन के साथ सुनते हैं तो मजा आ जाता है।
परफॉर्मेंस के लिए देखें फिल्म
सैम बहादुर 2 घंटे 30 मिनट की फिल्म है, इसमें विक्की से लेकर सान्या और दूसरे एक्टर्स की जबरदस्त परफॉर्मेंस है। साथ ही सैम मानेकशॉ के किस्से और देशभक्ति के जज्बे के लिए भी देखा जा सकता है। फिल्म में सबकुछ अच्छा है।
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