महाराष्ट्र में BJP के लिए विलेन बने अजित पवार? लोकसभा चुनाव में हार की वजह पर RSS का दावा; जानें 5 बड़ी बातें

Maharashtra: लोकसभा चुनाव में अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से गठबंधन के चलते भाजपा का प्रदर्शन खराब हुआ। ऐसा दावा आएसएसएस से जुड़े एक वीकली न्यूज पेपर ने किया है। जिसके बाद सूबे की सियासत गरमाई हुई है। आपको इस दावे से जुड़ी 5 बड़ी बातें समझनी चाहिए।

महाराष्ट्र में BJP की हार की वजह आई सामने।

RSS Big Claim on Lok Sabha Election: भाजपा और अजित पवार की पार्टी एनसपी के बीच दरार बढ़ती ही जा रही है, एक तरफ सवाल ये उठ रहा है कि क्या इसी साल होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले चाचा शरद पवार अपने भतीजे अजित से बदला लेंगे और उनकी पार्टी में सेंधमारी करेंगे? वहीं दूसरा बड़ा सवाल सत्तारूढ़ महायुति के भविष्य से जुड़ा है कि क्या भाजपा, एनसीपी और शिवसेना का साथ बरकरार रहेगा या ये गठबंधन चुनाव से पहले ही बिखर जाएगा?

क्या विधानसभा चुनाव से पहले टूट जाएगा गठबंधन?

महाराष्ट्र की सियासत कब किस ओर करवट लेगी, इसकी भविष्यवाणी कर पाना बड़े से बड़े सियासी दिग्गजों के वश की बात नहीं है। यही वजह है कि अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या अजित पवार की पार्टी का नाता एनडीए से टूट जाएगा? ऐसा लंबे समय से कहा जा रहा था कि महाराष्ट्र की 48 सीटों पर हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के पीछे खुद बीजेपी की गलती है। ऐसा कहा जाता रहा है कि अजित पवार की राकांपा से गठबंधन करने के चलते भाजपा को हार झेलनी पड़ी है, अब आरएसएस के साप्ताहिक समाचार पत्र ने भी ऐसा दावा कर दिया है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ने लगी दरारें।

RSS ने बताई भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक साप्ताहिक अखबार ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खराब प्रदर्शन के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से गठबंधन के उसके फैसले को कसूरवार ठहराया है। अखबार में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि भाजपा के अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट से हाथ मिलाने के बाद जनभावनाएं पूरी तरह से पार्टी के खिलाफ हो गईं। लेख के मुताबिक, उसने भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों से बात की और इन सभी ने कहा कि वे राकांपा से हाथ मिलाने के पार्टी के फैसले से सहमत नहीं थे। अखबार ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच व्याप्त असंतोष को 'कम करके आंका गया।' उसने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में बेहतर समन्वय और शासन एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया में कार्यकर्ताओं को दिए गए महत्व ने राज्य की लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में भाजपा की मदद की। आपको इस लेख की 5 बड़ी बातें बताते हैं।
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