अग्निवीर बनाम शॉर्ट सर्विस : इतिहास के साथ जानिए दोनों के फायदे और नुकसान
अग्निवीर को लेकर पिछले दो वर्षों से देश में विपक्ष ने सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। हालांकि, अग्निवीरों के लिए उम्र की सीमा बढ़ाई गई है और 25 फीसद को स्थायी कमीशन के साथ ही अर्धसैनिक बलों में भी आरक्षण का आश्वासन दिया गया है। चलिए जानते हैं अग्निवीर और शॉर्ट सर्विस कमीशन में क्या बेहतर है।
अग्निवीर और शॉर्ट सर्विस कमीशन में फर्क
अग्निवीर... भारतीय सेना के लिए जहां यह नए रंगरूट भर्ती करने की योजना है, वहीं विपक्ष के लिए सरकार को घेरने का हथियार भी बन गए हैं। केंद्र सरकार ने जून 2022 में अग्निपथ योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाता है। अग्निपथ योजना के तहत 17 से 21 साल तक के युवाओं को भारतीय सेना में काम करने का अवसर दिया जाता है। हालांकि, बाद में अधिकतम उम्र 23 वर्ष कर दी गई। यहां तक अग्निपथ योजना और अग्निवीरों को लेकर कोई समस्या नहीं है। समस्या उनकी सेवा के वर्षों को लेकर है। अग्निवीरों को 4 साल तक सेना के साथ काम करने का अवसर मिलता है और उसके बाद सिर्फ 25 फीसद को ही सेना में पर्मानेंट कमीशन दिया जाता है। बाकी के 75 फीसद अग्निवीरों को रिटायर करके उनके घर भेज दिया जाएगा। इसी बात को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। हालांकि, अग्निवीरों के लिए पैरामिलिट्री फोर्सेस में भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इस बीच अग्निवीर और पहले से चली आ रही शॉर्ट सर्विस कमीशन के बीच तुलना रोचक हो सकती है। चलिए दोनों को समझते हैं -
अग्निवीर को कितनी सैलरीअग्निवीर योजना के तहत जिन 25 फीसद युवाओं को चार साल बाद पर्मानेंट कमीशन दिया जाएगा उनकी सर्विस कुल 15 वर्ष की होगी। जबकि 4 साल की सेवा के बाद जिन अग्निवीरों को पर्मानेंट कमीशन नहीं मिलेगा, उन्हें रिटायरमेंट फंड के तौर पर एकमुश्त 11 लाख, 72 हजार, 160 रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा चार साल की सेना की नौकरी के दौरान भी उन्हें 11 लाख, 72 हजार 160 रुपये की सैलरी मिलेगी। यानी इन चार वर्षों में उन्हें कुल 23 लाख, 43 हजार, 160 रुपये मिलेंगे। इस पैसे पर उन्हें किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि, रिटायरमेंट फंड में अग्निवीर और सरकार का बराबर योगदान होता है।
अग्निवीरों को पैरामिलिट्री फोर्सेस में आरक्षणअग्निवीर योजना को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा है। इस बीच गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि पूर्व अग्निवीरों को CISF में शामिल किया जाएगा। CISF महानिदेशक का कहना है कि उन्हें कॉन्स्टेबल के पदों पर 10 फीसद रिजर्वेशन, उम्र और फिजिकल परीक्षा में भी छूट दी जाएगी। CISF के अलावा BSF और CRPF का भी कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुसार वह 10 फीसद पद पूर्व अग्निवीरों के लिए रिजर्व रखेंगे। रिटायर होने वाले अग्निवीर को पहले साल में आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट मिलेगी, जबकि उसके बाद तीन साल की छूट दी जाएगी। इसके अलावा कई प्राइवेट कंपनियों ने भी अग्निवीरों को नौकरी में प्राथमिकता देने की बात कही है।
