अजित पवार के साथ होने वाला है खेला? भतीजे को ऐसे सबक सिखा सकते हैं चाचा; समझें शरद पवार का प्लान

Chacha vs Bhatija: महाराष्ट्र के चाचा ने अपने भतीजे से बदला लेने का प्लान शायद बना लिया है, पिछले कई दिनों से ये चर्चा चल रही है कि अजित पवार के अंदाज में ही शरद पवार अपने भतीजे की पार्टी में दरार बनाने की योजना पर विचार कर रहे हैं। एक बार फिर इसके संकेत सामने आए हैं।

Sharad Pawar Plan For Ajit Pawar

महाराष्ट्र अब शरद पवार करेंगे खेला?

Sharad Pawar Plan For Maharashtra Assembly Election: वो कहावत है न, जैसे को तैसा... अपने भतीजे अजित पवार को सबक सिखाने के लिए चाचा शरद पवार ने अपनी कमर कस ली है। जहां एक ओर अजित पवार और सूबे के तमाम नेता महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं चाचा शरद अपने विरोधियों की कमजोर कड़ी पर चोट करने पर जोर दे रहे हैं। महाराष्ट्र की सियासत में मराठा योद्धा कहे जाने वाले शरद पवार ने अपने भतीजे की बगावत के लिए उन्ही के अंदाज में बदला धूल चटाने का मन बनाया है। इसकी प्लानिंग क्या हो सकती है, आपको इस लेख के जरिए समझाते हैं।

भतीजे से बदला लेने की क्या हो सकती है रणनीति?

अजित पवार ने जिस तरह पिछले साल अपने चाचा शरद पवार की पार्टी एनसीपी को दो हिस्से में बांट दिया था और ज्यादातर नेताओं को अपने साथ लाकर हर किसी को सन्न कर दिया था। बिल्कुल उसी तरह अब चाचा भी भतीजे की पार्टी में दो फाड़ कर सकते हैं। अजित पवार के खेमे में अभी भी उन्हीं नेताओं का बोलबाला है, जो कभी उनके चाचा के खास हुआ करते थे। इस कतार में छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल का नाम अव्वल दर्जे पर आता है। छगन भुजबल ने ऐसा कदम उठाया, जिससे ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले फिर बड़ा खेला होने वाला है?

भुजबल ने अजित पवार के चाचा शरद से की मुलाकात

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने सोमवार को मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की। इससे एक दिन पहले मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने को लेकर भुजबल ने पवार पर इशारों-इशारों में निशाना साधा था और अगले ही दिन वो शरद पवार से मिलने पहुंच गए, ऐसे में सवाल तो उठेगा ही कि क्या सूबे में फिर कोई खेला होने वाला है।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से ताल्लुक रखने वाले भुजबल पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के मुंबई स्थित 'सिल्वर ओक' आवास पर पहुंचे। उन्होंने अभी तक मुलाकात का कोई कारण नहीं बताया है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (उद्धव बालासाबेब ठाकरे) से मिलकर बने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता नौ जुलाई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए। उनका दावा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया। भुजबल ने रविवार को दावा किया था कि विपक्षी नेता नौ जुलाई को "शाम पांच बजे बारामती से आए एक फोन कॉल के बाद" बैठक में शामिल नहीं हुए।

शरद पवार का गढ़ है बारामती लोकसभा क्षेत्र

पुणे जिले के बारामती लोकसभा सीट को शरद पवार का गढ़ माना जाता है। राकांपा के सूत्रों ने बताया कि भुजबल को लग रहा है कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने कहा कि वह अजित पवार के संगठन के साथ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर राजनीतिक रूप से अलग-थलग हैं। भुजबल की शरद पवार से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राज्य के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि वैचारिक मतभेदों के बावजूद महाराष्ट्र में राजनीतिक नेताओं के बीच एक-दूसरे से चर्चा करना एक आम बात है। वहीं शरद पवार की पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, "यह शरद पवार की उदारता का परिचायक है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र में भी विपरीत विचार रखने वाले व्यक्तियों को समय देते हैं।"

क्या महाराष्ट्र में होने वाला है कोई बड़ा खेला?

