भाजपा, कांग्रेस, जजपा, इनेलो, आप... हरियाणा में कौन कितना ताकतवर, कितना कमजोर? समझिए सारा चुनावी समीकरण

Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्य रूप से 5 राजनीतिक पार्टियों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इनमें सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और आम आदमी पार्टी शामिल हैं। आपको इन पांचों दलों की ताकत, कमजोरी और चुनौतियों को समझना चाहिए।

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हरियाणा में कौन ताकतवर, कौन कमजोर?

Haryana Politics: हरियाणा की जनता इस बार बदलाव चाहती है या फिर वो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत की हैट्रिक लगाने का मौका देना चाहती है? चुनावी मौसम में ऐसे तमाम सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब अगले महीने की आठ तारीख को मिल जाएगा। कांग्रेस इस कोशिश में जुटी है कि वो इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर पिछले 10 साल के सूखे को खत्म करे। आगामी 5 अक्टूबर को सूबे की जनता अपने मिजाज को वोट के जरिए बता देगी। इस दिन ईवीएम में कैद हुए जनादेश की गिनती यानी मतगणना 8 अक्टूबर को होनी है, जिसके बाद ये साफ हो जाएगा कि सत्ता की बागडोर भारतीय जनता पार्टी के हाथों से छिनने वाली है, या फिर कांग्रेस, जजपा जैसे विपक्षी दलों की उम्मीदें टूटने वाली हैं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव: किसमें कितना है दम?

पिछले कुछ महीनों में हरियाणा की सियासत में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हरियाणा में बड़े बदलाव किए। पार्टी ने जहां मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया वहीं, गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) से भी नाता तोड़ लिया। हालांकि सवाल यह है कि यह कवायद क्या राज्य में पार्टी को लगातार तीसरा कार्यकाल दिला पाएगी? ये बात तो हर कोई समझता है कि इस बार चुनाव में भाजपा पर एंटी इनकंबेसी हावी होने वाली है। हरियाणा में पांच अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होंगे ऐसे में राज्य के मुख्य दलों की प्रमुख ताकत, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों के बारे में आपको समझाते हैं।

भारतीय जनता पार्टी

ताकत» हरियाणा में 10 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के पास बूथ स्तर तक मजबूत संगठनात्मक ढांचा है। पार्टी ने इन चुनावों की तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी थी।

कमजोरी» दो बार से सरकार चला रही भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है।

अवसर» पार्टी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके पूर्ववर्ती मनोहर लाल खट्टर (जो अब केंद्रीय मंत्री हैं) की “स्वच्छ छवि” का लाभ उठाने की कोशिश करेगी और साथ ही अपनी सरकार द्वारा प्रदान किए गए 'पारदर्शी प्रशासन' को भी रेखांकित करेगी।

चुनौतियां» उसे फिर से उभरती कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसने हाल के लोकसभा चुनावों में 10 में से पांच सीटें जीती हैं।

कांग्रेस

ताकत» दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं के व्यापक वर्ग को प्रभावित करते हैं।

कमजोरियां» हुड्डा और सैलजा के नेतृत्व में अलग-अलग धड़े होना। प्रतिद्वंद्वी पक्ष अब भी कांग्रेस के राज्य में सत्ता में रहने के समय के कथित घोटालों को उठा रहे हैं।

अवसर» कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुना सकती है।

चुनौतियां» इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) और जजपा जैसी पार्टियों के बीच जाट मतों का बंटवारा उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

जननायक जनता पार्टी

ताकत» साढ़े चार साल तक सरकार का हिस्सा रही जजपा राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रभाव रखती है और देवीलाल की विरासत पर दावा करती है।

कमजोरी» भाजपा से नाता टूटने के बाद जजपा के लिए आगे के हालात कठिन होंगे।

अवसर» जजपा नेता दुष्यंत चौटाला जाट समुदाय का एक प्रमुख चेहरा हैं, जो युवा मतदाताओं को लुभाने में सक्षम हैं।

चुनौतियां» पार्टी के कुछ नेता पाला बदलकर कांग्रेस या भाजपा में जा सकते हैं।

इंडियन नेशनल लोकदल

ताकत» पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो का ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत वोट आधार है और हाल ही में बसपा के साथ गठबंधन के बाद इसमें और मजबूती आई है।

कमजोरी» अतीत में इसे कई चुनावी पराजय का सामना करना पड़ा है। हाल के दिनों में पार्टी के शीर्ष नेता कांग्रेस या भाजपा में शामिल हो गए हैं।

अवसर» इनेलो उन लोगों को लुभाने का काम करेगी जो भाजपा और कांग्रेस का विकल्प तलाश रहे हैं।

चुनौतियां» पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा था, इस बार उससे पार पाने की चुनौती सबसे अहम होगी।

आम आदमी पार्टी

ताकत» वह दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकारों द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है।

कमजोरियां» हरियाणा में पहले भी प्रयास किया है, लेकिन चुनावी सफलता नहीं मिली।

अवसर» पार्टी खुद को भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रही है।

चुनौतियां» हरियाणा में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ना एक कठिन काम होगा।

हरियाणा में किस पार्टी के खाते में कितनी सीटें आती हैं, किस पार्टी की सरकार बनती है? अब सभी को 8 अक्टूबर का इंतजार है, जब ये तय हो जाएगा कि सूबे की जनता सत्ता के सिंहासन पर किसको बैठाती है। भाजपा के शासन को उखाड़ फेंकती है या फिर उसे लगातार तीसरी बार राज करने का मौका देती है।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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