St. Martin’s Island का इतिहास और Importance, जिसको लेकर शेख हसीना ने लगाया अमेरिका पर आरोप!

बंगाल की खाड़ी में मौजूद बांग्लादेश का द्वीप Saint Martin's Island इन दिनों चर्चा में है। देश में फैली हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा और उनका देश छोड़कर जाना सभी इसी सेंट मार्टिन्स आयलैंड से जुड़ रहे हैं। चलिए जानते हैं इस द्वीप की कहानी, इसका महत्व और इतिहास -

St Martins Island

सेंट मार्टिन्स आयलैंड

बांग्लादेश में हाल के समय में हुई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपने पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर भारत आने की खबर सबसे बड़ी खबर रही है। इसके बाद बांग्लादेश में हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर हमले के अलावा सबसे ज्यादा चर्चा में सेंट मार्टिन्स आयलैंड (Saint Martin's Island) द्वीप ही रहा है। दरअसल सेंट मार्टिन्स आयलैंड बंगाल की खाड़ी में मौजूद एक कोरल द्वीप है। आज यह द्वीप जियोपॉलिटिकल हॉटस्पॉट बन गया है। चलिए जानते हैं इस द्वीप के बारे में और क्यों इसमें अमेरिका का नाम आ रहा है -

द्वीप को अमेरिका हथियाना चाहता है

रिपोर्टों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) का कहना है कि अमेरिका इस द्वीप को हथियाना चाहता है। कहा जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों को समर्थन देने के बदले अमेरिका इस द्वीप पर कब्जा चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे ने इन उनकी तरफ से किए जा रहे इस तरह के दावों को खारिज किया है। भले ही शेख हसीना की तरफ से कथित तौर पर सेंट मार्टिन्स आयलैंड को लेकर कही गई बातों से उनके बेटे ने इनकार किया हो, लेकिन यह द्वीप बांग्लादेश की राजनीति के केंद्र में आ गया है।
भले ही इस समय शेख हसीना के बेटे ने उनके इस तरह की बात कहने से इनकार किया हो, लेकिन शेख हसीना पूर्व में भी इस तरह का बयान दे चुकी हैं। इसी साल की शुरुआत में उन्होंने इशारों-इशारों में कहा था कि एक गोरे व्यक्ति ने सेंट मार्टिन्स आयलैंड के बदले सत्ता में आसान वापसी का भरोसा देने की कोशिश की थी। अमेरिका ने भी इस पर बयान जारी किया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने इस की किसी भी बातचीत से साफ इनकार किया है। प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, हम सेंट मार्टिन्स आयलैंड को लेकर इस तरह की बातचीत में कभी शामिल नहीं हुए। सेंट मार्टिन्स आयलैंड एक बहुत ही महत्वपूर्ण मैरीटाइम रूट पर मौजूद है। यह द्वीप बहुत ही अच्छी जगह पर मौजूद है, जहां से आसपास के इलाकों में नजर रखी जा सकती है। यही कारण है कि अमेरिका और चीन जैसी वैश्विक ताकतों की नजर इस द्वीप पर है।

कहां है सेंट मार्टिन्स आयलैंड

जैसा कि हमने ऊपर ही बताया, यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में एक महत्वपूर्ण मैरीटाइम रूट पर मौजूद है। बंगाली भाषा में इसे नारिकेल जिंजिरा कहा जाता है, जिसका मतलब नारियल का द्वीप होता है। यह बांग्लादेश का इकलौता कोरल आयलैंड है। बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में मौजूद यह छोटा सा द्वीप बांग्लादेश के सबसे दक्षिणी हिस्से का निर्माण करता है। यह म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी तट से करीब 8 किमी दूर नाफ नदी के मुहाने पर है।

कितना बड़ा है सेंट मार्टिन्स द्वीप

सेंट मार्टिन्स द्वीप सिर्फ 8 किमी का है। एक्सपर्ट्स ने इसे तीन हिस्सों में बांटा है। इस द्वीप के उत्तरी हिस्से को नारीकेल जिंजिरा (Narikel Jinjira) कहा जाता है, जो 2.134 किमी लंबा और 1.402 किमी चौड़ा है। इसके दक्षिणी हिस्से को स्थानीय लोग दखिनी पारा (Dakkhin Para) कहते हैं। इसकी लंबाई 1.929 किमी और चौड़ाई 1.890 किमी है। स्थानीय लोग इसके तीसरे हिस्से को मधापारा (Maddhapara) कहते हैं। इस हिस्से की लंबाई 1.524 किमी और चौड़ाई सिर्फ 518 मीटर है।
यह द्वीप अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। यहां कई तरह के जीव-जंतु और वनस्पति, जैसे मूंगा, मोलस्क, मछली, अभयचर (Amphibian), कछुए, घोंघे (Snail), चिड़िया और स्तनधारी जानवर पाए जाते हैं। इसके अलावा यहां पर नारियल के पेड़ों की भरमार है जो यहां के किसानों की आय का साधन हैं। हालांकि, यहां रहने वाले लोगों की आय का प्रमुख साधन मछली पकड़ना है। यही नहीं यह बांग्लादेश के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन का हिस्सा है। जो मछली, तेल और नेचुरल गैस जैसे मूल्यवान समुद्री संसाधनों तक देश की पहुंच बनाता है।

सेंट मार्टिन्स आयलैंड का इतिहास

सेंट मार्टिन्स आयलैंड के इतिहास में जाएंगे तो 18वीं सदी में इसे अरब से आए व्यापारियों ने बसाया और जजीरा (Jazira) नाम दिया। बाद में साल 1900 में इसे ब्रिटिश इंडिया में शामिल कर लिया गया और इसका नाम क्रिश्चिन संत सेंट मार्टिन के नाम पर सेंट मार्टिन्स आयलैंड रखा गया। 1947 में आजादी के बाद यह पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बना और फिर 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश का द्वीप बना।

म्यांमार ने माना बांग्लादेश का है आयलैंड

साल 1974 में बांग्लादेश और म्यांमार के बीच इस द्वीप को लेकर एक संधि हुई। इसमें म्यांमार ने सेंट मार्टिन्स द्वीप का बांग्लादेश का हिस्सा माना। बाद में साल 2012 में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी ने भी इस द्वीप को बांग्लादेश का अंग माना।

सेंट मार्टिन्स द्वीप का सामरिक महत्व

सेंट मार्टिन्स द्वीप का सामरिक महत्व है, क्योंकि यह समुद्र के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक मलक्का स्ट्रेट (Strait of Malacca) के करीब है। इस द्वीप पर एक सैन्य अड्डा किसी भी देश को बंगाल की खाड़ी में निगरानी रखने की बेजोड़ शक्ति देगा। इसमें मलक्का स्ट्रेट के आसपास के क्षेत्रों में चीनी निवेश और दक्षिण एशिया में चीन की गतिविधियों पर निगरानी रखना भी संभव होता है। यहां से व्यापार और मिलिट्री गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकती है। यही कारण है कि दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए इस द्वीप को अमेरिका के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समझा जा रहा है।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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