महाराष्ट्र की सियासत विधानसभा चुनाव से पहले तेजी से करवट बदल रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे जबसे सामने आए हैं अजित पवार की पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। माना जा रहा है कि इसका फायदा उनके चाचा शरद पवार आसानी से उठा सकते हैं। अजित पवार की पार्टी में जो अनबन की खबरें सामने आ रही हैं, उससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि छगन भुजबल जैसे नेताओं को शायद पछतावा हो रहा होगा कि उन्होंने आखिर शरद पवार से क्यों बगावत की। मनमुटाव की खबरें सामने आने लगी हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह हैं अजित पवार की पत्नी...।

अजित पवार की पत्नी की वजह से टूटेगी पार्टी?

शरद पवार की पार्टी को जब उनके भतीजे ने तोड़ा था, उस वक्त उन्होंने ये दलील दी थी कि उनके चाचा अपनी पुत्री मोह में लीन हैं और उन्हें (अजित पवार को) उनका हक नहीं मिला। अगर आज अजित पर सवाल खड़े हो रहे है तो कहीं न कहीं वो खुद अपने चाचा की राह पर चल रहे हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को रिक्त राज्यसभा सीट के लिए मनोनीत किया गया, जिसके चलते बीते दिनों उनकी पार्टी एनसीपी में भारी असंतोष की खबरें सामने आईं। लाजमी है कि दिग्गज नेताओं के रहते हुए भी अजित अपनी पत्नी को आगे करेंगे तो सवाल को खड़े होंगे ही। वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने उस वक्त खुलकर नाराजगी व्यक्त की थी। वो खुद राज्यसभा सदस्य बनना चाहते थे, लेकिन अजित ने अपनी पत्नी को ये तोहफा दे दिया।

छगन भुजबल ने जब खुलकर बयां की नाराजगी

सूबे के प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल ने पार्टी के इस फैसले को लेकर ये दर्द बयां उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने बीते वक्त लोकसभा और राज्यसभा चुनावों के लिए टिकट बंटवारे की निष्पक्षता पर सवाल भी उठाए थे। उन्होंने सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजे जाने पर ये प्रतिक्रिया दे दी थी कि 'इसके (उन्हें टिकट न दिए जाने के) पीछे कारण हो सकते हैं। कभी-कभी यह नियति या किसी प्रकार की मजबूरी होती है।'

जब भुजबल से उस वक्त ये पूछा गया था कि लोकसभा और राज्यसभा चुनाव के टिकट को लेकर क्या उनके साथ अन्याय हुआ, तो उन्होंने साफ तौर पर नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि यह सवाल “उनसे” पूछा जाना चाहिए। भुजबल ने उस वक्त कहा था कि यह (सांसद बनने की) मेरी इच्छा है। इसलिए मैं नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार था। मुझे बताया गया कि दिल्ली में मेरा टिकट तय हो गया है, मैंने काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन जब (नाम की घोषणा का) फैसला एक महीने तक लटका रहा, तो मैंने काम बंद कर दिया क्योंकि काफी अपमान हो चुका था।

मौका देखकर पाला बदलने वालों के लिए सही मौका

सूबे में ये कहावत चलती है कि लोकसभा चुनाव में जिसका डंका बजा, वो विधानसभा चुनाव में अपना दबदबा कायम रखता है। पिछले कई चुनावों के नतीजों से इसे आसानी से समझा जा सकता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने सूबे की सबसे अधिक सीटों पर कब्जा किया तो उसके ठीक बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही परिणाम देखने को मिला। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा नीत एनडीए का दम दिखा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी लगभग ऐसी ही तस्वीर सामने आई थी। अब इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में फिर से कांग्रेस और विपक्षी दलों ने अपनी ताकत दिखाई है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलने का ये सबसे सही मौका हो सकता है, तो सवाल ये है कि क्या अजित पवार की पार्टी टूटने वाली है?

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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