क्या होती है क्रॉस वोटिंग, बिहार विधानसभा में किसका पलड़ा भारी, किस पार्टी का बिगड़ेगा खेल?
बिहार में सभी दल अपने-अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं, लेकिन क्रॉस वोटिंग का खतरा बरकरार है। आइए समझते हैं कि क्या होती है क्रॉस वोटिंग।
बिहार विधानसभा में किसका पलड़ा भारी?
What is Cross Voting: बिहार विधानसभा में आज नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का बहुमत परीक्षण है। इसे लेकर बिहार में सियासत गर्म है और कई तरह की कयासबाजी चल रही है। विधानसभा में वोटिंग को लेकर सस्पेंस लगातार बढ़ रहा है। सियासत के गलियारों में अफवाहों का बाजार गर्म है कि जेडीयू के कुछ विधायक पार्टी की बैठक में नहीं पहुंचे। सभी दल अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं, लेकिन क्रॉस वोटिंग का खतरा बरकरार है।
क्या होती है क्रॉस वोटिंग?
जब कोई विधायक अपनी पार्टी के बजाय विपक्षी उम्मीदवार को मत देता है तो उसे क्रॉस वोटिंग कहते हैं। इसमें कोई विधायक अपने ही पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए विपक्षी पार्टी को वोट देता है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग के कारण इस पार्टी को भारी नुकसान होता है। क्रॉस वोटिंग करने वालों पर पार्टियां सख्त एक्शन लेती हैं।
अवैध मतदान से अलग है क्रॉस वोटिंग
अवैध मतदान और क्रॉस वोटिंग में अंतर है। अवैध मतदान का अर्थ होता तआपने गलत तरीके से मतदान किया है। इसके कारण वोट की गिनती नहीं होती है। हो सकता है कि किसी सदस्य ने क्रॉस वोटिंग न की हो लेकिन मत अवैध हो सकता है क्योंकि मतदान के तरीके का पालन नहीं किया गया हो। लेकिन इसके उलट क्रॉस वोटिंग में मत की गिनती होती है। इसमें वोट डालने वाला प्रतिनिधि अपनी पार्टी के उम्मीदवार की जगह विपक्षी खेमे को मत दे देता है।
बिहार विधानसभा में बहुमत परीक्षण पर नजर
बिहार विधानसभा में आज नजर इसी बात पर रहेगी कि कोई विधायक क्रॉस वोटिंग तो नहीं कर रहा। इसके कयास कुछ दिन पहले से ही लग रहे थे। जनता दल (यू) के कुछ विधायक पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर हुई बैठक में नहीं पहुंचे थे। इसी बीच एक वामपंथी पार्टी के एक विधायक ने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी से मुलाकात की थी और बयान दे डाला कि इस बार खेला होगा।
सबकी निगाहें मांझी पर
आरजेडी ने मांझी को एक राज्यसभा सीट, एक लोकसभा सीट और दो कैबिनेट बर्थ की पेशकश की थी। हाल ही में उन्होंने एनडीए कैबिनेट में दो सीटों की मांग की थी। इसे लेकर कयास हैं कि वह आरजेडी खेमे का रुक कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने शुक्रवार को खुलासा किया था कि एक विपक्षी दल ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि हम (एस) हमेशा मोदी जी के साथ रहेगी। लेकिन एनडीए की राज्यसभा उम्मीदवारों की सूची में मांझी का नाम ही नहीं था। इसे लेकर कयास लग रहे हैं कि वह पाला बदल सकते हैं।
आरजेडी के तीन विधायकों पर संशय की स्थिति
वहीं, आरजेडी विधायक नीलम देवी तेजस्वी यादव के आवास नहीं पहुंची थी, इनके फ्लोर टेस्ट में शामिल होने पर सवाल उठ रहा है। उधर, चेतन आनंद को देर रात पुलिस तेजस्वी यादव के आवास से लेकर गई थी जिससे चेतन आनंद के फ्लोर टेस्ट में शामिल होने पर संशय की स्थिति है। वहीं डॉक्टर सर्वजीत भी अभी तक तेजस्वी आवास नहीं पहुंचे हैं, लेकिन आरजेडी के तरफ से कहा जा रहा है सर्वजीत उनके संपर्क में हैं।
बिहार विधानसभा का गणित
फिलहाल एनडीए के पास 128 विधायकों का समर्थन है, जिसमें बीजेपी के 78, जेडीयू के 45, हम के चार और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। यह संख्या 243 सदस्यीय सदन में बहुमत 122 से छह अधिक है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं, जिनमें राजद के 79, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक शामिल हैं। बता दें कि नई एनडीए सरकार बनने के 13 दिन से अधिक समय बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है और बताया जा रहा है कि विश्वास मत के कारण ही इसमें देरी हुई है। एनडीए सरकार स्वीकृत संख्या 37 के मुकाबले मुख्यमंत्री सहित केवल नौ मंत्रियों के साथ काम कर रही है।
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