हरियाणा में BJP को मिला जीत का 'बूस्टर डोज', महाराष्ट्र-झारखंड में नए जोश के साथ उतरेगी भगवा पार्टी, आसान नहीं कांग्रेस की राह
Haryana Election Results 2024: कांग्रेस को पता था कि किसान आंदोलन, पहलवान और अग्निवीर योजना पर मोदी सरकार बैकफुट पर है। चूंकि किसान आंदोलन, पहलवान और अग्निवीर ऐसे तीन मुद्दे हैं जो हरियाणा के समाज और लोगों से गहराई से जुड़े हैं। इन मुद्दों पर वह भाजपा और नरेंद्र मोदी को जितना घेरेगी, हरियाणा में उसका सियासी फायदा उसे उतना ही ज्यादा होगा।
हरियाणा में भाजपा ने दर्ज की लगातार तीसरी जीत।
Haryana Election Results 2024: महज छह महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा से भाजपा के लिए जनादेश अच्छा नहीं आया। लोकसभा की 10 सीटों में 5 सीटों पर भगवा पार्टी हार गई। हिंदी बेल्ट के जिन राज्यों में भाजपा के मिशन 400 पार को झटका लगा उनमें से हरियाणा भी एक था। 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में एक भी सीट नहीं जीतने वाली कांग्रेस 5 सीटें जीतकर गदगद थी। मुकाबला 50-50 का रहा। इस जीत ने उसकी उम्मीदों को पंख दे दिए। उसे भरोसा हो गया कि आगामी विधानसभा चुनावों में राज्य की सत्ता में उसकी वापसी हो जाएगी। लेकिन आठ अक्टूबर को आए चुनाव नतीजों ने सभी को चौंका दिया। एग्जिट पोल्स के अनुमान औंधे मुंह गिरे और हरियाणा की सत्ता में लगातार तीसरी बार वापसी कर भाजपा ने रिकॉर्ड बना दिया। सभी यह मानकर चल रहे थे कि हरियाणा चुनाव में इस बार भाजपा की हार होगी।
लोकसभा चुनाव से पहले खट्टर की जगह सैनी आए
दरअसल, इस धारणा को समझने के लिए हमें लोकसभा चुनाव से थोड़ा पहले का वक्त याद करना होगा। हरियाणा में भाजपा की कमान मनोहर लाल खट्टर के हाथ में थी लेकिन अचानक से भाजपा को खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सामने लाना पड़ा। इस बदलाव के पीछे खट्टर के खिलाफ लोगों का गुस्सा और बढ़ते सत्ता विरोधी लहर को वजह बताया जाता है। इसी दौरान जजपा का सरकार से अलग होना भी भाजपा के लिए एक झटके के रूप में देखा गया। यह माने जाना लगा कि हरियाणा में भाजपा की कमजोर ढीली पड़ रही है। लोकसभा चुनाव में किसान आंदोलन, पहलवान, अग्निवीर, संविधान और आरक्षण ऐसे मुद्दे रहे जिन पर कांग्रेस ने भाजपा को खूब घेरा।
हरियाणा में 10 में से 5 सीटें कांग्रेस ने जीतीं
कांग्रेस को यह पता था कि किसान आंदोलन, पहलवान और अग्निवीर योजना पर मोदी सरकार बैकफुट पर है। चूंकि किसान आंदोलन, पहलवान और अग्निवीर ऐसे तीन मुद्दे हैं जो हरियाणा के समाज और लोगों से गहराई से जुड़े हैं। इन मुद्दों पर वह भाजपा और नरेंद्र मोदी को जितना घेरेगी, हरियाणा में उसका सियासी फायदा उसे उतना ही ज्यादा होगा। राहुल गांधी अपनी रैलियों में इन मुद्दों पर नरेंद्र मोदी और भाजपा पर जमकर प्रहार करते रहे और इसका सियासी फायदा हरियाणा लोकसभा चुनाव नतीजे में देखने को मिला। कांग्रेस 10 में से 5 सीटें जीत गई। इस जीत के बाद कांग्रेस ने यह नरेटिव सेट किया कि हरियाणा की जनता ने भाजपा को खारिज कर दिया है।
यह भी पढ़ें-यूपी उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने जारी उम्मीदवारों की सूची, 6 प्रत्याशियों के नाम घोषित
भाजपा को मिल गया जीत का टॉनिक
