खड़गे के सिर पर 'कांटों का ताज', कांग्रेस को भाजपा से मुकाबले के लिए कर पाएंगे तैयार!
Congress President Election Results 2022 : राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्री टी.एस.सिंहदेव के बीच भी सत्ता का संघर्ष चल रहा है। ऐसे में उन्हें वहां पर 2023 में होने वाले चुनाव के पहले पार्टी के अंतर्कलह को कम करना होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे ने जीता।
Congress New President: आखिरकार 24 साल बाद कांग्रेस को गैर गांधी अध्यक्ष मिल गया है। अस्सी साल के मल्लिकार्जुन खड़गे को ऐसे समय कमान मिली है, जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। उसके सबसे बड़े तुरूप के इक्के गांधी परिवार का जादू नरेंद्र मोदी के आगे फीका पड़ गया है। और लगातार हार और आंतरिक कलह से कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उसका साथ छोड़ चुके हैं। ऐसे में खड़गे को सबसे पहले न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह भरने की चुनौती है बल्कि उसके वरिष्ठ नेताओं को यह भी भरोसा दिलाना है कि उनका कांग्रेस में भविष्य उज्जवल है। और इसके बाद पार्टी को फिर से जीत की पटरी पर लाना है। और इसकी पहली परीक्षा गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से होगी।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट को कैसे करेंगे मैनेज
जिस तरह अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी के समय अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खींचतान एक बार फिर उभर कर सामने आई। उससे साफ है कि राजस्थान की रेत के नीचे अभी तूफान दबा हुआ है। अब खड़गे अध्यक्ष चुन लिए गए हैं, तो एक बार फिर रेगिस्तान में हवाएं तेज चलेंगी और वह तूफान उठेगा। ऐसे में 2023 के चुनाव के पहले खड़गे राजस्थान संकट को कैसे सुलझाते हैं। वह उनकी नेतृत्व क्षमता की अग्निपरीक्षा होगी। क्योंकि इस समय राजस्थान ही एक मात्र बड़ा राज्य है, जहां कांग्रेस की सत्ता है।
राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्री टी.एस.सिंहदेव के बीच भी सत्ता का संघर्ष चल रहा है। ऐसे में उन्हें वहां पर 2023 में होने वाले चुनाव के पहले पार्टी के अंतर्कलह को कम करना होगा।
गुजरात-हिमाचल में पहली परीक्षा
खड़गे के चुनावी कौशल की पहली परीक्षा गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होगी। जहां पर इसी साल 2022 में चुनाव होने हैं। गुजरात में आप की एंट्री के बाद चुनाव त्रिकोणीय हो चुका है। ऐसे में 27 साल बाद सत्ता में वापसी की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसी तरह हिमाचल प्रदेश में पार्टी के अंतर्कलह को खत्म कर फिर से सत्ता में वापसी करने का दारोमदार होगा।
2024 के लोकसभा चुनाव के पहले 10 अन्य राज्यों में चुनाव होंगे। इसमें मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सत्ता में आने के बाद पार्टी आंतरिक कलह की वजह से सत्ता गंवा चुकी है। वहां भी कांग्रेस की सत्ता वापसी की नजर रहेगी। इसके अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी का दबाव होगा। वहीं जम्मू और कश्मीर, मिजोरम, त्रिपुरा, तंलेगाना,मेघालय और नागालैंड में भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा । और इनमें पार्टी का प्रदर्शन 2024 में विपक्ष में कांग्रेस की भूमिका की तस्वीर साफ करेगा।
विपक्ष के साथ कैसे बनेंगे समीकरण
2014 और 2019 लोक सभा चुनाव में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन और पिछले 8 साल में करीब तीन दर्जन चुनाव हारने के बाद, कांग्रेस के सामने विपक्ष में भी अपनी भूमिका तय करने की चुनौती खड़ी है। ममता बनर्जी, नीतीश कुमार से लेकर केसीआर की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नजर आ रही है। और इसमें भी ममता बनर्जी तो कांग्रेस को किनारे कर विपक्षी एकता की बात करने लगी है। ऐसे में खड़गे के सामने इस बात की भी चुनौती होगी कि वह कांग्रेस को विपक्षी खेमे में मजबूत और सम्मानजनक स्थान दिलाएं।
गांधी परिवार के साये से निकल पाएंगे खड़गे
अंतिम और सबसे लाख टके का सवाल यही है कि जिस परिवारवाद के साये से निकलने के लिए खड़गे के पास अध्यक्ष पद की कुर्सी पहुंची है। क्या वह अध्यक्ष रहते हुए उस गांधी परिवार के साए से निकल पाएंगे। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो एक बार फिर भाजपा को कांग्रेस और गांधी परिवार पर हमला करने का मौका मिल जाएगा। खड़गे किस तरह पार्टी को चलाते हैं, इसका आभास राजस्थान और दूसरे राज्यों में उनकी भूमिका से मिलने लगेगा।
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