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शॉर्ट सर्विस में कितने वर्ष की सेवाशॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत युवाओं को सेना में 10 वर्ष का कमीशन दिया जाता है। 10 साल बाद कुछ सैनिकों को पर्मानेंट कमीशन के लिए चुना जाता है, जबकि बाकी रिटायर हो सकते हैं। जिन सैनिकों को पर्मानेंट कमीशन के लिए नहीं चुना जाता, उनके पास चार साल का एक्सटेंशन लेने का विकल्प होता है। हालांकि, इस दौरान वह कभी भी स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले सकते हैं। पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी ऑफिसर्स की भर्ती 5 साल के लिए होती थी और पर्मानेंट कमीशन नहीं मिलने पर उन्हें 5 साल एक्सटेंशन का विकल्प मिलता था।
शॉर्ट सर्विस कमीशन से रिटायर होने वाले अधिकारियों को कई जॉब में प्राथमिकता मिलती है। कई सरकारी नौकरियों में भी पूर्व सैनिकों को अवसर दिया जाता है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में उनके लिए सेक्योरिटी ऑफिसर सहित कई क्षेत्रों में अवसर होते हैं।
पेंशन - अग्निवीर बनाम शॉर्ट सर्विसअग्निवीरों के मामले में आप जानते हैं कि चार साल बाद सेना से बाहर आने वाले जवानों को 11 लाख, 72 हजार 160 रुपये दिए जाते हैं। लेकिन इसके बाद उन्हें किसी तरह की कोई पेंशन नहीं दी जाती और न ही पूर्व सैनिकों वाली कोई सुविधा। बात करें शॉर्ट सर्विस कमीशन से रिटायर होने वाले जवानों की तो उन्हें भी उनकी सर्विस के सालों के मुताबिक एकमुश्त राशि दी जाती है, जो 50 लाख रुपये के आसपास तक जाती है। इसके अलावा पेंशन का प्रावधान उनके लिए भी नहीं है।
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उम्र का फायदाअग्निवीर योजना के तहत 17 से 23 वर्ष के युवाओं को भर्ती किया जाता है। उदाहरण के लिए मान लिया जाए कि कोई अधिकतम 23 वर्ष का युवा अग्निवीर चुना जाता है और उसे पर्मानेंट कमीशन नहीं मिलता है। ऐसे में 26-27 साल की उम्र में उसके पास एकमुश्त 11 लाख, 72 हजार 160 रुपये होंगे, जिससे वह अपना छोटा-मोटा बिजनेस कर सकता है। इसके अलावा उसके पास पैरामिलिट्री फोर्सेस और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के विकल्प मौजूद होंगे। उम्र कम होने के कारण वह कुछ कोर्स करके नए सिरे से अपने करियर को दिशा दे सकता है। अगर कोई अग्निवीर 17 साल में ही भर्ती होता है और पर्मानेंट कमीशन नहीं मिलता है तो वह 21-22 साल की उम्र में रिटायर हो जाएगा। ऐसे में उसके पास करियर के ढेरों विकल्प होंगे।
अगर 23 साल का एक युवा शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में भर्ती होता है तो उसके पास सेना में कम से कम 10 साल का करियर होगा। 10 साल बाद वह रिटायर हो सकता है और चाहे तो 4 साल का एक्सटेंशन ले सकता है। कुछ को छोड़कर ज्यादातर 4 साल के एक्सटेंशन के विकल्प को चुनते हैं। 36-37 साल की उम्र में शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर के तौर पर रिटायर होने के बाद जवान के पास पैरामिलिट्री फोर्सेस में शामिल होने का विकल्प खत्म हो जाता है, क्योंकि वह उम्र सीमा को पार कर चुका होता है। यह ऐसा समय होता है, जब उनके बच्चे बड़े हो रहे होते हैं, उनकी जरूरतें बढ़ रही होती हैं। ऐसे में उनके पास प्राइवेट सेक्टर में या सरकारी दफ्तरों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने का ही विकल्प बचता है। आमतौर पर इस उम्र में कोई नया कोर्स करके नया करियर बनाने के बारे में सोचना मुश्किल होता है। वैसे, ऐसा करने वालों की भी कोई कमी नहीं है।
हालांकि, अग्निवीर और शॉर्ट सर्विस कमीशन दोनों में कोई तुलना नहीं है। क्योंकि अग्निवीर में जवान सैनिक के रूप में भर्ती होते हैं, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत ऑफिसर्स की भर्ती होती है, जो ग्रेजुएट होते हैं।
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