Amul Vs Nandini:कर्नाटक चुनाव में '15 रुपये' का मैजिक, Milky पॉलिटिक्स में कौन किस पर भारी

Amul Vs Nandini Milk: कीमतों को देखा जाय तो नंदिनी के एक लीटर टोन्ड दूध की कीमत 39 रुपये प्रति लीटर है, जबकि अमूल का टोन्ड दूध गुजरात के अलावा सभी राज्यों में 54 रुपये प्रति लीटर में बिकता है। ऐसे में राज्य में अमूल के लिए सबसे बड़ूी चुनौती नंदिनी पर मिलने वाली सब्सिडी है।

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अमूल और नंदिनी में कौन भारी

Amul Vs Nandini Milk and their business Model : पांच अप्रैल 2023 को जब अमूल ने ट्वीट कर बेंगलुरु में एंट्री का ऐलान किया तो शायद कंपनी ने यह नहीं सोचा होगा कि उसकी यह कारोबारी पोस्ट एक राजनीतिक मुद्दा बन जाएगी। असल में अमूल का यह फैसला ऐसे समय सामने आया जब कर्नाटक में चुनावी राजनीति पूरे शबाब पर है। और अगर कोई मुद्दा चुनावी फायदा दिला सकता है तो उस मौके को कोई राजनीतिक पार्टी कैसे छोड़ेगी? अमूल के ऐलान में भी ऐसा ही कुछ था। क्योंकि अमूल के ऐलान के बाद उसका सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया। और फिर क्या था इस मुद्दे को विपक्षी दलों ने लपक लिया।
8 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अमूल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और नंदिनी को राज्य की पहचान से जोड़ दिया। और अब यह लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस,जेडी (एस) बन गई है। जबकि सत्ताधारी दल भाजपा ने अमूल की एंट्री का बचाव करते हुए कहा है कि नंदिनी किसी भी प्रतियोगी ब्रांड का सामना करने के लिए काबिल है। कांग्रेस किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है। इस राजनीतिक लड़ाई के बीच एक कारोबारी प्रतिस्पर्धा भी है। क्योंकि अमूल और नंदिनी दो ऐसे ब्रांड है जो कोऑपरेटिव सफलता का बेहतरीन उदाहरण है।
नंबर वन बनाम नंबर टू की बनी लड़ाई
असल में अमूल ब्रांड नाम से कारोबार करने वाला गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (GCMMF) देश का सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है। वहीं नंदिनी ब्रांड कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF)दूसरा सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है। ऐसे में अमूल जब राज्य के बड़े क्षेत्र में एंट्री की कोशिश में है तो यह देखना होगा कि उससे निपटने के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन क्या मार्केटिंग रणनीति लेकर आती है। हालांकि अमूल के लिए बंगलुरू के जरिए राज्य में बड़े पैमाने में पैठ करना आसान नहीं होगा। इसकी वजह नंदिनी का सब्सिडी मॉडल है। जो अमूल से नंदिनी को कहीं ज्यादा सस्ता बनाता है।
12-15 रुपये सस्ता है नंदिनी का दूध
कीमतों को देखा जाय तो नंदिनी के एक लीटर टोन्ड दूध की कीमत 39 रुपये प्रति लीटर है, जबकि अमूल का टोन्ड दूध गुजरात के अलावा सभी राज्यों में 54 रुपये प्रति लीटर में बिकता है। गुजरात में अमूल के टोन्ड दूध की कीमत 52 रुपये प्रति लीटर है। इसी तरह फुल क्रीम दूध की कीमत 66 रुपये लीटर है। वहीं नंदिनी के फुल क्रीम दूध वाले 900 मिली पैकेट की कीमत 50 रुपये और 450 मिली लीटर वाले पैकेट की कीमत 24 रुपये है। लागत बढ़ने से नंदिनी दूध के दाम में तो बढ़ोतरी नहीं की गई है लेकिन उसने मात्रा में कमी जरुर हुई है। ऐसे में राज्य में अमूल के लिए सबसे बड़ूी चुनौती नंदिनी पर मिलने वाली सब्सिडी है। क्योंकि उसके लिए नंदिनी के रेट पर अपने उत्पाद बेचना आसान नही है। ऐसे में उसकी क्या रणनीति होगी, इस पर सबकी नजर रहेगी। अमूल ने अभी तक कीमतों पर कोई खुलासा नहीं किया है।
6 रुपये प्रति लीटर मिलती है सब्सिडी
अब सवाल उठता है कि नंदिनी का दूध इतना सस्ता कैसे है, तो इसके पीछे की वजह कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को मिलने वाली सब्सिडी है। कर्नाटक सरकार दूध किसानों को 6 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देती है। और अहम बात यह है कि जिस भाजपा का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, उसी की सरकार ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को सब्सिडी देने की शुरूआत की थी। साल 2008 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस. येद्दियुरप्पा ने केएमएफ से जुड़े किसानों को 2 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी देने की फैसला किया था। इसके बाद 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार ने इसे बढ़ाकर पहले 4 रुपये लीटर, फिर 2016 में 5 रुपये लीटर कर दिया। जिसके एक बार फिर सत्ता में आने के बाद येद्दियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार ने 6 रुपये कर दिया ।
कंपनीकिसान सदस्यडेली दूध उत्पादन (औसत)डेली पेमेंटटर्नओवर
अमूल36.4 लाख2.63 करोड़ लीटर-55055 करोड़ (2022-23)
नंदिनी24 लाख 42 लाख लीटर23.93 करोड़ रुपये14018 (जनवरी 2022-23)
अमूल की कर्नाटक में और नंदिनी की दूसरे राज्यों में पहले से पहुंच
ऐसा नही है कि अमूल पहली बार बेंगलुरु के जरिए कर्नाटक में एंट्री करने जा रही है। उसके कई प्रोडक्ट कर्नाटक के हुबली और धारवाड़ इलाके में बिकते हैं। हालांकि यह जरुर है कि उसके 5 अप्रैल के ट्वीट से ऐसा लग रहा है कि कंपनी बंगलुरू के जरिए बड़े पैमाने पर राज्य में पहुंचने वाली है। वहीं अगर नंदिनी की बात की जाए तो वह कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, तमिलनाडु के कई शहरों में अपने प्रोडक्ट बेच रही है।
यह मामला राज्य के 5 करोड़ वोटर को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है। क्योंकि नंदिनी सीधे किसानों और लोगों की डेली जरुरत से जुड़ा हुआ है तो भाजपा भी काफी सतर्क होकर बयान दे रही है। जिसे पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख और नेता अमित मालवीय के ट्वीट से समझा जा सकता है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अमूल कर्नाटक में एंट्री नहीं कर रही है। और अमूल और नंदिनी क्विक प्लेटफॉर्म से उत्पादों की बिक्री करेंगे। इसके अलावा उन्होंने यह भी लिखा है कि अमूल और नंदिनी का विलय नहीं हो रहा है। साफ है कि वह चुनावों को देखते हुए वोटरों को समझाना चाहते हैं। अब देखना है कि चुनावों में यह मुद्दा राजनीतिक रुप से किसके लिए फायदेमंद साबित होता है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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