Swaran Ghar: स्वरण के किरदार से संगीता घोष का क्यों है खास जुड़ाव, रुपाली गांगुली के शो अनुपमा से मिलती है थीम

Swaran Ghar: संगीता घोष इन दिनों टीवी शो स्वरण घर में नजर आ रही हैं। शो के थीम की तुलना अनुपमा से भी होती है क्योंकि दोनों ही शोज में मां को एक खास कसौटी पर तोला जाता है। जानें अपने शो पर संगीता क्या कहती हैं।

Swaran Ghar: स्वरण के किरदार से संगीता घोष का क्यों है खास जुड़ाव, रुपाली गांगुली के शो अनुपमा से मिलती है थीम
Swaran Ghar: संगीता घोष, टीवी जगत की जानी मानी अदाकारा हैं। कई शोज में एक्टिंग करने के साथ साथ उन्होंने कई अवार्ड फंक्शन्स भी होस्ट किए हैं। हाल में संगीता वूट और जीयो सिनेमा पर रिलीज हुए सरगुन मेहता और रवि दुबे द्वारा निर्मित शो स्वरण घर में नजर आ रही हैं। सरगुन और रवि के ड्रीमीयाता एंटरटेनमेंट्स की इस पेशकश को हर जगह खूब सराहा जा रहा है। बच्चे अपनी मां के साथ कैसे व्यवहार करते हैं : इस थीम को लेकर शो की तुलना कई बार रुपाली के शो अनुपमा से भी होती है.
शो के टाइटल से है संगीता को खास लगाव
शो की बात करते हुए, संगीता कहती हैं कि कैसे कार्यक्रम का ये शीर्षक स्वरण घर एक बहुत ही खूबसूरत नाम है। जिसको दो तरह से समझा जा सकता है, पहला सोने का घर जिसका मतलब हो सकता है कि कैसे इसमें रहने वाले लोगों का दिल भी सोने का है। साथ ही दूसरा इस आधार पर हो सकता है कि, शो की मुख्य पात्र का नाम स्वरण है और ये उसके घर की उसकी जिंदगी की कहानी है। साथ ही संगीता बताती है कि इस शो के बारे में मुझे सबसे अच्छी बात ये लगती है कि, ये एक बहुत ही अहम मुद्दे पर बात करता है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे अपने बच्चों से प्यार, रिस्पेट, साथ होने की उम्मीद रखना सही है या गलत। और ये न केवल पैरेंट-चाइल्ड रिलेशनशिप की कहानी है बल्कि हर रिश्ते का सार है। शो पूरी तरह से स्वरण की जिंदगी, उसमें आए उतार चढ़ाव की कहानी है। जो उसकी जिंदगी में उसके पति के निधन के बाद आते हैं।
स्वरण की जिंदगी से ऐसे मेल खाता है संगीता का जीवन
संगीता बताती है कि कैसे उनके लिए स्वरण का किरदार करना एक बहुत खास अनुभव है। क्योंकि वे इस कैरेक्टर से बहुत रिलेट कर पाती है। ये एक पेरेंट और बच्चे के बीच आने वाली चुनौतियों, दिक्कतों की कहानी है। हालांकि इस तरह की कोई परेशानी मैंने अपने असल जीवन में महसूस नहीं की है, टचवुड। लेकिन मां और बच्चे के इस रिश्ते से मैं खास जुड़ाव का अनुभव करती हूं। शो में रिश्तों के संदर्भ में इमोशन्स और ड्रामा एकदम कूट कूट कर भरा है। जिनसे आप अपने रोजमर्रा के जीवन में अवश्य ही गुजरते होंगे।
संगीता कहती हैं कि भारत में हम अपने परिवार से, दोस्तों से, काम से इतना दिल लगा बैठते हैं कि अलग होना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है। ये कहानी कोई ऐसी कहानी नहीं है, जिसको आपने पहले कभी सुना नहीं होगा। लेकिन शो की सादगी इसको सबसे अलग बनाती है। साधारण, नेचुरल, रिलेटेबल होना काफी कठिन होता है। कई बार हम जीत हासिल कर लेते हैं, कई बार नहीं कर पाते हैं। साथ ही बता दें कि संगीत अपने को-स्टार्स से भी काफी खुश हैं। वे सभी एक दूसरे की मदद करते हैं। और उम्मीद करते हैं कि आगे आने वाले दिनों में शो और अच्छा प्रदर्शन करे।
समय के साथ रिश्तों में ये बदलाव आया है
अपने निजी अनुभव से संगीता बताती है कि कैसे पहले की तुलना में आज कल की पीढ़ी का उनके मां-बाप से रिश्ता रखने का तरीका बदल गया है। वे कहती हैं - मुझे लगता है कि इस तरह का बदलाव फिलहाल केवल शहरों में आया है। गांवों में रह रहे लोग आज भी पहले जैसे ही हैं। उनके लिए अभी भी अपने अधिकारों के लिए, अपने लिए आवाज बुलंद कर पाना काफी मुश्किल है। जिस कारण दोनों पेरेंट्स और बच्चें को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। हर घर में किसी न किसी तरह की समस्या होती है। लेकिन किसी भी सूरत में पेरेंट और बच्चे दोनों की ही तरफ से दोनों पक्षों के लिए इज्जत कम नहीं होनी चाहिए।
क्यों ये कहानी एवरग्रीन है
संगीता इस बात का समर्थन करते हुए कहती हैं कि, पेरेंट और बच्चे का रिश्ता सदाबहार है। इसी तरह से पूरी दुनिया चलती है, इसी से दुनिया बनती भी है और इसी तरह से सब कुछ आगे बढ़ता है। आप शादी करते हैं, बच्चे होते हैं उस शादी और बच्चों से आपकी कुछ उम्मीदें होती हैं। तो ये एक पूरे सर्कल जैसा है, जो कभी खत्म नहीं होगा।
सरगुन और रवि के साथ काम करने की बात करते हुए संगीता कहती हैं कि उनके लिए ये एक बहुत शानदार अनुभव रहा है। वे बहुत कमाल के निर्माता हैं, दूसरे डेली सोप्स से विपरीत। वे हैसल फ्री है, फिर बात आती है क्रिएटिव टीम की, डायरेक्टर्स की, एक्टर्स की सब कमाल हैं। बता दें कि शो की शूटिंग चंढीगढ में चल रही है, जहां सब कुछ काफी आरामदायक तरीके से है। सभी लोगों के बीच काफी अच्छी बातचीत, तर्क वितर्क होते रहते हैं। हालांकि घर से दूर रहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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