पहले आम चुनाव में Ballot Paper छपवाने में लगा था 180 टन कागज और बनवाए गए थे 20 लाख Ballot Box, आज हुआ चुनाव तो लगेगा कितना कागज?

First Lok Sabha Election: पहले आम चुनाव में 17 करोड़ मतदाताओं के लिए 60 करोड़ बैलेट पेपर छापे गए थे और इसके लिए 180 टन कागज का इस्तेमाल हुआ था। इन बैलेट पेपर के लिए लोहे की 20 लाख मतपेटियां बनाई गई थीं, जिसके लिए 8200 टन इस्पात का इस्तेमाल किया गया था।

First Lok Sabha Elections.

देश के पहले लोकसभा चुनाव

Ballot Paper in India: आजादी के बाद कई ऐसे मौके आए जब भारतवासियों को गर्व करने का मौका मिला। ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण था देश का पहला लोकसभा चुनाव। तारीख थी 25 अक्टूबर, 1951...जब देशवासियों को पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका मिला और भारत के दस्तखत लोकतंत्र के पन्ने पर हमेशा के लिए दर्ज हो गए। देश के पहले आम चुनाव में करीब 17 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया था, जिसमें 85 फीसदी लोग तो लिख पढ़ ही नहीं सकते थे।

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इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपनी किताब 'इंडिया ऑफ्टर गांधी' में लिखते हैं, "पूरे भारत में कुल 2 लाख 24 हजार मतदान केंद्र बनाए गए थे। इसके अलावा लोहे की 20 लाख मतपेटियां बनाई गई थीं, जिसके लिए 8200 टन इस्पात का इस्तेमाल किया गया था। कुल 16500 लोगों को मतदाता सूची बनाने के लिए छह महीने के लिए अनुबंध पर रखा गया था"

यहां एक बात तो बिल्कुल साफ हो गई होगी कि देश के पहले लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से हुए थे। इन बैलेट पेपरों के लिए बैलेट बॉक्स भी बनाए गए थे। यह वह दौर था जब हर पार्टी के लिए अलग रंग का बैलेट बॉक्स होता था। पहले आम चुनाव में 17 करोड़ मतदाताओं के लिए 60 करोड़ बैलेट पेपर छापे गए थे और इसके लिए 180 टन कागज का इस्तेमाल हुआ था। इस पूरी प्रक्रिया में 10.77 लाख रुपये का खर्च आया था। आइए जानते हैं बैलेट पेपर छपने की पूरी कहानी और अगर आज बैलेट पेपर छापने पड़े तो कितना कागज लगेगा? कितने बैलेट पेपर छपेंगे और इसमें कितना खर्च आएगा? आइए जानते हैं...

लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग बैलेट पेपर

देश के पहले आम चुनाव के साथ कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए गए थे। यह वह दौर था, जब ईवीएम का नाम-ओ-निशान नहीं था। चुनाव आयोग ने तय किया था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग मतपत्र होंगे। लोकसभा के लिए मतपत्रों पर ऑलिव ग्रीन कलर की एक चौड़ी वर्टिकल लाइन प्रिंट की गई थी, जबकि विधानसभा चुनाव के लिए चॉकलेट कलर की लाइन बैलेट पेपर पर प्रिंट की गई थी। इन मतपत्रों की डिजाइन में कोई अंतर न हो, इसलिए सभी मतपत्र नासिक के सिक्यॉरिटी प्रेस से छपवाए गए थे।

हर उम्मीदवार के लिए अलग बैलेट बॉक्स

देश के पहले चुनाव के लिए करीब 20 लाख बैलेट बॉक्स बनवाए गए थे। किसी भी बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों का नाम नहीं छापा गया था। लिहाजा चुनाव आयोग ने हर उम्मीदवार के लिए अलग रंग का बैलेट बॉक्स ही रख दिया था। इन्हीं बैलेट बॉक्स पर उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न लगा दिया गया था। हर बैलेट बॉक्स 8 इंच ऊंचा, 9 इंच लंबा और 7 इंच चौड़ा होना था। इनकी डिजाइन ऐसी रखी गई थी कि बॉक्स का कोई भी हिस्सा बाहर निकला न हो, जिससे बक्सों को एक-दूसरे के साथ पैक करने में आसानी भी हो

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दिलचस्प रहा था चुनाव परिणाम

देश का पहला आम चुनाव काफी दिलचस्प रहा था। भले ही यह पहला चुनाव हो, लेकिन इसमें 53 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया था और 1874 उम्मीदवार मैदान में थे। यह चुनाव 489 सीटों पर लड़ा गया था, जिसमें कांग्रेस ने अकेले 364 सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर 3.27 फीसदी वोट के साथ भाकपा 16 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी। पहले चुनाव 25 अक्टूर से 21 फरवरी 1952 के बीच आयोजित किए गए थे।

आज बैलेट पेपर छापे गए तो कितना कागज लगेगा?

देश के पहले लोकसभा चुनाव में करीब 17 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया था और 60 करोड़ बैलेट पेपर छापे गए थे और इसके लिए 180 टन कागज का इस्तेमाल हुआ था। हालांकि, आज के समय में देश में मतदाताओं की संख्या करीब 6 गुना बढ़कर 97 करोड़ पहुंच गई है। अगर आज चुनाव के लिए बैलेट पेपर छापे जाते हैं तो इस हिसाब से लगभग 342 करोड़ बैलेट पेपर छापने पड़ेंगे और इसके लिए 1027 टन कागज का उपयोग होगा, जिसका खर्च 61.5 लाख रुपये (देश के पहले चुनाव में हुए खर्च के अनुसार) होगा। हालांकि, आज महंगाई काफी बढ़ चुकी है और वर्तमान में सामान्य कागज के दाम करीब 42 हजार रुपये प्रति टन है, ऐसे में मात्र कागज की कीमत करोड़ों होगी, जिसमें प्रिंटिंग कॉस्ट व अन्य खर्च अलग से होंगे।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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