अखिलेश यादव और मायावती क्या फिर आएंगे साथ? सपा के मुखिया ने दिया बड़ा संकेत, जानें क्या है माजरा
UP Politics: अखिलेश यादव ने मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले भाजपा विधायक को खरी-खोटी सुनाई है। उन्होंने इसे लेकर नाराजगी जताते हुए ये कहा है कि विधायक पर मानहानि का मुकदमा होना चाहिए। सपा प्रमुख ने आखिर ऐसा क्यों कहा, आपको इस रिपोर्ट में सारा माजरा समझाते हैं।
मायावती के खिलाफ की टिप्पणी तो विधायक पर भड़के अखिलेश यादव।
Akhilesh Yadav with Mayawati: भाजपा विधायक ने मायावती के लिए ऐसा क्या कह दिया, जिससे अखिलेश यादव ने खुलकर नाराजगी व्यक्त की और एमएलए को खरी-खोटी सुना दी। दरअसल, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक की 'आपत्तिजनक टिप्पणियों' पर नाराजगी व्यक्त किया और ये कहा है कि सार्वजनिक रूप से दिये गये इस वक्तव्य के लिए विधायक पर मानहानि का मुकदमा होना चाहिए।
क्या अखिलेश और मायावती के बीच फिर बनेगी बात?
मायावती के प्रति अखिलेश यादव की इस नरमी के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या जिस तरह अखिलेश और मायावती ने 2019 का लोकसभा चुनाव एकसाथ लड़ा था, उसी तरह आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में क्या सपा और बसपा का गठबंधन होगा, या फिर मायावती की पार्टी भी विपक्षी गठबंधन INDIA का हिस्सा बनेगी? फिलहाल ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन आपको इस लेख में सारा माजरा समझाते हैं कि आखिर भाजपा विधायक ने मायावती को क्यों सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया।
जब मायावती और अखिलेश आए थे एकसाथ
लोकसभा चुनाव 2019 में जब अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने एकसाथ चुनावी मैदान में ताल ठोका था, तो उस वक्त एनडीए और भाजपा को 2014 की तुलना में थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा था। 2019 में भाजपा नीत एनडीए को यूपी में 9 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था। जबकि अखिलेश को कोई फायदा या नुकसान नहीं हुआ था। सपा ने इस चुनाव में भी 5 सीटों पर जीत बरकरार रखी, लेकिन जो बसपा 2014 में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, उसने सपा के साथ चुनाव लड़कर 10 सीटों पर जीत दर्ज की। नीचे देखिए, लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे...।
पार्टी | वोट प्रतिशत | सीट |
भारतीय जनता पार्टी | 49.98% | 62 |
अपना दल | 1.21% | 2 |
बहुजन समाज पार्टी | 19.43% | 10 |
समाजवादी पार्टी | 18.11% | 5 |
कांग्रेस | 6.36% | 1 |
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक समाचार पर प्रसारित डिबेट शो का एक वीडियो क्लिप शेयर किया और लिखा कि 'उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक द्वारा राज्य की एक पूर्व महिला मुख्यमंत्री जी (मायावती) के प्रति कहे गये अभद्र शब्द दर्शाते हैं कि भाजपा नेताओं के मन में महिलाओं और खासतौर से वंचित-शोषित समाज से संबंध रखने वालों के प्रति कितनी कटुता भरी है।' उन्होंने इसी पोस्ट में लिखा कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह होते हैं, लेकिन एक महिला के रूप में उनका मान-सम्मान खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है।
'बेहद आपत्तिजनक है कि वह सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं'
सपा अध्यक्ष ने कहा 'भाजपा नेता कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हमने गलती की थी, यह भी लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान है और बिना किसी आधार के ये आरोप लगाना भी बेहद आपत्तिजनक है कि वह सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं।' सपा प्रमुख ने मांग की कि सार्वजनिक रूप से दिये गये इस वक्तव्य के लिए भाजपा के विधायक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा होना चाहिए।
'पहली बार भाजपा ने ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था'
अखिलेश ने कहा, 'भाजपा ऐसे विधायकों को प्रश्रय देकर महिलाओं के मान-सम्मान को गहरी ठेस पहुंचा रही है। अगर ऐसे लोगों के खिलाफ भाजपा तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है तो मान लेना चाहिए कि ये किसी एक विधायक का व्यक्तिगत विचार नहीं है बल्कि पूरी भाजपा का विचार है। घोर निंदनीय!' यादव ने समाचार चैनल का जो वीडियो साझा किया गया है उसमें मथुरा जिला स्थित मांट क्षेत्र के विधायक राजेश चौधरी को यह कहते सुना जा सकता है, 'मायावती जी चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है और पहली बार हमने (भाजपा) ही (उन्हें मुख्यमंत्री) बनाया था।' इसके बाद चौधरी कह रहे हैं, 'उत्तर प्रदेश में यदि कोई भ्रष्ट मुख्यमंत्री हुआ है तो उनका नाम है मायावती।'
गेस्ट हाउस कांड के बाद टूट गया था समझौता
सपा और बसपा एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं। हालांकि 1993 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के बीच विधानसभा चुनाव में समझौता हुआ था तब यह पहल बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने की थी। जून 1995 में लखनऊ के सरकारी अतिथि गृह में सपा और बसपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों के बाद यह समझौता टूट गया था। तब बसपा ने मायावती पर सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा हमला किए जाने का आरोप लगाया था। फिर 2019 में लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच समझौता हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश की 80 सीट में 10 सीट पर बसपा और पांच सीट पर सपा को जीत मिली थी लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद ही 2019 में यह समझौता टूट गया था और तब से अक्सर दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें
यूक्रेन को तबाही का हथियार दे रहा अमेरिका, आखिर कीव की मदद के लिए इतने उतावले क्यों हैं बाइडेन?
महाराष्ट्र में बंपर वोटिंग, टूटा 30 साल का रिकॉर्ड, आएगी MVA सरकार या महायुति की वापसी के आसार?
GSAT-20 हुआ लॉन्च, भारत में आएंगे क्रांतिकारी बदलाव, जानिए इससे होंगे क्या-क्या फायदे
बढ़ी रियाद और तेहरान की करीबियां, पश्चिम एशिया के हालातों पर पड़ेगा सीधा असर
पिनाका रॉकेट सिस्टम के तीन नए वेरिएंट से दुश्मनों के बीच खलबली, जानिए इसकी ताकत और मारक क्षमता
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited