खतरनाक टर्न ले रहा बांग्लादेश! संविधान के 4 आधारभूत सिद्धांतों में से एक धर्मनिरपेक्षता को हटाने की हो रही कोशिश

Bangladesh : एक याचिका की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने कहा कि देश के संविधान से ‘समाजवाद’ और ‘सेक्युलर’ शब्द को हटा देना चाहिए। AG ने कहा कि चूंकि बांग्लादेश की 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है इसलिए संविधान में सेक्युलर शब्द रखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने संविधान से ऑर्टिकल 7ए को खत्म करने की बात भी कही है।

बांग्लादेश में संविधान बदलने की हो रही कोशिश।

Bangladesh : ज्यादा समय नहीं बीता जब बांग्लादेश की पहचान दक्षिण एशिया के एक उभरते और आर्थिक रूप से मजबूत होते एक देश के रूप में हो रही थी लेकिन पांच अगस्त के बाद से यह देश तख्तापलट, हिंसा, उपद्रव, आगजनी और सांप्रदायिक हिंसा की गर्त में डूबता चला गया। आठ अगस्त को अंतरिम सरकार के आने और मोहम्मद यूनुस के सरकार का मुखिया बनने के बाद ये उम्मीद जताई जा रही थी कि बांग्लादेश में व्यवस्था पटरी पर उतरेगी और हिंसा पर लगाम लगेगी लेकिन अंतरिम सरकार के आने के बाद देश भर में हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा रूकी नहीं..बल्कि यह बढ़ भी गई।

हिंदुओं को निशाना बनाकर हुए हमले

रिपोर्टों की मानें तो 4 अगस्त से 20 अगस्त के बीच बांग्लादेश के 49 जिलों में सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस उठे। इसे सांप्रदायिक हिंसा कहना गलत होगा क्योंकि सांप्रदायिक हिंसा तब होती है जब दो अलग-अलग धर्मों या संप्रदायों के लोग एक-दूसरे को निशाना बना रहे हों, लेकिन यहां तस्वीर दूसरी थी, बांग्लादेश में हिंदू परिवारों, उनके मंदिरों, उनके कारोबार, उनकी संपत्तियों और उनकी पहचान मिटाने के लिए उन्हें टार्गेट करके हिंसा हुई, वह दूसरी कहानी पेश करता है, हिंदुओं के खिलाफ ये हिंसा, घृणा, नफरत उसी कट्टरपंथी सोच का नतीजा है, जिसने शेख हसीना का तख्तापलट करने में बड़ी भूमिका निभाई।

शेख मुजीबुर्रहमान की यादें मिटाई जा रहीं

बांग्लादेश में जो चीजें हो रही हैं, वह उसे अंधेरें की तरफ ले जा रही हैं। 1971 में शेख मुजीबुर रहमान ने नए बंग देश का जो सपना देखा था, उसे सोच और सपने को पलीता लगा दिया गया है। मुक्ति संग्राम की अगुवाई करने वाले और देश के पहले राष्ट्रपति के प्रति इतनी घृणा भर गई है कि देश भर में उनकी प्रतिमाओं, स्मारकों को तोड़ा गया। यहां तक कि हाल ही में राष्ट्रपति कार्यालय से उनकी तस्वीर हटा दी गई। शेख मुजीबुर्रहमान की हर एक याद और उनसे जुड़ी चीजों को हटाया और मिटाया जा रहा है। आप यह सोच रहे होंगे कि अचानक से हम शेख मुजीबुर्रहमान की बात क्यों कर रहे हैं, तो इसका एक संदर्भ है, यह संदर्भ बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां के उस बयान से है जिसे उन्होंने बीते बुधवार को ढाका हाईकोर्ट में दिया।

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