Aadi Shankaracharya Review: धार्मिक पुनर्जागरण के महानायक 'आदि शंकराचार्य' के जीवन यात्रा पर ले जाता हैं पहला सीजन
Aadi Shankaracharya Movie Review
Aadi ShankaracharyaWeb Series Review: पिछले कुछ दशकों में भारत में आदि शंकराचार्य बहुत प्रासंगिक हो गए हैं। आठवीं शताब्दी में सनातन धर्म को संगठित करने वाले आदि शंकराचार्य आख़िर कौन थे इसकी जिज्ञासा नई पीढ़ी में भी देखी जा सकती हैं । इसलिए जब श्री श्री रविशंकर जी की संस्था ने आदि शंकराचार्य पर आधारित वेब सीरीज का ट्रेलर के साथ इसके निर्माण की घोषणा की तो दिलचस्पी बढ़ जाति हैं की आख़िर इस कहानी में ऐसा क्या खास है इस दिवाली पर यह सीरीज आर्ट ऑफ़ लिविंग ऐप पर रिलीज हो रही हैं आइए जानते हैं ओंकार नाथ मिश्रा निर्देशित वेब सीरिज आदि शंकराचार्य सीरीज का पहला सीजन कैसा है ।
कहानी
कहानी की शुरुआत होती है भारत के स्वर्णकाल से जब इस देश की सीमाएं दूर देशों तक फैली हुई थी और समाज में बौद्ध धर्म सहित अन्य संप्रदायों का प्रादुर्भाव होना शुरू हुआ था। कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने अहिंसा का मार्ग चुना और बौद्ध धम्म के प्रचार प्रसार मे व्यस्त हो गए। सम्राट का धर्म प्रजा और साम्राज्य कि रक्षा करना होता है पर सनातनी मूल्यों का त्याग सम्राट अशोक को अदूरदर्शी बना देता है और समाज अलग अलग धर्मों और संप्रदाय में बँटने लगता है। समाज में वैमान्यस्यता, जात पात, महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों के विरुद्ध अपराध बढ़ने लगता है।
जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है भारतवर्ष सांस्कृतिक, भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक सभी मोर्चों पर पतन की ओर बढ़ने लगता है। इसी का फायदा उठा कर भारतवर्ष में विदेशियों विशेषकर अरबों ने आक्रमण कर दिया। एक ओर जहां शासकों ने भारतीय सनातन संस्कृति का त्याग करके भारतवर्ष को क्षीण किया वहीं कहानी को रोमांचक मोड़ देती है सिंध के वीर एवं दूरदर्शी हिन्दू शासक राजा दाहिर की उपस्थिति, जिन्होंने मृत्युपर्यंत संघर्ष किया लेकिन अपने सिपहसालार और अधम अरबों की भ्रष्ट युद्ध नीति से वीरगति को प्राप्त हुए। कहानी आगे बढ़ती है और जब भारतीय समाज विदेशी आक्रमण, धर्म परिवर्तन, सामाजिक विपन्नता जैसे मुद्दों से जूझ रहा था उसी समय 788 ई० में भारत के दक्षिण में केरल में शिव पूजक नंबूदरी ब्राह्मण शिवगुरु एवं अर्यम्बा के यहाँ भगवान शंकर के आशीर्वाद से जन्म होता है एक प्रतापी बालक का, जो भारत के युवा सन्यासी धर्म सम्राट धर्म प्रवर्तक और भारतीय सांस्कृतिक इतिहास से युगपुरुष शंकराचार्य बनते हैं और अपनी माता के आशीर्वाद से भारतीय सांस्कृतिक परंपरा और मूल्यों को फिर से समाज में स्थापित करते हैं। वर्तमान समय में जिस प्रकार भारतीय समाज का पश्चिमी सभ्यता के प्रति आकर्षित हो रहा है, नई पीढ़ी में अपने स्वर्णिम इतिहास के प्रति गर्व की भावना जगाने में यह सीरीज प्रभावी साबित होगी।
सीरीज में कुल 10 एपिसोड हैं। हर एपिसोड को ऐसे नाम दिए गए हैं जो उस एपिसोड में निहित कथानक को बताते हैं। पहला एपिसोड ‘आगमन’ में आदि शंकर के जन्म का वृत्तान्त है दूसरा एपिसोड ‘विलक्षण बुद्धि और विदेशी षणयंत्र’, इसी प्रकार चौथा एपिसोड ‘गुरुकुल में प्रवेश’ पाँचवाँ ‘कलरीपट्टु और चाइनीज युद्ध कला’ छठवाँ ‘पहला चमत्कार’ से होते हुए दसवें एपिसोड ‘सन्यास’ में 8 वर्ष के बालक शंकर के सन्यास ग्रहण करने और गृह त्याग की कहानी दर्शायी गई है।
