राजस्थान में भाजपा को क्यों भाए भजनलाल, 34 साल की मेहनत का BJP ने दिया इनाम
Rajasthan New CM Bhajanlal Sharma: भजनलाल शर्मा जब 27 साल के थे तो पहली बार सरपंच बने। 10 साल तक सरपंच रहने के बाद वह पंचायत समिति के सदस्य रहे। फिर बीजेपी संगठन में भाजयुमो जिला मंत्री से प्रदेश महामंत्री तक कई दायित्व निभाए।
भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री हैं।
Rajasthan New CM Bhajanlal Sharma: देश के सबसे बड़े सूबे राजस्थान को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। 3 दिसंबर को राज्य में हुई विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद भारतीय जनता पार्टी को 115 सीटों के साथ बहुमत मिला था। इसके बाद से लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि अब राज्य का मुखिया कौन बनेगा। भाजपा ने तमाम चर्चित नामों को दरकिनार कर, सांगानेर से पहले बार विधायक चुने गए, पार्टी के प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया है। 15 दिसम्बर 1967 को भरतपुर के नदबई के अटारी गांव में किशन स्वरूप शर्मा के यहां भजनलाल का जन्म हुआ था।
कश्मीर मार्च में भूमिका निभाई, श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जेल गए
अपनी प्रारंभिक शिक्षा अटारी गांव में पूरी करके आगे की पढ़ाई के लिए नदबई पहुंचे भजनलाल शर्मा ने तभी से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का दामन थाम लिया था। बीते करीब 34 वर्षों से छात्र राजनीति से लेकर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे। वह एबीवीपी में नदबई इकाई अध्यक्ष, इकाई प्रमुख और बाद में सह जिला संयोजक भरतपुर, कॉलेज इकाई प्रमुख भरतपुर तथा सह जिला प्रमुख भरतपुर के पद पर अहम भूमिका निभाई। राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री लेने वाले भजनलाल ने 1990 में कश्मीर मार्च में सक्रिय भूमिका निभाई और उधमपुर में गिरफ्तारी भी दी थी। इसके बाद वह 1992 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जेल गए।
27 साल की उम्र में पहली बार सरपंच बने
भजनलाल शर्मा जब 27 साल के थे तो पहली बार सरपंच बने। 10 साल तक सरपंच रहने के बाद वह पंचायत समिति के सदस्य रहे। फिर बीजेपी संगठन में भाजयुमो जिला मंत्री से प्रदेश महामंत्री तक कई दायित्व निभाए और 34 साल का राजनीतिक सफर पूरा करने बाद पहली बार सांगानेर से विधानसभा पहुंचे और अब मुख्यमंत्री बने हैं। निर्विवाद छवि वाले भजनलाल शर्मा युवा हैं और पूर्वी राजस्थान के भरतपुर से आते हैं!
क्यों भाजपा को भाए भजनलाल
राजस्थान में लंबे समय तक पार्टी संगठन और सरकार एक ही व्यक्ति के इर्दगिर्द घूमती रही। पार्टी ने इसी व्यक्ति केंद्रित राजनीति को खत्म करने के लिए 2017 में संगठन महामंत्री के रूप में चंद्रशेखर को राजस्थान भेजा था। अब भाजपा ने मुख्यमंत्री के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना है जो बीते 34 साल से पार्टी के लिए समर्पित होकर काम कर रहा है। विधायक दल की बैठक में जैसे ही भजनलाल का नाम घोषित हुआ तो किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं हुआ। यह नाम चौंकाने वाला नाम था। पार्टी के साधारण कार्यकर्ता की सीएम पद पर ताजपोशी कर पूरी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश का संचार किया गया है। भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर बीजेपी ने पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को बड़ा संदेश दिया है।
संगठन महामंत्री के विश्वासपात्र हैं भजनलाल
राजस्थान के नए सीएम भजनलाल शर्मा प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के विश्वासपात्र हैं। सूत्रों का कहना है कि भजनलाल को पहली बार विधायक बनाने का श्रेय भी चंद्रशेखर को जाता है। उनको सांगानेर के मौजूदा विधायक अशोक लाहोटी का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया था। 2014 में बनारस में बतौर सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत को साकार रूप देने वाले रणनीतिकार, आज राजस्थान में भाजपा के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने जिस उद्देश्य से राजस्थान में भेजा गया, वह आज सफल हो गया। 2017 में केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद की अक्सर खबरें सुनी जाती थीं। राजस्थान में 9 साल से संगठन महामंत्री का पद रिक्त था। राजस्थान में पार्टी, संगठन और कोई भी निर्णय एक ही व्यक्ति पर निर्भर था। यही वजहें थीं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।
संगठन महामंत्री ने भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त किया
राजस्थान पहुंचने के बाद चंद्रशेखर ने राजस्थान भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त कर दिया। 2017 में प्रदेश की कमान संभालने के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो वह अलग ही रणनीति के तहत पार्टी की नींव को नए सिरे से मजबूत करने में जुट गए। यही कारण हैं कि अब वह मंझे हुए खिलाड़ी के समान प्रदेश की रणनीति को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने हर विधानसभा में विस्तारक भेजे। साथ ही बूथ, पेज व पन्ना फोटो युक्त कमेटी का पूरे प्रदेश में गठन किया। इन कमेटी की मदद से एक-एक विधानसभा में संगठन को नए सिरे से खड़ा किया। इसी नीति से केंद्र और प्रदेश भाजपा ने लगातार पांच वर्ष बूथ स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखा। इसी का नतीजा है कि राजस्थान में स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा सत्ता में आई।
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