सावधान...बिपरजॉय के बाद अभी आएंगे 'तेज', 'हमून' और 'मिधिली' जैसे कई तूफान
कुछ समय पहले ही तूफान मोचा आया था जिसका केंद्र ओडिशा था। इस बार बिपरजॉय गुजरात की तरफ बढ़ रहा है। बिपरजॉय के बाद भी राहत नहीं मिलने वाली है।
Cyclone Biparjoy: अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान बिपरजॉय गुजरात तट से टकराने से पहले ही विकराल रूप धारण कर चुका है। इससे निपटने के लिए गुजरात के कच्छ में जखाऊ तट को पूरी तरह खाली करवा लिया गया है। तूफान के आज शाम 4 से 8 बजे के बीच यहां पहुंचने की संभावना है। फिलहाल ये 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि बिपरजॉय बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है। इसके मद्देनजर एनडीआरएफ की 18 टीमें तैनात की गई है। इसके अलावा एसडीआरएफ की कई टीमें भी तैनात हैं।
इससे पहले आया था तूफान मोचा
कुछ समय पहले ही तूफान मोचा आया था जिसका केंद्र ओडिशा था। इस बार बिपरजॉय गुजरात की तरफ बढ़ रहा है। बिपरजॉय के बाद भी राहत नहीं मिलने वाली है। तूफानों के आने का सिलसिला जारी रहने वाला है। बिपरजॉय भारी तबाही मचाने वाला है, लेकिन इसके बाद भी कई तूफान आएंगे। इस क्षेत्र में अगले चक्रवात का नाम 'तेज' (Tej) रखा जाएगा और ये नाम भारत ने दिया है। तेज के बाद, ईरान और मालदीव अपने इलाकों के चक्रवातों का नाम क्रमश: 'हमून' (Hamoon) और 'मिधिली' (Midhili) रखेंगे। इस बार नाम प्रस्तावित करने की बारी बांग्लादेश की थी और उसने बिपरजॉय नाम दिया जिसका अर्थ है आपदा।
बांग्लादेश ने इस तूफान को बिपरजॉय नाम दिया है। यह भारत के पश्चिमी तट को तबाह करते हुए पाकिस्तान के तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तूफानों का नाम किस तरह दिया जाता है।
कैसे पड़ी तूफानों को नाम देने की परंपरा
पहचान की सुविधा के लिए चक्रवातों को खास और आसानी से पहचाने जाने योग्य नाम दिए जाते हैं। अतीत में एक अक्षांश-देशांतर विधि का इस्तेमाल पहचान के लिए किया जाता था। इसमें संख्याओं का उपयोग किया जाता था, जिससे लोगों को इसे याद रखने में मुश्किल होती थी। एक बार जब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर बनने वाला तूफान निश्चित तीव्रता तक पहुंच जाता है तो इसके नामकरण की जिम्मेदारी RSMC नई दिल्ली उष्णकटिबंधीय चक्रवात केंद्र पर आती है।
ये नाम उन क्षेत्रों के लिए विशिष्ट होने के बजाय एक रोटेशनल प्रणाली द्वारा निर्धारित किए जाते हैं जहां चक्रवात आएंगे। तूफानों के नामकरण की प्रथा मनमाने ढंग से शुरू हुई थी, लेकिन 1900 के मध्य में तूफानों के लिए स्त्री नामों का उपयोग करने का फैसला लिया गया। बाद में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने पुरुषों और महिलाओं दोनों के नामों के वैकल्पिक उपयोग की शुरुआत की।
एशिया में भारत सहित ये देश तय करते हैं नाम
रोटेशन में नामों की कुल छह सूचियों का इस्तेमाल किया जाता है। नतीजतन, 2019 की सूची का 2025 में दोबारा उपयोग किया जाएगा। हालांकि, अगर कोई तूफान असाधारण रूप से विनाशकारी साबित होता है, तो WMO संवेदनशीलता को देखते हुए ये नाम हटाने का फैसला कर सकता है, और एक नया नाम उसकी जगह लेता है। 2000 में मस्कट, ओमान में आयोजित उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर WMO/ESCAP पैनल के 27वें सत्र के दौरान सैद्धांतिक रूप से बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवातों को नाम देने पर सहमति हुई थी। इस पैनल में बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार और आठ अन्य देश शामिल हैं, जो सामूहिक रूप से बारी-बारी से नाम तय करते हैं।
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