इस जीत के बाद कांग्रेस को लगने लगा कि इस बार सत्ता में उसकी वापसी हो जाएगी। कांग्रेस मानकर चलने लगी कि उसे बस प्रत्याशी खड़े करने हैं, बाकी का काम जनता कर देगी। मतदान के दिन जनता ने अपना काम किया लेकिन वह उसके लिए वह उलटा हो गया। वह उस जादुई आंकड़े से काफी दूर रह गई जिसकी जरूरत सरकार बनाने के लिए होती है। विधानसभा की 90 सीटों में से वह केवल 37 सीटें ही जीत पाई। जबकि भाजपा बहुमत से दो सीटें ज्यादा यानी 48 सीटें जीतने में कामयाब हो गई। भाजपा के लिए यह जीत अप्रत्याशित है। उसे भी शायद इस बहुमत वाली जीत का अंदाजा नहीं रहा होगा। हरियाणा में मिली यह जीत उसके लिए बहुत बड़ी है। यह एक टॉनिक और बूस्टर डोज की तरह है जिसे वह लोकसभा चुनाव के बाद ढूंढ रही थी। इस जीत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरी भाजपा को एक नई ऊर्जा, जोश और आत्मविश्वास से लबरेज कर दिया है। नतीजे आने के बाद पीएम मोदी जब दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पहुंचे तो उनके चेहरे का तेज और उनकी चाल यह बताने के लिए काफी था कि उनका फॉर्म वापस आ गया है। हरियाणा में परचम लहराने के बाद भाजपा अपनी जीत का मोमेंटम फिर पा गई है।
राहुल गांधी के सामने अब बड़ी चुनौती
अब कांग्रेस सहित विपक्ष के सामने कई चुनौतियां आ गई हैं। आगे महाराष्ट्र, झारखंड और फिर दिल्ली में चुनाव हैं। जाहिर है कि इस जीत के बाद भाजपा एक नए जोश और नई रणनीति के साथ चुनावों में जाएगी। महाराष्ट्र और झारखंड में तो चुनाव की केवल डुगडुगी बजनी बाकी है। सवाल है कि हरियाणा में पिट चुके मुद्दों को क्या विपक्ष महाराष्ट्र और झारखंड में भी आजमाएगा। राहुल गांधी, जो कि दावा कर रहे थे कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मोदी का आत्मविश्वास हिला और डिगा दिया है, अब वे क्या कहेंगे? लोकसभा चुनाव में महज 99 सीट जीतकर इतराने और बड़े बोल बोलने वाली कांग्रेस के सामने तो अब अपने गठबंधन के साथियों को एकजुट रखने की भी चुनौती है। हरियाणा तो कांग्रेस के हाथ से निकला ही है जम्मू-कश्मीर में भी उसे हार का सामना करना पड़ा है। यहां नेशनल कॉन्फ्रैंस ने उसे शर्मसार होने से बचा लिया है। जम्मू में कांग्रेस बुरी तरह फ्लॉप हुई, उसे महज एक सीट मिली तो कश्मीर में एनसी की बदौलत वह पांच सीटें जीत पाई।
इंडिया के दलों ने दिखाए तेवर
क्षेत्रीय दलों को बैसाखी की तरह इस्तेमाल करने वाली कांग्रेस की आगे की राह आसान नहीं रहने वाली है। उसके सहयोगी दल अभी से उसे तेवर दिखाने लगे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने तो हरियाणा में जीत के लिए भाजपा की तारीफ कर दी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हारी हुई बाजी जीत ली और कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गई। भाजपा की तारीफ वाला राउत का यह एक अलग संकेत देता है। तो यूपी उपचुनाव के लिए अखिलेश यादव ने भी कांगेस को आंख दिखा दी। उन्होंने 10 सीटों में से छह पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। कांग्रेस सपा से पांच सीटें चाहती थी। खास बात यह है कि सपा ने उन दो सीटों फूलपुर और मझवां पर भी प्रत्याशी उतारे हैं, जिन पर कांग्रेस अपना दावा कर रही थी। कांग्रेस के इस लचर प्रदर्शन पर ओवैसी साहब भी ताना मारने से नहीं चूके। एआईएमआईएम के मुखिया ने कहा कि कांग्रेस ने अपने आपसी खींचतान के चलते भाजपा को हराने का एक सुनहरा मौका गंवा दिया।
चुनाव में मोदी फैक्टर प्रभावी
हरियाणा में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत का सबसे बड़ा संदेश तो यही है कि चुनाव में मोदी फैक्टर कमजोर नहीं हुआ है, वह आज भी एक बड़ा फैक्टर है। दूसरा, जहां भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, वहां भगवा पार्टी भारी पड़ेगी। इस चुनाव से कांग्रेस के लिए एक बड़ा सबक यह है कि क्षेत्रीय दलों को साथ न लेने और आत्मविश्वास, आपसी खींचतान, गुटबाजी से खुद को दूर नहीं करने पर उसकी हालत हरियाणा जैसी हो जाएगी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited