निर्मल चंद्र डंडरियाल की फिल्म आकाश गंगा ने जीता सर्वश्रेष्ठ भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म का पुरस्कार, सोशल मीडिया पर लगा बधाइयों का तांता

Best Indian Documentary film Award: चंद्र डंडरियाल द्वारा निर्देशित आकाश गंगा को सर्वश्रेष्ठ भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म (राष्ट्रीय प्रतियोगिता) घोषित किया गया, जबकि अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार निष्ठा जैन द्वारा निर्देशित द गोल्डन थ्रेड को दिया गया है। रिकॉर्ड तोड़ 12,000 प्रतिनिधियों की उपस्थिति और 314 फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ 18वें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (एमआईएफएफ) का समापन शानदार तरीके से हुआ

Best Indian Documentary film Award

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तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

Best Indian Documentary film Award: रिकॉर्ड तोड़ 12,000 प्रतिनिधियों की उपस्थिति और 314 फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ 18वें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (एमआईएफएफ) का समापन शानदार तरीके से हुआ। एमआईएफएफ के इस संस्करण में अभूतपूर्व प्रतिनिधि भागीदारी देखी गई, जिसमें उत्साही लोगों ने विभिन्न स्क्रीनिंग, पैनल चर्चा और मास्टरक्लास में भाग लिया। महोत्सव के दौरान 59 विभिन्न देशों की फिल्में दिखाई गईं, जो न केवल मुंबई में आयोजित की गईं, बल्कि पहली बार दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में भी आयोजित की गईं।

समापन समारोह में निर्मल चंद्र डंडरियाल द्वारा निर्देशित आकाश गंगा को सर्वश्रेष्ठ भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म (राष्ट्रीय प्रतियोगिता) घोषित किया गया, जबकि अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार निष्ठा जैन द्वारा निर्देशित द गोल्डन थ्रेड को दिया गया।

फेस्टिवल डायरेक्टर और एनएफडीसी के एमडी प्रीतुल कुमार ने इस साल के एमआईएफएफ को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया पर संतोष जाहिर किया। "असाधारण उपस्थिति से पता चलता है कि दर्शकों के बीच डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्में और एनीमेशन में रुचि बढ़ रही है। एमआईएफएफ की सफलता का श्रेय मजबूत प्रोग्रामिंग को दिया जाना चाहिए, जिसने भविष्य के एडिशन के लिए नए मानक स्थापित किए हैं।"

रिची मेहता, संतोष सिवन, डेनिएला वोल्कर, केतन मेहता, तुषार हीरानंदानी, अल्फोंस रॉय, टी.एस. नागभरण जैसे कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की मौजूदगी के साथ 18वें एमआईएफएफ की इसके उत्कृष्ट संगठन और स्थल डिजाइन के लिए सराहना की गई, जिससे मुंबई में मानसून की बारिश से सुरक्षा सुनिश्चित हुई। विशेष सहायता की आवश्यकता वाले उपस्थित लोगों के लिए वॉलंटियर्स को प्रशिक्षण प्रदान करना और फेस्टिवल परिसर में रैंप स्थापित करना, सभी प्रतिभागियों के लिए पूरे अनुभव को बेहतर बनाता है।

गैर-लाभकारी संगठन स्वयं के साथ काम करते हुए, फेस्टिवल में स्वयंसेवकों और टीम को विशेष प्रशिक्षण दिया गया ताकि उन्हें उन इक्विपमेंट्स से बेहतर ढंग से लैस किया जा सके जिन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता थी। फेस्टिवल परिसर में रैंप की स्थापना के साथ ही आयोजन स्थलों को भी सुलभ बनाया गया।

सुनने और देखने में दिक्कत रखने वाले लोगों के लिए विशेष स्क्रीनिंग भी की गई।

"मुझे लगता है कि फिल्मों का चयन बहुत अच्छा था और कई डॉक्यूमेंट्री ज्ञानवर्धक थी। यह विशेष रूप से अच्छा था क्योंकि सब कुछ एक ही परिसर में था और हम ऐप पर बुकिंग कर सकते थे, अगली स्क्रीनिंग के लिए भाग सकते थे, खाना खा सकते थे और अपने दोस्तों के साथ चर्चा भी कर सकते थे, बिना बाहर निकले या भीगे हुए।"

इस वर्ष फेस्टिवल ने स्क्रीनिंग बुकिंग और इसके बैज रजिस्ट्रेशन को भी डिजिटल कर दिया, ताकि समय पर पहुंचने को और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके। इसके अलावा विभिन्न देशों, भारतीय राज्यों, स्टार्ट अप और स्किल काउंसिल के स्टॉल ने इच्छुक दर्शकों और प्रतिनिधियों को बातचीत करने, सीखने और जुड़ने का अवसर दिया।

पहली बार लगाए गए डॉक्यूमेंट्री बाजार में "कार्य प्रगति पर है" और वीविंग रूम में 108 प्रोजेक्टस देखे गए, जबकि सह-निर्माण के लिए 63 प्रविष्टियों में से 16 प्रोजेक्ट चुने गए। इस वर्ष डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्मों और एनीमेशन के निर्माण में रुचि रखने वाले 15 निर्माता डॉक्यूमेंट्री बाजार का हिस्सा थे।

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माधव शर्मा author

माधव शर्मा, टाइम्स नाउ नवभारत, (Timesnowhindi.com) में बतौर कॉपी राइटर जून 2022 से जुड़े हैं। इससे पहले वह India TV में भी काम कर चुके हैं। वह दिल्ली ...और देखें

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