Bangladesh Protest Reason: 10 प्वाइंट में जानिए बांग्लादेश प्रोटेस्ट की असली वजह, आखिर क्यों भड़के हैं बांग्लादेशी छात्र

Bangladesh Protest Reason: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देकर अपना देश छोड़ चुकी है। वहीं प्रदर्शनकारी छात्र पीएम आवास में घुसकर हिंसा फैला रहे हैं।

बांग्लादेश आंदोलन की असली वजह क्या है

मुख्य बातें
  • कहां है शेख हसीना, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं
  • शेख हसीना के भारत आने और फिर लंदन जाने की खबर
  • फिलहाल सेना के हवाले बांग्लादेश
Bangladesh Protest Reason: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश अपने इतिहास के सबसे खूनी आंदोलन को देख रहा है। आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन इतना हिंसक हो गया है कि आंदोलनकारी छात्रों ने पीएम आवास को ही घेर लिया है। आंदोलनकारियों के डर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देकर बांग्लादेश से भाग गईं हैं। सेना शांति की अपील कर रही है और अंतरिम सरकार के गठन का वादा किया जा रहा है। सवाल ये है कि आखिर ये आंदोलन भड़का कैसे, वो कौन सी वजह रही, जिसके कारण यह आंदोलन खड़ा हुआ और इतना हिंसक हुआ?

10 प्वाइंट में जानिए बांग्लादेश आंदोलन की असली वजह (Bangladesh Protest Main Reason)

  1. इस आंदोलन की शुरूआत होती है, उस आरक्षण के खिलाफ, जो मुक्तिवाहिनी के परिवार वालों को मिलती है। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण है, जिसमें 30 प्रतिशत उन लोगों के परिवारों के लिए आरक्षित है, जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराया था। हालांकि अब इसमें कटौती हो गई है।
  2. शुरुआत में इस आरक्षण के खिलाफ कोई नहीं गया, लेकिन जैसे-जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का निधन होने लगा। उनकी जगह पर उनके बच्चों को नौकरियों में आरक्षण मिलने लगा। अब मुक्ति योद्धाओं के पोते-पोतियों को भी इस कोटा प्रणाली का लाभ मिल रहा है। अब यहां एक आशंका पैदा हुई, छात्रों को ऐसा लगा कि जब सेनानियों के परिवार कोटे के तहत नहीं मिलते हैं तो सरकार अपने समर्थकों को सरकारी नौकरियों में घुसा देती है।
  3. वर्तमान कोटा सुधार आंदोलन के बीज 2018 में पैदा हुए थे। 2018 में बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने आरक्षण प्रणाली की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। तब हसीना भी इसके साथ थी, जिसके बाद आंदोलन शुरू हो गया। आंदोलन के जवाब में हसीना ने बांग्लादेश सिविल सेवा में सभी कोटा रद्द कर दिया। यह उन छात्रों के लिए एक झटका था जो कोटा प्रणाली में सुधार चाहते थे, न कि इसे खत्म करना चाहते थे। यह स्पष्ट था कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों को कोई कोटा नहीं मिलेगा तो किसी और को भी नहीं मिलेगा।
  4. जिसके बाद इस साल उच्च न्यायालय ने फिर से कोटा सिस्टम को बहाल दिया। छात्र और गुस्सा हो गए। आंदोलन के लिए उतर गए। शेख हसीना ने कोर्ट की कार्यवाही का हवाला दे दिया। जिसके बाद छात्र हिंसक हो गए।
  5. जुलाई में शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक होने लगा। इसे हवा देने में भी प्रधानमंत्री शेख हसीना की भी बड़ी भूमिका मानी जाती है। यह आंदोलन शुरुआत में शांतिपूर्ण था, लेकिन धीरे-धीरे हिंसक होने लगा।
  6. बांग्लादेश में छात्रों की ऐसी बड़ी संख्या है, जो बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं, ऐसे में वो जब इस आरक्षण के खिलाफ खड़े हुए तो सरकार उनसे नरमी के बजाय सख्ती से पेश आई। शेख हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों को 'आतंकवादी' तक कह दिया। उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई के आदेश दे दिए।
  7. जिसके बाद छात्र भड़क उठे, आगजनी होने लगी। पुलिस से भिड़ंत होने लगी। जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण प्रणाली में बड़ा बदलाव किया, जिसके बाद आंदोलन थम गया।
  8. लेकिन आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के दौरान मारे गए लोगों और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आंदोलन सुलगता रहा। जब छात्रों को लगा कि उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तो वो फिर से सड़कों पर उतर आए। हिंसा का एक और दौर शुरू हो गया।
  9. इस बार भी शेख हसीना ने शांति से काम नहीं लिया और आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस तैनात कर दिए। हसीना ने कहा कि “तोड़फोड़” और विध्वंस में शामिल प्रदर्शनकारी अब छात्र नहीं बल्कि अपराधी हैं और लोगों को उनसे सख्ती से निपटना चाहिए। इसके अलावा, सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी ने कहा कि हसीना के इस्तीफे की मांग से पता चलता है कि विरोध प्रदर्शनों पर मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और अब प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी पार्टी ने कब्जा कर लिया है।
  10. हसीना के बयानों के बाद हिंसा और भड़की और इस आंदोलन को बांग्लादेश के इतिहास का सबसे खूनी आंदोलन कहा जाने लगा। बाद में शेख हसीना ने बातचीत की बात कही, लेकिन आंदोलनकारियों ने बातचीत से इनकार करते हुए पीएम आवास पर धावा बोल दिया, जिसके बाद शेख हसीना इस्तीफा देकर बांग्लादेश से भागने को मजबूर हो गई।
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