जमानत के बावजूद जेल में रहने को मजबूर अरविंद केजरीवाल, 7 पॉइंट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझिए
Delhi News: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बावजूद वो जेल में रहने को मजबूर हैं। भले ही ईडी के मामले में उन्हें अदालत से जमानत मिल गई, लेकिन सीबीआई के आरोपों को लेकर उनकी टेंशन बरकरार है। आपको 7 पॉइंट में समझाते हैं कि केजरीवाल क्या कर सकते हैं और क्या नहीं।
केजरीवाल को एक तरफ राहत, तो दूसरी ओर झटका।
Supreme Court on CM Kejriwal: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में शुक्रवार को अंतरिम जमानत तो दे दी, लेकिन वो अब भी जेल में रहने के लिए मजबूर हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में जमानत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह फैसला केजरीवाल को करना है कि वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे या नहीं। अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कुछ कहा, आपको इस लेख में 7 बड़ी बातों से रूबरू कराते हैं।
केजरीवाल क्या कर सकते हैं और क्या नहीं?
1). 50,000/- रुपये का जमानत बांड देना होगा।
2). अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय का दौरा नहीं करेंगे।
3). सीएम केजरीवाल आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि यह आवश्यक न हो और दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक न हो।
4). केजरीवाल वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में (केस को लेकर) कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
5). सीएम किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे और/या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उसकी पहुंच नहीं होगी।
6). अंतरिम जमानत को बड़ी बेंच द्वारा बढ़ाया या वापस लिया जा सकता है।
- अदालत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक निर्वाचित नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, एक महत्व और प्रभाव रखने वाला पद है। हमने आरोपों का भी हवाला दिया है। हालांकि हम कोई निर्देश नहीं देते हैं, क्योंकि हमें संदेह है कि क्या अदालत किसी निर्वाचित नेता को पद छोड़ने या मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में काम नहीं करने का निर्देश दे सकती है, हम फैसला लेने का फैसला अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं।
- यदि उचित समझा जाए तो बड़ी पीठ प्रश्न बना सकती है और ऐसे मामलों में अदालत द्वारा लगाई जा सकने वाली शर्तों पर निर्णय ले सकती है। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह उपरोक्त प्रश्नों पर विचार के लिए एक उचित पीठ और यदि उपयुक्त हो तो एक संविधान पीठ के गठन के लिए मामले को भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे।
7). सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आज की टिप्पणियां केजरीवाल की वर्तमान अपील पर निर्णय लेने के लिए हैं। कोर्ट की टिप्पणियों का असर दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित नियमित जमानत के मामले पर नहीं पड़ेगा। ED को अरविंद केजरीवाल पर लगाए गए आरोपों को कोर्ट के समक्ष साबित करना होगा।
आप ने भाजपा पर लगाया साजिश का आरोप
आम आदमी पार्टी (आप) ने कथित शराब घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया। पार्टी ने कहा कि फैसले ने केजरीवाल के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की “साजिश” का “पर्दाफाश” कर दिया है। हालांकि, ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल जमानत मिलने के बावजूद अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बाद में उन्हें कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार कर लिया था।
पार्टी नेताओं ने केजरीवाल की जमानत पर क्या कहा?
‘आप’ नेता आतिशी, सौरभ भारद्वाज और संदीप पाठक ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में शीर्ष अदालत के फैसले को “सच की जीत” करार दिया। इससे पहले, ‘आप’ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर तिरंगा थामे केजरीवाल की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “सत्यमेव जयते।” आतिशी ने दावा किया कि भाजपा को पता था कि केजरीवाल को कथित शराब घोटाले से जुड़े ईडी के धन शोधन मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिल जाएगी, इसलिए उसने उन्हें सीबीआई से गिरफ्तार करवा दिया। आतिशी ने कहा कि केजरीवाल ईमानदार थे, ईमानदार हैं और ईमानदार रहेंगे। उन्होंने कहा कि हर अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ भाजपा की “साजिश” का पर्दाफाश किया है।
राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने शीर्ष अदालत के फैसले को “ऐतिहासिक” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आबकारी नीति घोटाला मामला भाजपा का एक “सर्कस” था। भारद्वाज ने कहा कि ‘आप’ को उम्मीद है कि केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में सीबीआई की ओर से दायर मामले में भी जमानत मिल जाएगी। अंतरिम जमानत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केजरीवाल को 90 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा है।
ईडी ने जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया था रुख
दिल्ली की एक अदालत ने 20 जून को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में केजरीवाल को जमानत दे दी थी। हालांकि ईडी ने अगले दिन दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और दलील दी कि केजरीवाल को जमानत देने वाला निचली अदालत का आदेश ‘एकतरफा’ और ‘गलत’ था और निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून को ईडी के आवेदन पर आदेश पारित होने तक निचली अदालत के जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 25 जून को उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए एक विस्तृत आदेश पारित किया था। केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया था। सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
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