महाराष्ट्र की सियासत में होने वाला है कोई बड़ा 'खेला'? बड़ी हार के बाद ये 3 प्रयोग कर सकती है BJP

BJP Plan for Maharashtra: कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को महाराष्ट्र की जनता ने इन चुनावी नतीजों में करारा जवाब दिया है। ऐसे में भाजपा किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है।

BJP Plan for Maharashtra

महाराष्ट्र के लिए क्या है भाजपा का प्लान?

Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों का असर महाराष्ट्र की सियासत में साफ देखने को मिल सकता है। जहां शरद पवार और उद्धव ठाकरे की शिवसेना पूरी तरह एक्टिव हो गई है, तो वहीं दूसरी ओर भाजपा भी हार की वजह तलाशने और उसे सुधारने की कोशिशों में जुट गई है। शायद यही वजह है कि देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम की कुर्सी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, इसके अलावा पार्टी आलाकमान और दिग्गज नेताओं की बैठकों का दौर तेज हो चुका है।

वो तीन प्रयोग, जो महाराष्ट्र में कर सकती है भारतीय जनता पार्टी

दरअसल, महाराष्ट्र में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी की टेंशन में जबरदस्त इजाफा कर दिया है। अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को महाराष्ट्र की जनता ने इन चुनावी नतीजों से ये जवाब दे दिया है कि आने वाले वक्त में उनकी परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में भाजपा किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है। चुनावी परिणामों में सूबे की जनता ने भाजपा को भी तगड़ा झटका दिया है। यही वजह है कि भाजपा इस हार के बाद तीन महत्वपूर्ण प्रयोग कर सकती है।

1). फडणवीस के कंधों पर पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकार से मुक्त होने की इच्छा जताई है, क्योंकि वह भाजपा संगठन का काम करना चाहते हैं। उनके इस कदम के बाद से सूबे की सियासी हलचल उफान पर है। महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं की बैठकों का दौर तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र बीजेपी के नेता बैठक में बार-बार फडणवीस को मनाने की और अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की गुजारिश कर रहे हैं। हालांकि यहां ये समझना दिलचस्प हो जाता है कि क्या वाकई फडणवीस डिप्टी सीएम की कुर्सी छोड़ना चाहते हैं या फिर उनकी प्लानिंग कुछ और है।

फडणवीस के इस कदम के भाजपा की रणनीति का हिस्सा भी माना जा सकता है। दरअसल, इसी साल अक्टूबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने हैं, जिससे पहले लोकसभा चुनाव में मिली हार के चलते कहीं न कहीं भाजपा को झटका लगा है। इस राज्य को बचाने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगाने की कोशिश करेगी। हो सकता है कि फडणवीस के कंधों पर सूबे में भाजपा की स्थिति मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए। कई मौके पर फडणवीस महाराष्ट्र में भाजपा के संकट मोचक बनकर सामने आए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेकर भाजपा ये कदम उठा सकती है।

2). विधानसभा चुनाव से पहले हो सकते हैं कई बड़े फेरबदल

निश्चित तौर पर जब किसी भी पार्टी को जीत हासिल होती है, तो उपर से लेकर नीचे तक, बड़े नेताओं से छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं तक की अहम भूमिका होती है। ऐसे में हार का जिम्मेदार कोई एक नेता नहीं होता है। सूबे में सरकार रहने के बावजूद भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। इस हार की गाज पार्टी के दिग्गजों पर गिरनी तय मानी जा रही है। प्रदेश कार्यकारिणी समेत बड़े नेताओं की जिम्मेदारियों में भाजपा फेरबदल कर सकती है।

इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी कोई कोताही नहीं बरतना चाहेगी। 2019 की तुलना में 2024 के नतीजों से ये समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र में शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस की तिगड़ी ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है।

3). लोकसभा में हार के बाद अकेले चुनाव लड़ने पर हो सकता है फोकस

एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी को भले ही महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी कराया, अजित पवार ने एनडीए को मजबूत किया, लेकिन ये मजबूती सिर्फ विधानसभा और लोकसभा के अंदर के नंबर गेम में नजर आ रही है। निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा को ये समझा दिया कि इन दोनों नेताओं के साथ आने से भाजपा जनता के बीच मजबूत नहीं, बल्कि कमजोर ही हुई है।

विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, उससे पहले लोकसभा चुनाव में मिली हार से भाजपा ये सबक ले सकती है कि वो महाराष्ट्र में अब अकेले चुनाव लड़े। 2019 के विधानसभा चुनाव से भाजपा अगर सबक लेगी तो शायद वो इस पर फैसला कर पाएगी। क्योंकि उस वक्त शिवसेना के साथ चुनाव लड़कर बहुमत हासिल की और उद्धव ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। उस वक्त ये कहा जा रहा था कि यदि भाजपा अकेले चुनाव लड़ती तो अपने दम पर सरकार बना सकती थी।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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