क्या है आर्टिकल 371? कांग्रेस ने गलती से छेड़ा इसका जिक्र या BJP वाकई नॉर्थ ईस्ट राज्यों में कर रही बड़ी प्लानिंग
What is article 371: आर्टिकल 371 संविधान के गठन के साथ ही इसका हिस्सा रहा है। इसके तहत महाराष्ट्र और गुजरात के लिए विशेष प्रावधान प्रदान किए गए। बाद में नए राज्यों के गठन के बाद अनुच्छेद 371 के तहत अन्य राज्यों से संबंधित खंडों को संशोधनों के माध्यम से शामिल किया गया। संविधान की यह धारा मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मिजोरम सहित 12 राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करती है।

क्या है अनुच्छेद 371
What is article 371: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शनिवार को राजस्थान में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर बीजेपी पर निशाना साधना चाहा, हालांकि उन्होंने 370 के बजाए आर्टिकल 371 का जिक्र किया। निश्चित तौर पर यह एक गलती थी, जिसको लेकर बीजेपी ने उन पर निशाना साधा। यहां तक कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की अवधारणा को नहीं समझने के लिए विपक्षी दल की इतालवी संस्कृति को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
अब कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने गलती से कहा कि पीएम मोदी अनुच्छेद-371 को रद्द करने का श्रेय लेते हैं। जबकि स्पष्ट रूप से उनका मतलब अनुच्छेद 370 था। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अनजाने में ही अनुच्छेद 371 में बदलाव करने की मोदी-शाह की योजना का खुलासा कर दिया है। आइए जानते हैं अनुच्छेद 371 क्या है? यह कहां लागू होता है? इसके तहत क्या प्रावधान किए गए हैं? और क्या वाकई बीजेपी इसमें बदलाव करना चाह रही है...
कांग्रेस की ओर से क्या कहा गया?
जयराम रमेश ने कहा कि सच्चाई यह है कि पीएम मोदी वास्तव में नगालैंड से संबंधित अनुच्छेद 371-ए, असम से संबंधित अनुच्छेद 371-बी, मणिपुर से संबंधित अनुच्छेद 371-सी, सिक्किम से संबंधित अनुच्छेद 371-एफ, मिजोरम से संबंधित अनुच्छेद 371-जी और और अरुणाचल प्रदेश से संबंधित अनुच्छेद 371-एच में बदलाव करना चाहते हैं।
अब जानिए क्या है अनुच्छेद 371?
जिस तरह संविधान में आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था, ठीक उसी तरह आर्टिकल 371 भी है। आर्टिकल 371 संविधान के गठन के साथ ही इसका हिस्सा रहा है। इसके तहत महाराष्ट्र और गुजरात के लिए विशेष प्रावधान प्रदान किए गए। बाद में नए राज्यों के गठन के बाद अनुच्छेद 371 के तहत अन्य राज्यों से संबंधित खंडों को संशोधनों के माध्यम से शामिल किया गया। संविधान की यह धारा मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मिजोरम सहित 12 राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करती है।
371A: यह प्रावधान नगालैंड के लिए किया गया है, जिसके तहत देश की संसद नगालैंड में राज्य विधानसभा की सहमति के बिना धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून, प्रक्रिया, नागरिक या आपराधिक न्याय, स्वामित्व और भूमि के मामलों पर कानून नहीं बना सकती है।
371B व 371C : यह प्रावधान क्रमश: असम व मणिपुर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है। राष्ट्रपति को राज्य विधानसभा की एक समिति गठित करने की अनुमति देता है जिसमें राज्य के आदिवासी क्षेत्रों से चुने गए सदस्य और ऐसे अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
371G: मिजोरम में भी अनुच्छेद 371G के तहत विशेष प्रावधानों के कारण संसद ऐसे मामलों पर तब तक कानून नहीं बना सकती जब तक कि विधानसभा ऐसा निर्णय न ले।
371F और 371H: इसके तहत सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को भी क्रमशः अनुच्छेद के माध्यम से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं। लोकसभा में सिक्किम को एक विशेष सीट आवंटित की गई है, जिसके सदस्य का चुनाव सिक्किम विधानसभा द्वारा किया जाता है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में राज्यपाल को कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की विशेष जिम्मेदारी दी गई है।
क्या BJP वाकई इसे खत्म करना चाहती है?
यह सवाल तब से उठ रहा है, जब धारा 370 को खत्म किया गया था। विपक्षी दलों ने आशंका जताई कि केंद्र सरकार आर्टिकल 371 के तहत पूर्वोत्तर राज्यों को दिए गए विशेष अधिकारों को कम करना चाहती है। मामला कोर्ट में भी पहुंचा था, जिसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि पूर्वोत्तर व भारत के अन्य क्षेत्रों पर लागू किसी भी कानूनी प्रावधान में संशोधन करने का उसका कोई इरादा नहीं है। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी मीडिया में कहा था कि धारा 371 को छुआ भी नहीं जाएगा।
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