लोकतंत्र, आबादी में सबसे बड़े, अर्थव्यवस्था भी 5वीं लेकिन भारत क्यों नहीं है G-7 का सदस्य
G 7 summit : जी-7 प्रमुख विकसित और ताकतवर देशों का एक समूह है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जापान, इटली और जर्मनी शामिल हैं। इस समूह की स्थापना 25 मार्च 1973 को हुई। जी-7 पहले आठ देशों का समू्ह था लेकिन बाद में मतभेद होने पर रूस इस समूह से बाहर निकल गया।
इस बार इटली में हो रहा जी-7 सम्मेलन।
G 7 summit : दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और ताकतवर देशों के समूह G-7 की बैठक इटली के आपुलिया में हो रही है। तीन दिनों के इस सम्मेलन में जी-7 के सदस्य देश अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, जापान, कनाडा और यूरोपीय यूनियन के राष्ट्राध्यक्ष शिरकत कर रहे हैं। भारत को भी बतौर आमंत्रित सदस्य का न्योता मिला है। इस निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली में है। यह पांचवां मौका है जब पीएम मोदी देश की नुमाइंदगी कर रहे हैं। वैसे भारत को अब तक 11 बार जी-7 सम्मेलन के लिए बुलाया जा चुका है। बता दें कि जी-7 की बैठक हर साल होती है।
ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर होती है चर्चा
इस सम्मेलन में ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होती है और उनका समाधान निकालने का हल ढूंढा जाता है। इस बार की बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा होनी है उनमें गाजा, यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन, विस्थापन, एआई एवं ऊर्जा जैसे विषय शामिल हैं। जाहिर है कि इन सभी मुद्दों पर भारत भी अपनी राय रखेगा। भारत G-7 का सदस्य नहीं है। लेकिन विगत एक दशक में वैश्विक मोर्चे पर भारत की साख एवं दबदबा जिस तरह से बढ़ा है, उसे देखते हुए उसकी बातों की अनदेखी नहीं की जा सकती। भारत की बातों को दुनिया अब गंभीरता से सुनती है।
G-7 के कई देशों से भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी
सवाल उठता है कि प्रभावशाली माने जाने वाले इस समूह का भारत हिस्सा क्यों नहीं है? आबादी के लिहाज से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। फिर भी वह G-7 का हिस्सा नहीं है। वैश्विक जिम्मेदारियों को निभाने में भी भारत कभी पीछे नहीं रहा। रक्षा, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, कृषि विकास एवं उन्नति के सभी मानकों पर भारत का प्रदर्शन विकसित दुनिया के देशों के समान तो कइयों से बहुत आगे है। भारत की अर्थव्यवस्था जी-7 के सदस्य देशों अमेरिका, जापान और जमर्नी को छोड़कर बाकी चार देशों कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और इटली से बड़ी है।
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इसलिए भारत नहीं है G-7 का सदस्य
भारत के जी-7 का सदस्य न होने की पीछे कई वजहे हैं। सबसे बड़ी वजह भारत की आर्थिक-सामाजिक विषमताएं एवं भिन्नता है। भारत की प्रतिव्यक्ति आय इन विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। दूसरी, भारत अभी भी अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन करता है। वह किसी गुट में शामिल होकर अपनी स्थिति कमजोर नहीं करना चाहता। अमेरिका और रूस दोनों के साथ वह अपने रिश्तों में संतुलन बनाकर चलता है। जी-7 का गठन उस समय हुआ था जब दुनिया मोटे तौर पर दो खेमों (अमेरिका, रूस) में बंटी थी लेकिन अब वैसा नहीं है। दुनिया अब दो ध्रुवीय न होकर बहुध्रवीय बन रही है। ऐसे में भारत, ब्राजील, चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं की जी-7 से दूरी इसकी वैधता पर सवाल खड़ा करती है।
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क्या है G-7
जी-7 प्रमुख विकसित और ताकतवर देशों का एक समूह है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जापान, इटली और जर्मनी शामिल हैं। इस समूह की स्थापना 25 मार्च 1973 को हुई। जी-7 पहले आठ देशों का समू्ह था लेकिन बाद में मतभेद होने पर रूस इस समूह से बाहर निकल गया। इस जी-7 का कोई भी मुख्यालय नहीं है। सदस्य देश बारी-बारी से सम्मेलन का आयोजन करते हैं। जी-7 की ग्लोबल जीडीपी 45 फीसद है और ये देश विश्व की 10 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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