खुद ही भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हुआ Corruption के खिलाफ लड़ने वाला 'नायक'! जनलोकपाल का क्या हुआ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED ने PMLA के तहत गिरफ्तार किया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नायक की तरह उठ खड़े होने वाले केजरीवाल पर आज भ्रष्टाचार के ही आरोप हैं। जानिए क्या हुआ उस जनलोकपाल बिल का, जिसके लिए उन्होंने अन्ना के साथ दिल्ली में आंदोलन किया था।
जनलोकपाल बिल की पहले से ईडी की गिरफ्त तक
शराब नीति घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को ED गिरफ्तार कर चुकी है। गुरुवार 21 मार्च 2024 की शाम उन्हें गिरफ्तार किया गया। उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई, जिसमें गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। लेकिन बाद में उन्होंने यह याचिका वापस ले ली। उधर अरविंद केजरीवाल के गुरु अन्ना हजारे (Anna Hazare) का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कोई दुख न होने की बात कही है। उनका कहना है कि कानून देखेगा, कौन सही-कौन गलत। उनका बताया कि उन्होंने केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर आगाह भी किया था। उन्होंने केजरीवाल से कहा था कि शराब पर नीति बनाना ठीक नहीं है। अन्ना ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को उनके अपने ही कर्मों का फल बताया है। ऐसे में प्रश्न ये है कि जिस जनलोकपाल बिल को लेकर अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया था। जनलोकपाल बिल की मांग भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ही की गई थी, लेकिन अब स्वयं अरविंद केजरीवाल ही भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो गए हैं। चलिए जानते हैं जनलोकपाल बिल (Jan Lokpal Bill) को लेकर अब क्या स्थिति है।
जनलोकपाल था मुख्य मुद्दाजब 2011 में दिल्ली में अन्ना आंदोलन हुआ तो उस समय भ्रष्टाचार और जनलोकपाल बिल ही अहम मुद्दे थे। 5 अप्रैल 2011 को अन्ना हजारे ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल शुरू की। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य जन लोकपाल सिंह के माध्यम से देश में भ्रष्टाचार का खात्मा था। उस समय अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी के रूप में हर मंच पर अरविंद केजरीवाल मौजूद रहते थे। इसी आंदोलन से बाद में आम आदमी पार्टी नाम से एक राजनीतिक दल निकला, जिसका नेतृत्व अरविंद केजरीवाल करते हैं।
आंदोलन की लहर में सत्ता तक पहुंचे केजरीवालअरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को अन्ना आंदोलन का बड़ा लाभ भी मिला। पार्टी पहले ही चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 28 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि उस समय सत्तारूढ़ कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट गई थी। केजरीवाल ने उस समय कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार बनाई, लेकिन यह सरकार 2 महीने भी नहीं चल पाई। इसके बाद राज्य में उपराज्यपाल शासन लगा दिया गया। साल 2015 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया। बाद में 2020 के चुनाव में भी AAP 62 सीटें जीतने में सफल रही थी।
जनलोकपाल बिल का क्या हुआजब पहली बार अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो उनका कार्यकाल सिर्फ 49 दिन का था। इस दौरान वह आंदोलन के अपने मुद्दों पर चलते नजर आए। वह जन लोकपाल बिल (दिल्ली लोकपाल बिल 2014) पास कराने को लेकर अड़े रहे। उस समय केंद्र व उपराज्यपाल की इजाजत के बिना ही दिल्ली लोकपाल बिल 2014 विधानसभा में पेश करने पर अड़े रहे। हालांकि, कुछ जानकार इसे भी केजरीवाल की एक स्ट्रैटजी ही मानते थे। क्योंकि केंद्र पहले ही कानून बना चुकी थी, जिसके आधार पर 365 दिन के भीतर राज्यों में लोकायुक्त का गठन होना था।
विधानसभा में पारित कराया लोकपाल बिल!यह प्रश्न अब भी बाकी है कि क्या केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में लोकपाल बिल पास करवाया। इसका उत्तर दिल्ली भाजपा नेताओं ने साल 2018 में दिया। दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने उस समय केजरीवाल सरकार पर जनलोकपाल बिल को लेकर झूठ बोलने और जनता को बर्गलाने का आरोप लगाया था। तब भाजपा ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल सरकार लोकपाल बिल पास होने का दावा तो करती है, लेकिन इसे लागू नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि AAP सरकार ने 4 दिसंबर 2015 को विधानसभा में दिल्ली लोकपाल बिल पास होने का दावा किया था। उस समय उन्होंने यह भी बताया था कि बिल को उपराज्यपाल के पास भेजा गया है। यह जानकारी एक RTI के माध्यम से सामने आई थी।
इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल से RTI के माध्यम से जानकारी मांगी गई। इसमें उपराज्यपाल की ओर से जानकारी मिली की 25 सितंबर 2019 को जन लोकपाल बिल का प्रस्ताव आया था, जिसे 27 सितंबर को वापस भेज दिया गया। उपराज्यपाल दफ्तर से मिली जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि केजरीवाल सरकार ने RTI में गलत जानकारी दी थी।
तो कहां गया लोकपाल बिल?अगर आपके पास अब भी ये प्रश्न है तो इसका सीधा उत्तर यह है कि लोकपाल बिल राजनीति की भेंट चढ़ गया। इसे लागू करने की मांग करने वाले और लागू करने का हौसला दिखाने वाले सब इसे भूल चुके हैं, बेहतर होगा कि आप भी भूल जाएं या कोई नई अलख जगाएं।
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खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें
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