बड़ा खुलासा: ट्रंप पर कैसे चली गोली? एक छत से दूसरी छत पर जाते दिखा था हमलावर; गवाह ने बताई पूरी कहानी
Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले से जुड़ा बड़ा खुलासा हुआ है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पर कैसे गोली चली, इसकी कहानी वहां मौजूद गवाह ने बयां की है। उसने दावा किया है कि हमलावर को ट्रंप की रैली के दौरान एक छत से दूसरी छत पर जाते देखा था।
थॉमस मैथ्यू क्रूक्स ने डोनाल्ड ट्रंप पर चलाई गोलियां।
How was Donald Trump Shot: दुनियाभर में इस वक्त हर कोई इस सवाल का जवाब जानना चाहता है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति पर हुए इस जानलेवा हमले का किससे कनेक्शन है, क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक षड्यंत्र है या फिर निजी कारणों से ट्रंप पर गोलियां चलाई गईं? अमेरिका की सीक्रेट एजेंसियों ने अब तक ये खुलासा नहीं किया है कि इस हमले की असल वजह क्या थी? हालांकि इस बीच हमलावर की मूवमेंट और एक्टिविटीज से संबंधित कई खुलासे सामने आ रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप पर किसने चलाई गोलियां?
पूर्व राष्ट्रपति पर गोलियां चलाने वाले को वहां मौजूद सीक्रेट सर्विस के कर्मियों ने मौके पर ही मार गिराया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस हमलावर की शिनाख्त हो गई है। संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने हमलावर की पहचान पेनसिल्वेनिया के बेथेल पार्क निवासी 20 वर्षीय थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के रूप में की है। उसके पास एक राइफल थी, जिसे मौके पर ही सीक्रेट सर्विस के कर्मियों ने उसे मार गिराया। थॉमस ने किन कारणों से ट्रंप पर गोलियां चलाई, फिलहाल इसकी जांच हो रही है।
गवाह ने बयां की हमले की सारी कहानी
जिस वक्त अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पेनसिल्वेनिया में चुनावी रैली के दौरान जानलेवा हमला हुआ, उस वक्त वहां मौजूद दो प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि उन्होंने हमलावर को देखा था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बंदूकधारी एक छत से दूसरी छत पर जा रहा था और शायद वह ट्रंप पर गोली चलाने के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश में था।
‘सीबीएस न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, बेन मैकर नामक एक व्यक्ति ने कहा कि उसने 'उस युवक को एक छत से दूसरी छत पर जाते देखा।' मैकर ने कहा कि हमलावर एक इमारत की छत पर था। उसने एक अधिकारी को बताया कि ट्रंप अपने समर्थकों को जिस स्थान से संबोधित कर रहे थे, उससे लगभग ‘200 से 250 गज’ दूरी पर हमलावर था। मैकर ने कहा, 'जब मैं वापस अपनी जगह पर जाने के लिए मुड़ा तो गोलियां चलने लगीं और फिर चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। हम सब वहां से भाग गए।'
ट्रंप की ओर निशाना बना रहा था हमलावर
बटलर निवासी रयान नाइट ने भी कहा कि उसने संदिग्ध हमलावर को ‘अमेरिकन ग्लास रिसर्च बिल्डिंग’ के ऊपर देखा था। नाइट ने कहा, 'मैं गोलीबारी से करीब 20 मिनट पहले उस घेराबंदी के पास जाकर खड़ा हो गया, जहां ट्रंप थे। जब मैं ऐसा कर रहा था तो मैं एजीआर बिल्डिंग के निकट ही था और हमलावर वहीं था।' उसने बताया कि 'जब मैं वहां बैठा था तो एक व्यक्ति ने कहा कि उसके पास एक बंदूक है। जब मैंने ऊपर देखा तो इमारत के ऊपर एक आदमी था जिसके पास एक एम16 और एक कंबल था और उसका निशाना राष्ट्रपति की ओर था। उसने गोली चलानी शुरू कर दी। चार से पांच गोलियां चलीं। मैंने अपने साथ मौजूद व्यक्ति को नीचे धकेल दिया। मैं भी नीचे कूद गया। मैंने ऊपर देखा कि सीक्रेट सर्विस के कर्मी की गोली हमलावर के सिर में लगी है।'
सुरक्षा एजेंसियों पर लापरवाही का उठा मुद्दा
ट्रंप पर हुए इस हमले को उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षा एजेंसियों की घोर लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है। हमलावर के ट्रंप के इतने नजदीक पहुंचना और उन पर हमला करना सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी पर सवाल खड़े कर रहा है। अमेरिकी मीडिया की खबर के अनुसार, ट्रंप जिस स्थान से लोगों को संबोधित कर रहे थे वहां (मंच) से हमलावर ‘200 से 250 गज’ दूर था।
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क्या अमेरिका में होने वाली है राजनीतिक हिंसा?
अमेरिकी मीडिया ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को रविवार को 'भयावह क्षण' करार दिया और कहा कि यह देश में लोकतंत्र के समक्ष राजनीतिक हिंसा से उत्पन्न होने वाले खतरे की 'गंभीर चेतावनी' है। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने कहा कि शनिवार को अमेरिकियों को हमारे लोकतंत्र के समक्ष मौजूद राजनीतिक हिंसा के खतरे की चेतावनी मिली। समाचार पत्र ने कहा, 'अब दोनों दलों के नेताओं और व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से अमेरिकियों की यह जिम्मेदारी है कि वे हिंसा और इसे बढ़ावा देने वाले भड़काऊ बयानों का विरोध करें। अमेरिकियों को भी इस चुनौती के बारे में स्पष्ट रूप से सोचना चाहिए जिसका सामना यह देश कर रहा है। शनिवार की घटना को अपवाद नहीं माना जा सकता। हिंसा अमेरिकी राजनीति को संक्रमित व प्रभावित कर रही है।'
'ट्रंप जीतते हैं तो देश में तानाशाही नहीं आ जाएगी'
‘द वॉल स्ट्रीट जनरल’ ने कहा कि हत्या का प्रयास अमेरिका के लिए एक भयावह क्षण है जो इससे भी बदतर हो सकता था, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि यह पूरी तरह से आश्चर्यजनक है। समाचार पत्र ने कहा कि राजनीतिक शत्रुता और घृणास्पद बयानबाजी एक ऐसे स्तर पर पहुंच गई है, जिसकी वजह से अमेरिका में हिंसा व हत्या के प्रयास हुए हैं और हममें से कुछ लोगों को अब भी 1968 की घटना अच्छी तरह याद है। हमलावर अपने किए के लिए खुद ही जिम्मेदार है, लेकिन दोनों पक्षों के नेताओं को चुनाव के दौरान भड़काऊ बातें कहनी बंद कर देनी चाहिए, अगर कोई एक उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है तो लोकतंत्र खत्म नहीं होगा। समाचार पत्र ने कहा, 'अगर ट्रंप जीतते हैं तो देश में तानाशाही नहीं आ जाएगी।'
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सीएनएन ने एक लेख में कहा कि एक पूर्व राष्ट्रपति और नवंबर में होने वाले चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन स्वीकार करने से कुछ ही दिन पहले एक चुनावी रैली में ट्रंप को निशाना बनाया जाना निश्चित रूप से लोकतंत्र और अपना नेता चुनने के प्रत्येक अमेरिकी के अधिकार पर हमला है।
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