National Pension System: एनपीएस में निवेश करना चाहिए या नहीं, जानिए फायदे और नुकसान

National Pension System: नेशनल पेंशन सिस्टम या एनपीएस में निवेश करना चाहिए या नहीं, इस पर विचार करने से पहले रिटायरमेंट प्लान एनपीएस के बारे में जानना जरूरी है।

National Pension System

एनपीएस के बारे में जानिए

National Pension System: एनपीएस, रिटायरमेंट के लिए बचत करने का सबसे अच्छा तरीका है। इसमें 18 से 70 वर्ष के कामगारों से अंशदान एकत्र किया जाता है। अंशदान पर सेक्शन 80 CCD (1) के तहत टैक्स डिडक्शन भी मिलता है, और आप अपने एनपीएस अकाउंट में अंशदान के जरिए 1.5 लाख रुपए की डिडक्शन प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, 80 CCD (1B) के तहत, आप अतिरिक्त 50,000/- रुपए की अतिरिक्त डिडक्शन भी प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह से, आप इस विकल्प के जरिए 2 लाख रुपए तक की डिडक्शन प्राप्त कर सकते हैं।

एनपीएस में निवेश करने की लागत बहुत कम है तथा इसकी तुलना इंडेक्स फंड से की जा सकती है। आपके पैसे को ईक्विटी (E), सरकारी बांड (G), कॉर्पोरेट बांड (C) और वैकल्पिक फंड्स (A) जैसे आरईआईटी में बांट दिया जाता है। रिटर्न इंडेक्स फंड के समान होते हैं। एनपीएस में एक्टिव बनाम ऑटो डायवर्सिफिकेशन विकल्प भी उपलब्ध हैं। एक्टिव विकल्प में, ईक्विटी में अधिक एलोकेशन किया जाता है।

50 वर्ष की आयु तक, आपके पोर्टफोलियो का अधिकतम 75 प्रतिशत हिस्सा ईक्विटी हो सकता है, जिससे आपको बेहतर रिटर्न पाने में सहायता मिलेगी। लेकिन, जब 60 वर्ष की आयु तक पहुंचते हैं, तो ईक्विटी एलोकेशन को कम करके 50 प्रतिशत कर दिया जाता है ताकि आपके जोखिम को कम करने की व्यवस्था की जा सके। ऑटो विकल्प में, आप निवेश के एग्रेसिव, मॉडरेट, या कंजरवेटिव स्टाइल को चुन सकते हैं। अधिक एग्रेसिव शैली के लिए, आपका ईक्विटी में निवेश अधिक होगा।

निवेशकों को पेंशन सर्विस प्रोवाइडर्स में से चुनने की भी आजादी होती है, जैसे एलआईसी, एचडीएफसी, यूटीआई आदि। एनपीएस वेबसाइट पर उनके पिछले पर्फार्मेंस को पब्लिश किया जाता है। रिटर्न संबंधी यह डेटा आपके चयन का आधार हो सकता है। कुल मिलाकर, एक साधारण डेट निवेश जैसे पीपीएफ की तुलना में, हाइब्रिड निवेश से आपको बेहतर रिटर्न प्राप्त हो सकते हैं।

दिसम्बर, 2021 की अनुसार, एनपीएस द्वारा ईक्विटीज के मामले में करीब 15 प्रतिशत, कॉर्पोरेट डेट के लिए 10 प्रतिशत और सरकारी डेट के मामले में 9.5 प्रतिशत का 10 वर्ष में रिटर्न प्रदान किया है। इसलिए, E-C-G फंड्स में 75-15-10 के एग्रेसिव स्प्लिट के निवेश किए गए प्रत्येक 100/- रुपये के लिए रिटर्न लगभग 10/- रुपये हो सकते हैं, जिसके मायने हैं कि 10 वर्ष की अवधि के लिए 10 प्रतिशत रिटर्न प्राप्त होना।

यदि आप 30 वर्ष के लिए 12 महीनों में एक बार 1.5 लाख रुपए का निवेश करते हैं, तो 10 प्रतिशत रिटर्न के साथ आप 2.71 करोड़ रुपए की पूंजी प्राप्त कर सकते हैं। 8 प्रतिशत पर यह रकम 1.83 करोड़ रुपए होगी। 6 प्रतिशत पर यह रकम 1.25 करोड़ रुपए होगी। इसकी तुलना में, 15 वर्ष के पीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत का ही रिटर्न मिलता है, उससे आपको मौजूदा नियमों के तहत 40.68 लाख रुपए की ही रकम प्राप्त होगी।

