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मोदी सरकार के संकटमोचक, जो तर्कों से विरोधियों को कर देते थे निरुत्तर; अरुण जेटली को जानिए

Arun Jaitley: आज के ही दिन भारत की सियासत के उस सूरमा ने दुनिया को अलविदा कह दिया था, जिसे नामी और तेज तर्रार वकील के तौर पर जाना जाता था। वो शख्सियत शानदार, जिन्होंने नोटबंदी, जीएसटी के फैसले का नेतृत्व किया। और संसद में विपक्ष की बोलती बंद करने में थे। उस अरुण जेटली के बारे में आपको बताते हैं।

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अरुण जेटली को जानिए।

Arun Jaitley Life Story: चतुर राजनीतिज्ञ, नामी वकील और मोदी सरकार के संकटमोचक। जिसके भाषण की कला के विपक्षी भी फैन थे, उस शख्सियत का नाम है अरुण जेटली। उन्होंने एक बार संसद के बजट सत्र में कहा था, 'इस मोड़ पर ना घबराकर थम जाइए आप, जो बात नई है उसे अपनाइए आप, डरते हैं नई राह पर चलने से क्यों, हम आगे-आगे चलते हैं आइए आप।' देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का ये शायराना अंदाज काफी सुर्खियों में रहा था।

तर्कों से विपक्षियों को निरुत्तर करते रहे जेटली

भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली एक तेज तर्रार वकील के तौर पर पहचाने जाते थे। वकालत की ये खासियत उनमें उनके पिता महाराज किशन जेटली से विरासत में मिली। उन्होंने हमेशा सदन में अपनी पार्टी का पक्ष मजबूती के साथ रखा और इतना ही नहीं अपने तर्कों से विपक्षियों को निरुत्तर कर दिया। भले ही उनका चुनाव जीतने में रिकॉर्ड उतना बेहतर नहीं रहा हो। लेकिन, लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता कम नहीं थी।
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अरुण जेटली।

BJP में क्राइसिस मैनेजर के तौर रही पहचान

अरुण जेटली राज्यसभा के सदस्य के तौर पर सांसद रहे और उन्हें भारतीय जनता पार्टी में क्राइसिस मैनेजर के तौर पर भी जाना जाता था। संसद में अपने सहयोगी पार्टियों को मनाना हो या फिर किसी संसदीय संकट में पार्टी का बचाव करना हो, वो हमेशा कामयाब मैनेजर के तौर पर उभरे। भाजपा के अच्छे दिन रहें हो या बुरे उन्होंने पार्टी को हर हाल में बेहतर बनाने का प्रयास किया।

एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था जन्म

अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 1977 में उन्होंने यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से एलएलबी की पढ़ाई की। वो पहले दिल्ली हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट के भी वरिष्ठ वकील रहे। अरुण जेटली के बारे में कहा जाता था कि उनके दफ्तर में दो कोट टंगे होते थे, एक वकील तो दूसरा प्रवक्ता का। वकालत की पढ़ाई के दौरान 1973 में वो जय प्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े थे। जय प्रकाश नारायण ने अधिक से अधिक छात्रों को आंदोलन में जोड़ने के लिए राष्ट्रीय समिति बनाई। जिसका संयोजक अरुण जेटली को बनाया।

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