Sharad Pawar News: शरद पवार के इस्तीफे के बाद कौन संभालेगा NCP की कमान, अजीत पवार या फिर सुप्रिया सुले

Sharad Pawar News: शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के ऐलान के बाद समर्थकों के हंगामे को शांत कराने के लिए अजीत पवार खासे तत्पर दिखे। उन्होंने समर्थकों से कहा कि वे पवार साहब को अपना फैसला बदलने के लिए ना कहें। पवार साहब हमारा नेतृत्व करते रहेंगे।

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शरद पवार का उत्तराधिकारी कौन (फोटो- फेसबुक)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
Reported By- प्रतिभा ज्योति: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के चीफ शरद पवार ने दो मई को अचानक पार्टी अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। यह सुनकर जहां महाराष्ट्र की सियासत में हंगामा मच गया, वहीं उनके समर्थकों में भारी निराशा फैल गई। समर्थक जिस एनसीपी की कल्पना शरद पवार के बिना नहीं कर सकते, उसी शरद पवार ने अब पार्टी के काम से आराम लेने का फैसला किया है।
24 साल से NCP की कमान पवार के हाथ में
समर्थकों ने शरद पवार से अपील की है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें, लेकिन पवार यह संकेत दे रहे हैं कि वे अपना फैसला नहीं बदलने वाले हैं। नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए उन्होंने एक नई कमेटी के गठन का सुझाव भी दिया है। ऐसे में सवाल है कि 1999 में एनसीपी के गठन के 24 साल तक शरद पवार जिस पार्टी के अध्यक्ष रहे, उसकी कमान अब कौन संभालेगा? उनके भतीजे अजीत पवार या उनकी बेटी सुप्रिया सुले? वैसे छगन भुजबल, जयंत पाटिल और प्रफुल्ल पटेल भी पार्टी के वरिष्ठ नेता है, लेकिन रेस में अजीत पवार और सुप्रिया सुले आगे हैं।
अजीत पवार की तत्परता
शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के ऐलान के बाद समर्थकों के हंगामे को शांत कराने के लिए अजीत पवार खासे तत्पर दिखे। उन्होंने समर्थकों से कहा कि वे पवार साहब को अपना फैसला बदलने के लिए ना कहें। पवार साहब हमारा नेतृत्व करते रहेंगे। नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए। बेहद चतुराई से कहे गए अजीत पवार के इस बयान से जाहिर होता है कि पार्टी अध्यक्ष की कमान वे अपने हाथों में लेने के लिए तैयार बैठे हैं।
भतीजे का पक्ष मजबूत
राजनीति के जानकार मानते हैं कि पार्टी अध्यक्ष के तौर अजीत पवार का दावा ज्यादा मजबूत दिखाई देता है, क्योंकि वे डिप्टी सीएम रह चुके हैं। अभी वे महाराष्ट्र में विपक्ष के नेत हैं। अपने चाचा के बाद अजीत पवार की पार्टी पर पकड़ मजबूत मानी जाती है। माना जा रहा है कि यदि अजीत पवार को यह जिम्मेदारी नहीं मिलती है तो वे एक बार फिर बगावती रुख अपना सकते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में यह चर्चा जोरों पर थी कि अजीत पवार पार्टी के कुछ विधायकों को लेकर बीजेपी से मिलने का मंसूबा बना रहे हैं।
कर चुके हैं बगावत
वे 2019 में बगावती तेवर दिखा चुके हैं। तब उन्होंने शरद पवार और पार्टी के फैसले के विपरीत जाकर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। अजीत तब डिप्टी सीएम बने थे। हालांकि यह सरकार कुछ ही दिनों की मेहमान रही और अजीत पवार फिर से अपने चाचा के साए में आ गए। कुछ समय के लिए पार्टी पर अपना वर्चस्व कायम करने की उनकी महत्वाकांक्षा ठंडी तो पड़ गई लेकिन दम नहीं तोड़ा। शरद पवार इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि अजीत पवार में पार्टी को तोड़ने का दमखम है, इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी को टूटने से बचाने के लिए उन्होंने अजीत पवार के लिए राह आसान कर दी है।
सुप्रिया का हाल
वहीं सुप्रिया सुले की बात करें तो शरद पवार की बेटी के नाते पार्टी में उनका सम्मान है और वे पार्टी सांसद भी हैं। वे तेजतर्रार नेता हैं और सभी पार्टी के नेताओं से उनके अच्छे संबंध भी हैं। लेकिन पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनकी स्वीकार्यता पर सवाल है, क्योंकि शरद पवार के बाद अजीत पवार का पार्टी पर ज्यादा प्रभाव माना जाता है। अजीत पवार महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी गहरी पकड़ बना चुके हैं और वे जमीन पर काम करने वाले नेता माने जाते हैं। जबकि सांसद होने के नाते सुप्रिया सुले दिल्ली आना-जाना करती रहती हैं। इसलिए पार्टी पर प्रभुत्व को लेकर अजीत पवार और सुप्रिया सुले में घमासान चलता रहता है।
परिवारवाद का आरोप
अजीत पवार को पार्टी की कमान मिले या सुप्रिया सुले को। यदि इन दोनों में से किसी एक का चुनाव होता है तो शरद पवार पर भी परिवारवाद को आगे बढ़ाते रहने का आरोप लगेगा, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति में परिवारवाद का मोह छूटना इतना आसान भी नहीं होता।
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प्रतिभा ज्योति author

प्रिंट, टीवी न्यूज एजेंसी और डिजिटल में काम करने का बेहद लंबा अनुभव. राजनीतिक मुद्दों पर पकड़ रखती हूं और उसके विश्लेषण की क्षमता है. खबर कहां है, क्य...और देखें

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