कंजर्वेटिव निवेशकों के लिए, जो कॉर्पोरेट तथा सरकारी स्कीमों को पसंद करते हैं, गिरती ब्याज दरों के कारण मौजूदा आर्थिक स्थिति में रिटर्न काफी कम हैं। अभी तक एनपीएस ठीक नज़र आ रही है। इसके लिए ऑनलाइन साइन अप करना भी आसान है। एनपीएस वेबसाइट द्वारा इसे बहुत आसान बना दिया गया है। नेटबैंकिंग के जरिए अपने अकाउंट में अंशदान करना भी बहुत आसान है। समस्या तो अपने पैसे को वापस पाने से जुड़ी है।

आपका एनपीएस अकाउंट आपके 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर मैच्योर होता है। इस समय पर, आप अपने निवेश को विदड्रॉ कर सकते हैं। लेकिन, मौजूदा नियमों के तहत, आपको अपनी एनपीएस पूंजी का अनिवार्य रूप से 40 प्रतिशत हिस्सा एन्यूटी प्लान को खरीदने पर करना होगा। आप बाकी रकम रिडीम करवा सकते हैं यानी टैक्स फ्री शेष 60 प्रतिशत और जिसे आप अपनी मर्जी के मुताबिक खर्च कर सकते हैं।

एनपीएस का प्रबंधन पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा किया जाता है। इसका विजन, बूढ़े लोगों की आय की लगातार जरूरतों को पूरा करने के लिए सिस्टम को प्रोमोट और विकसित करना है। आंशिक तौर पर इसे यह तय करके किया जाता है कि रिटायरमेंट के पैसे का गलत आंवटन नहीं किया जाता है और परिवार के दूसरे सदस्यों द्वारा इसका गलत इस्तेमाल नहीं किया जाता है। एन्यूटी प्लान के साथ, पैसा लगातार आता रहता है।

आप 60 वर्ष की आयु से पहले भी अपने एनपीएस को विदड्रा कर सकते हैं, लेकिन आपकी पूंजी में से 80 प्रतिशत रकम का इस्तेमाल एन्यूटी प्लान खरीदने के लिए किया जाना चाहिए। लेकिन, यदि आपकी पूंजी 2 लाख रुपये से कम है, तो आप एन्यूटी खरीदे बिना पूरी रकम को विद्ड्रा कर सकते हैं। मौजूदा नियमों के तहत, एन्यूटी की जरूरतों के कारण कुछ समस्याएं पैदा हो गई हैं, जैसाकि हमने ऊपर देखा है, एन्यूटी, एक फिक्स्ड इंकम प्लान है, और इसके रिटर्न इंफ्लेशन से अधिक नहीं होते हैं।

जब तक आप ईक्विटी में उच्च आवंटन के साथ निवेश को जारी रखते हैं, तो आपकी पूंजी का औसत से अधिक रेट पर बढ़ना जारी रहेगा। और जैसे ही आपको अपना पैसा बाहर निकालना पड़ता है और आपको जबरदस्ती एन्यूटी प्लान खरीदना पड़ता है, जिस पर रिटर्न कम मिलता है, तो आपके पेंशन पोर्टफोलियो के लिए कुल मिलाकर रिटर्न में गिरावट हो जाएगी।

पीएफआरडीए द्वारा निम्न-ब्याज की स्थिति में एन्यूटी की जरूरत के साथ जुड़ी समस्या को समझा गया है। हाल के वर्षों में, इसके द्वारा विदड्रावल मानकों को सरल बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इससे छोटी पूंजी वाले एनपीएस निवेशकों को सहायता मिली है जो हर महीने कुछ 100 रुपये की पेंशन में फंसना नहीं चाहते हैं। यह भी सुझाव दिए गये हैं कि 40 प्रतिशत एन्यूटी के नियम हटा दिया जाना चाहिए। इसकी जगह एक सिस्टेमेटिक पे-आउट तरीका सुझाया गया है जिसमें निवेशक को 15 वर्ष की अवधि के दौरान 40 प्रतिशत का रिटर्न मिलता है।

अभी तक, यह सिर्फ एक विचार ही है। इसलिए, निवेशकों को एनपीएस में सजग होकर निवेश करना चाहिए। जब तक इसको लागू नहीं किया जाता है, एन्यूटी की जरूरत अपने फायदे और नुकसानों के साथ जारी है। ध्यान रखें कि, ये वर्तमान में उपलब्ध विकल्प हैं। हम सभी जानते हैं कि जब तक आपकी आयु 60 वर्ष की होगी, कमियां कम हो जाएंगी। बूढ़े लोगों के लिए फाईनेंशियल सुरक्षा समय की मांग है। संभव है कि मार्केट से कोई समाधान मिल जाए। लेकिन मौजूदा माहौल में, पेंशन को जेनरेट करने का बेहतर तरीका है।

(निम्नलिखित अंश BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी और ए आर हेमंत द्वारा पर्सनल फाइनेंस पर संयुक्त रूप से लिखी गई किताब यानी द बी, द बीटल एंड द मनी बग (The Bee, The Beetle and the Money Bug) का हिस्सा है, जिसका प्रकाशन रूपा द्वारा किया गया है)

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