खट्टर के इस्तीफे के बहाने : जुदा हुईं BJP-JJP की राहें, आखिर क्या हैं मतभेद | Explained
हरियाणा में आज बहुत ही तेजी से सियासी समीकरण बदले। सत्तारूढ़ भाजपा और जेजेपी गठबंधन के बीच लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पा रही थी। अचानक मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनकी कैबिनेट ने आज इस्तीफा दे दिया। जानें राहें जुदा होने के मायने -
हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन टूटा
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (CM Manohar Lal Khattar ) ने आज यानी मंगलवार 12 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दिया और राज्यपाल ने मुख्यमंत्री सहित पूरी कैबिनेट के इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया। इसके पीछे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP ) और जननायक जनता पार्टी (JJP ) के बीच लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024 ) के लिए सीट बंटवारे को जिम्मेदार माना जा रहा है। पहले से ही अंदेशा जताया जा रहा था कि सीट बंटवारे के नाम पर राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन टूट सकता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में मंत्रीमंडल के इस्तीफे के बाद अब इस पर मुहर भी लग गई है। आखिर क्यों जुदा हुईं BJP और JJP की राहें? क्यों चुनावी साल में आकर (BJP-JJP Alliance) गठबंधन टूट गया? आइए इस बारे में समझते हैं -
अब आगे की राह
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में भले ही हरियाणा की पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन राज्य में एक बार फिर भाजपा की सरकार बन रही है। लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर लाल खट्टर नहीं बल्कि नायब सिंह सैनी शपथ लेंगे। भाजपा ने मुख्यमंत्री के पद के लिए कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी के नाम की घोषणा कर दी है। राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, यहां बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का है। भारतीय जनता पार्टी के पास अभी कुल 41 विधायक हैं, जबकि जेजेपी के 10 विधायकों के समर्थन से खट्टर सरकार चल रही थी। अब जब BJP और JJP अलग हो गई हैं तो माना जा रहा है कि 5 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से एक बार फिर राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी।क्यों अलग हो गई राहें
लोकसभा चुनाव 2024 (नूंह हिंसा पर भी दुष्यंत के अलग थे बोल
ऐसा नहीं है कि भाजपा और जेजेपी के बीच यह दरार सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 के सीट बंटवारे को लेकर ही पड़ी है। इसकी नींव पुरानी है। खासतौर पर नूंह में हुई हिंसा के मामले में उस समय उप मुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला, अपनी सरकार से अलग ही राय रख रहे थे। एक तरफ जहां राज्य सरकार ब्रिज मंडल जलाभिषेक यात्रा के आयोजकों के समर्थन में खड़ी थी, वहीं दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री का कहना था कि यात्रा के आयोजकों ने नूंह जिला प्रशासन को पूरी जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि हरियाणा में पहले कभी इस तरह की घटना नहीं हुई। उधर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी दुष्यंत चौटाला के बयान से सहमत नहीं थे।दोनों पार्टियों के बीच दरार पूर्व में कई बार सामने आ चुकी है। हालांकि, दोनों ही पार्टियों ने बड़ी ही सफाई से उस दरार को छिपाए रखा और गठबंधन चलता रहा। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीट बंटवारे ने इस दरार को इतना गहरा कर दिया कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
मोनू मानेसर के नाम पर भी दिखी दरार
नूंह सांप्रदायिक हिंसा के मामले में एक नाम हर किसी की जुबान पर था और वह था मोनू मानेसर। मोनू मानेसर को लेकर भाजपा और जेजेपी के बीच दरार साफ देखने को मिली। गठबंधन की दोनों ही पार्टियों के बीच मोनू मानेसर को लेकर अलग-अलग मत थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृहमंत्री अनिल विज सहित भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि यात्रा में मोनू मानेसर मौजूद नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष हिंसा को जायज ठहराने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल कर रहा है।दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला का कहना था कि जो लोग स्वयं को गौरक्षक कहते हैं, वह स्वयं गाय नहीं पालते; यह एक गंभीर चिता का विषय है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के उस बयान से राज्य की राजनीति में हलचल पैदा हो गई थी, जब उन्होंने कहा था कि वह मोनू मानेसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
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Digpal Singh author
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें
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