अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत: तीन कारण जिस वजह से बड़ी बेंच को ट्रांसफर हुआ मामला, SC ने ED की गिरफ्तारी को अवैध क्यों नहीं ठहराया?

Arvind Kejriwal Supreme Court Verdict: अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने के बाद सवाल उठते है कि केजरीवाल ने ED की जिस गिरफ्तारी को अवैध बताया था, उस पर अदालत ने अभी फैसला क्यों नहीं सुनाया है? वो कौन से कारण हैं, जिनके जवाब अदालत अबतक तलाश रही है? अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत क्यों दी है? आइए जानते हैं...

Arvind Kejriwal

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Arvind Kejriwal Supreme Court Verdict: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है। हालांकि, वह फिलहाल जेल में ही रहेंगे। भले ही यह केजरीवाल के लिए बड़ी जीत हो, लेकिन कोर्ट में उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

दरअसल, अदालत ने ED द्वारा उनकी गिरफ्तारी और निचली अदालत द्वारा पहली रिमांड को दी चुनौती देने वाली याचिका को बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया है। अदालत ने कहा है कि जब तक मामला बड़ी बेंच के समक्ष लंबित रहेगा, केजरीवाल की अंतरिम जमानत भी जारी रहेगी। अब सवाल यह उठता है कि केजरीवाल ने ED की जिस गिरफ्तारी को अवैध बताया था, उस पर अदालत ने अभी फैसला क्यों नहीं सुनाया है? वो कौन से कारण हैं, जिनके जवाब अदालत अबतक तलाश रही है? अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत क्यों दी है? आइए जानते हैं...

पहले जानिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत क्यों मिली?

शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल को दूसरी बार अंतरिम जमानत मिली है। पहले उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने दो जून को चुनाव खत्म होने के बाद सरेंडर कर दिया था। इस बार भी उन्हें अंतरिम जमानत दी है। वर्तमान बेंच ने अबतक उनकी जेल में रहने की अवधि को देखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य को देखते हुए कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र है और अरविंद केजरीवाल ने 90 दिनों तक कारावास की सजा भुगती है। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि अरविंद केजरीवाल को 10 मई के आदेश द्वारा लगाए गए उन्हीं नियमों और शर्तों पर मामले के संबंध में अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।

बड़ी बेंच को क्यों भेजा मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने PMLA Act की धारा 19 के तहत अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की जरूरत और अनिवार्यता के संबंध में तीन सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि केवल पूछताछ से आपको गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं मिलती है। यह धारा 19 के तहत कोई आधार नहीं है। आइए जानते हैं वो तीन सवाल-

  1. अदालत ने PMLA Act की धारा 19 और 45 का हवाला देते हुए ईडी के अधिकारों पर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने धारा 19 के प्रावधानों के पालन को लेकर कहा है कि क्या गिरफ्तारी की जरूरत या अनिवार्यता को PMLA Act की धारा 19 में एक शर्त के रूप में पढ़ा जाना चाहिए या नहीं?
  2. क्या केवल पूछताछ गिरफ्तारी का आधार हो सकता है? यह धारा 19 के तहत कोई आधार नहीं है।
  3. पीएमएलए की धारा 19 में गिरफ्तारी के नियमों की व्याख्या करने की जरूरत है। क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता औपचारिक मापदंडों के बारे में है और यह व्यक्ति को ध्यान में रखती है, क्या इसे धारा 19 पीएमएलए में पढ़ा जा सकता है और फिर अदालत किस आधार पर गौर करेगी।
सीएम पद पर बने रहना केजरीवाल पर निर्भर

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि हम जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल निर्वाचित नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। हम कोई निर्देश नहीं देते हैं, क्योंकि हमें संदेह है कि क्या कोई अदालत किसी निर्वाचित नेता को मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में पद छोड़ने या काम न करने का निर्देश दे सकती है। हम इस पर निर्णय लेने का काम अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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