अखिलेश यादव के लिए कांग्रेस जरूरी या मजबूरी? हार के डर से घुटने पर आए! समझें गुणा-गणित

Akhilesh With Rahul: लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव और राहुल गांधी की दोस्ती फिर गहरा रही है। समाजवादी पार्टी के पास कांग्रेस को गले लगाने के अलावा कोई दूसरा चारा नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कहीं न कहीं कांग्रेस ने सपा और अखिलेश को मजबूर कर दिया कि वो ज्यादा हवा-हवाई सपने न देखें।

राहुल गांधी और अखिलेश यादव फिर साथ-साथ।

Lok Sabha Chunav 2024: क्या अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में हार के डर से कांग्रेस से सामने घुटने टेक दिए? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि अखिलेश और राहुल एक बार फिर हाथों में हाथ डालकर चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि अखिलेश के लिए राहुल और कांग्रेस जरूरी हैं या फिर उनकी मजबूरी। आपको सारा सियासी समीकरण समझाते हैं।

उत्तर प्रदेश का चुनावी समीकरण समझिए

अखिलेश यादव इन दिनों PDA का राग अलाप रहे हैं और वो इस बात को बेहतर समझते हैं कि उनके इस फॉर्मूले में कांग्रेस सेंधमारी कर सकती है। उत्तर प्रदेश में भले ही कांग्रेस की जमीन उतनी मजबूत नहीं है, मगर पार्टी के चाहने वालों के वोटबैंक पर अखिलेश की नजर जरूर होगी। अगर वो कांग्रेस के बगावत करके चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस वोटकटुवा की भूमिका अदा करेगी। उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए अखिलेश को काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। इस बार के चुनाव का समीकरण 2019 से बिल्कुल अलग होगा। पिछली बार सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, मगर इस बार मायावती के तेवर से समझा जा सकता है कि वो अखिलेश की पार्टी से किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं, हालांकि सियासत में कुछ भी संभव है।

क्या है पीडीए और अखिलेश को क्यों है भरोसा?

अखिलेश यादव को पीडीए पर पूरा भरोसा है। आपको बताते हैं कि आखिर ये पीडीए है क्या... तो पीडीए तीन अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है। PDA= पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ‘पीडीए’ जन पंचायत पखवाड़े के जरिए खुद को मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है।

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