एक्टिंग
अभिनय की बात करें तो इस वेब सीरीज में सभी कलाकार ने बहुत ही उम्दा अभिनय किया हैं । आदि शंकराचार्य के किरदार में अर्नव खानिजों परफेक्ट हैं कि उनको देखकर लगता है कि आदि शंकर अपने बालक रूप में ऐसे ही दिखते होंगे। उनकी संवाद अदायगी सरल लेकिन प्रभावशाली है। निर्देशक उनका बेस्ट स्क्रीन पर उतारने में सफल रहे हैं। पिता शिवगुरु के रोल में संदीप मोहन का अभिनय प्रभावशाली है। स्क्रीन पर उनकी प्रेज़न्स ही बता देती है कि वो एक मंझे हुए और अनुभवी कलाकार हैं।
माता के किरदार में सुमन गुप्ता प्रभावित करती हैं और उन्होंने अपने उम्दा अभिनय से अपने किरदार से साथ पूरा न्याय किया है। उनको टीवी पर किये गए अपने काम का पूरा फायदा मिला है। अभिनेता राजीव रंजन आचार्य विभूति का किरदार निभाया है जिसमें उन्होंने अपने संजीदा अभिनय से प्रभावित करते हैं ।
राजा दाहिर के किरदार में शिवेन्दू ओमशाइनिवाल और गुप्तचर मुक्तिमणी के किरदार में ऐक्टर हितेन्द्र उपासनी ने अपने छोटे से रोल में वो कर दिखाया है कि इन दोनों ऐक्टर्स का अभिनय वर्षों तक याद रखा जाएगा। टीवी के अनुभवी कलाकार गगन मालिक सम्राट अशोक को स्क्रीन पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। बाकी के कलाकार भी दर्शकों को कहानी से जोड़ने में सफल रहे है। इस वेब सीरीज की कास्टिंग में काफी बारीकियों का ध्यान रखा गया है। पहली पंक्ति से लेकर अंतिम पंक्ति तक सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को स्क्रीन पर जीवंत बना दिया है दर्शक चाह कर भी खुद को कहानी से अलग नहीं कर पाएगा।
डायरेक्शन
सीरीज में सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण भूमिका लेखक और निर्देशक ओंकारनाथ मिश्रा की है बतौर निर्देशक वह धार्मिक कथानक को तथ्यों और नाटकीयता के साथ मनोरंजन बनाते हैं । सीरीज के पहले सीजन में जन्म से संन्यास तक की यात्रा में उन्होंने प्रमुख घटनाओं के फिल्मांकन में फ़िक्शन का सहारा नहीं लिया हैं बल्कि प्रस्तुति और स्टोरी टेलिंग से वह दर्शकों को बांध कर रखते हैं । आदि शंकराचार्य को अवतारी पुरुष माना जाता है ऐसे में इस कहानी में
देखें या नहीं?
वैसे तो आदि शंकराचार्य पर फिल्मे पहले भी बन चुकी है। लेकिन वेब सीरीज बनाने का साहस ओंकारनाथ मिश्रा ने पहली बार किया है जिससे कि भारतीय संस्कृति के अनसंग हीरो आदि शंकराचार्य की गाथा और उनके योगदान की जानकारी हर भारतीय तक पहुँच सके।
भारत के पुनर्जागरण और उसके विस्मृत नायक की कहानी को वेब सीरीज के माध्यम से यह सराहनीय प्रयास है 1 नवंबर को यह सीरीज पूरे भारत में रिलीज की जाएगी जो कि आर्ट ऑफ लिविंग के एप पर फ्री ऑफ द कॉस्ट उपलब्ध होगी। यह सीरीज कुल हिंदी, अंग्रेजी के साथ तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम , मराठी और बंगाली भाषा में भी दर्शक देख पायेंगे ।
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आर्टिकल की समाप्ति
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