अखिलेश यादव या मायावती, UP में किसका खेल बिगाड़ेंगे चंद्रशेखर? देखें उपचुनाव का सारा गुणा-गणित

UP Politics: क्या अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), अजय राय (Ajay Rai) और मायावती (Mayawati) के लिए नगीना के सांसद और आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) गले की फांस बनने वाले हैं? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर विपक्षी दलों का खेल बिगड़ता नजर आ रहा है।

अखिलेश यादव, अजय राय और मायावती की बढ़ने लगी टेंशन।

UP Assembly by-Election: उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों नया मोड़ आता नजर आ रहा है। वो कहावत है न, दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी के राजनीतिक गलियारे से ही होकर गुजरता है। इसकी वजह किसी से नहीं छिपी है। सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटों वाले इस सूबे की ताकत इस बात से समझा जा सकता है कि अकेले ये राज्य किसी की सरकार बनाने और गिराने में सबसे मजबूत स्तम्भ का रोल अदा करता है। बीते लोकसभा चुनाव के नतीजों में इस राज्य ने पूरे देश को हैरान कर दिया। नतीजों में भाजपा को तगड़ा झटका लगा और उसका ग्राफ आधे पर आ गिरा, तो वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जोड़ी ने इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) को प्रचंड जीत दिलाने में सफल रही। अब विपक्षी दलों के साथ नगीना लोकसभा सीट (Nageena Lok Sabha Seat) के सांसद और आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) खेला करने की फिराक में नजर आ रहे हैं।

सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ कैसे खेला करेंगे चंद्रशेखर ?

नगीना लोकसभा सीट से चुनकर संसद पहुंचने वाले सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अपनी पार्टी का तेजी से विस्तार करने का मन बना लिया है। उन्होंने ये साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि आजाद समाज पार्टी सभी सीट पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगी। वो पिछले कई दिनों से इस बात का जिक्र कर रहे हैं। इसी बीच उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए हाल ही में ये घोषणा की, 'नगीना की जिस जनता ने हमें आशीर्वाद दिया है, उन्हीं के बल पर हम 10 की 10 विधानसभा सीट पर उपचुनाव मजबूती से लड़ेंगे।'

अखिलेश यादव, सपा प्रमुख।

तस्वीर साभार : Times Now Digital

अखिलेश या मायावती, किसको होगा सबसे अधिक नुकसान?

चंद्रशेखर आजाद ने अपनी सियासी जमीन को दलित आधारित राजनीति (Dalit Politics) के दम पर मजबूत की है। वो दलित आरक्षण (Dalit Reservation) के प्रबल पक्षधर हैं और खुद को बाबा साहब अंबेडकर (Baba Saheb Ambedkar) के पदचिन्हों पर चलने वाला नेता बताते हैं। आजाद ये दावा करते हैं कि वो दलितों के हक और हुकूक की आवाज बुलंद करते हैं। अब तक उत्तर प्रदेश में दलितों की नेता के तौर पर मायावती (Mayawati) का बड़ा बोलबाला रहा है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों से राजनीति में मायावती की बसपा (BSP) का पतन होता नजर आ रहा है। ऐसे में आजाद इस कोशिश में हैं कि वो मायावती के वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। यही वजह है कि वो बार-बार बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो पर तीखा तंज कस रहे हैं।

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