12th Fail Movie Review: 12वीं फेल कर विक्रांत ने लिखी करियर की नई इबारत, विधु विनोद की फिल्म में सबकुछ परफेक्ट

क्रिटिक्स रेटिंग

3.5
12th fail movie review

12th fail movie review

कास्ट एंड क्रू

Vikrant Massey

Medha Shankar

Anshuman pushkar

Anant Joshi

कहानी- कई बार हमने भारतीय फिल्मों में सुना है कि ईमानदारी से दो वक्त की रोटी नहीं मिलती। गरीब-मध्यम वर्ग के लिए मेहनत और ईमानदारी ही सबकुछ होती है। इसकी वजह से कई बार बुरे परिणाम भी देखने को मिलते हैं। इसके बाद भी उसका हार नहीं मानूंगा वाला मिजाज रहता है। वैसे प्यार में भी कम ताकत नहीं होती है, फिल्मों के साथ इसकी ताकत असल जिंदगी में भी दिखती है। प्रेमी कहता है ना, तुम बस कहो मैं दुनिया ना बदल दूं तो कहना...। मध्यप्रदेश के चंबल क्षेत्र के भिलगांव में एक परिवार अपना जीवन यापन कर रहा होता है। इस परिवार में मां, बेटे-बहू और पोते-पोती रहते हैं। दादा आर्मी में थे, बेटा भी खूब ईमानदार है और सरकारी नौकरी कर रहा है। एक दिन उसे अधिकारी काला-बाजारी में साथ देने के लिए कहता है, लेकिन वह जूतमपैजार करके सस्पेंड हो जाता है। उसका एक बेटा मनोज 12वीं पास होकर चपरासी बनने का सपना देखता है। हालांकि वह चीटिंग से पास होता है।
एक बार नकल नहीं हो पाती और वह 12वीं फेल हो जाता है। पिता के सस्पेंशन से घर पर आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। भाई के साथ वह लड़का जुगाड़ चलाता है, पर बड़े लोगों को वह रास नहीं आती और पुलिस केस हो जाता है। यहां उसे डीएसपी मिलते हैं जहां उसकी पूरी सोच बदल जाती है। फिर क्या पढ़ता है पास होता है और डीएसपी बनने चला जाता है। वहां पता चलता है सरकार के पास पैसे नहीं हैं और राज्य प्रशानिक सेवा की भर्तियां 3 साल के लिए रुक गई हैं। अब क्या करे...पर रास्ता तो मिलता ही है। वह दिल्ली पहुंचता हैं, यहां उसे एक तुतुल नाम का लड़का मिलता है जो गौरी भैया से परिचय करवाता है। बस यहीं से उसकी जिंदगी बदल जीत है। वह IPS की तैयारी करता है। पैसे नहीं है पर संघर्ष करके कोशिश करता है। जैसे तैसे एक बार प्री निकल कर मेन्स में पहुंचता है, पर साला इश्क हो गया और वह प्रेमी बन गया। जिंदगी फिर बदल गई। रीस्टार्ट किया पर असफलता हाथ लगी। इस बीच पिता भी कहता है कि चल बेटा ईमानदारी में कुछ नहीं रखा, काला बाजारी करते हैं खूब पैसे कमाएंगे। मनोज के दिमाग में ईमानदारी छाई है। यहां गौरी उसकी मदद करता है। इसी बीच एक दिन प्रेमिका कहती है कि सुनो प्रेमी..दुनिया बदल दो। बस इसके बाद इतिहास लिख जाता है।
एक्टिंग- विक्रांत मेस्सी ने फिल्म 12वीं फेल में मनोज कुमार शर्मा का किरदार निभाया है। इस किरदार के लिए विक्रांत का काम काबिल-ए-तारीफ है। फिल्म में उन्हें देख यह कहना गलत नहीं है कि मनोज का किरदार उन्होंने जिया है। विक्रांत अपने अच्छे अभिनय के लिए जाने जाते हैं। यहां वह इमोशनल भी करते हैं। इस फिल्म के लिए विक्रांत ने हां की, इसकी भी तारीफ बनती है। श्रद्धा के किरदार में मेधा शंकार हैं। उन्होंने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जो डिप्टी कलेक्टर बनना चाहाती है, क्योंकि देश सुधारना है। उनकी एक्टिंग और अप्रोच बिल्कुल सही है। मेधा ने विक्रांत के साथ अपनी केमेस्ट्री पर अच्छा काम किया है। अंशुमन पुष्कर ने इस फिल्म में गौरी का किरदार निभाया है। ग्रहण और जमताड़ा के बाद यहां भी उन्होंने अच्छा काम किया है। अंशुमन के निभाए गए किरदार गौरी को देख ऐसा लगता है कि जीवन में एक ऐसे भैया सबके पास होने चाहिए। फिल्म में प्रियांशु चटर्जी ने ईमानदार डीएसपी दुष्यंत सिंह का किरदार निभाया है। उनका काम इम्पैक्टफुल है। इसके अलावा फिल्म में पलक लालवानी, हरीश खन्ना, संजय विश्नोई, सैम मोहन का काम बढ़िया है। वहीं, तुतुल का किरदार यादगार है।
राइटिंग और डायरेक्शन- फिल्म की कहानी 12वीं फेल नॉवल से ली गई है। यह कहानी IPS मनोज कुमार शर्मा की है। उनकी जीवनी सच में इंस्पिरेशन है, लेकिन यहां विधु विनोद चोपड़ा का ट्रीटमेंट कमाल का है। 12वीं फेल में जसकुंवर कोहली, अनुराग पाठक व आयुष सक्सेना ने भी विधु को लिखने में मदद की है। फिल्म के स्क्रीनप्ले और डायलॉग में विधु विनोद चोपड़ा का अनुभव नजर आता है। यही बात उनके डायरेक्शन में है। फिल्म की कहानी जिस क्षेत्र की है, उसे वैसे ही रूप में दिखाया गया है। यह रियल स्टोरी है, ऐसे में विधु ने सिनेमैटिक लिबर्टी नहीं ली है। 3 साल 12वीं फेल लेकर आए विधु ने इस बार अपनी फिल्म से इमोशनल और हौसलों को प्रेरित करने का काम किया है।
सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग- फिल्म को रंगराजन रामाबद्रन ने शूट किया है। फिल्म को अधिकतर रियल लोकेशन में शूट किया है, फिल्म में गोरिल्ला शॉट की भरमार है। इतने क्राउड को शूट करना और अच्छे से कैप्चर करने का काम रंगराजन से खूब अच्छा किया है। कुछ फ्रेम फिल्म के काफी शानदार हैं। इसमें फाइनल रिजल्ट वाला फिक्स फ्रेम शॉट भी शामिल है। वहीं, एडिटिंग की कमान भी विधु विनोद चोपड़ा ने जसकुवंर कोहली के साथ संभाली है। यहां दोनों का काम खूब कसा हुआ है, कहीं भी कोई खामी नहीं लगती है। फिल्म की स्पीड भी एक पेस में रखी है, जिससे ना बोरियत होती और ना ही कुछ फास्ट फॉर्वर्ड लगता है।
म्यूजिक- फिल्म का म्यूजिक शांतनु मोइत्रा का है। इस फिल्म में म्यूजिक को फिलर की तरह यूज किया है, जो आपको इमोशनल भी करता है। इसकी सिग्नेचर ट्यून आपके दिमाग में घर कर जाएगी। शांतनु ने अपने काम को भी बखूबी निभाया है, इससे फिल्म को और मजबूती मिली है।
कनक्लूजन- 2 घंटे 27 मिनट की इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए। इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है। फिल्म में प्यार, परिवार, दोस्ती और ईमानदारी सारे पहलू समझाए हैं। इसे विक्रांत मेस्सी और विधु विनोद चोपड़ा के लिए भी देखना चाहिए। रियल स्टोरी है, तो इसे मनोज कुमार शर्मा के लिए भी देखा जाना चाहिए। यह फिल्म प्रेरणा के साथ खुशी के आंसू भी देगी। सिनेमाघर से निकलते हुए आपको बहुत कुछ एहसास होगा। हो सकता है इससे आपके जीवन में कुछ नई शुरुआत भी हो। खैर..जाइए और देखिए 12वीं फेल।
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आर्टिकल की समाप्ति

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