2024 के लिए ज्यादा खुश न हो विपक्ष, राज्य हारने के बाद लोकसभा में धमाकेदार वापसी करती है BJP

BJP performance in past elections: इसमें कोई दो राय नहीं है कि कर्नाटक के चुनाव नतीजों में कई सियासी संदेश छिपे हैं। चुनाव नतीजों में भाजपा एवं विपक्ष दोनों के लिए सीखने एवं भूल-सुधार करने की पूरी गुंजाइश है लेकिन विपक्ष का यह नजरिया कि 2024 में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा या उसकी हार होगी, यह तथ्यों पर शुतुरमुर्ग जैसा रवैया अख्तियार करना होगा।

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लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है BJP।

BJP performance in elections: कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई है। इसके लिए वह बधाई एवं शुभकामना की पात्र है। लेकिन यह चुनाव नतीजे आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को प्रभावित करेंगे या इसी चुनाव नतीजे जैसे भाजपा का हश्र करेगा, विपक्ष की यह सोच न तो उचित है और न तार्कि है। क्योंकि चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि राज्य हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त वापसी करती है। इसका अपवाद कर्नाटक भी नहीं है।

2018 में हिंदी बेल्ट के राज्यों में हारी भी BJP

कर्नाटक में 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई थी लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने धमाकेदार वापसी की। कुछ इसी तरह से 2018 के मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला। इन तीनों राज्यों के विस चुनाव में भगवा पार्टी को हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इन राज्यों में भारी जीत मिली।

विपक्ष का शुतुरमुर्ग जैसा रवैया

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कर्नाटक के चुनाव नतीजों में कई सियासी संदेश छिपे हैं। चुनाव नतीजों में भाजपा एवं विपक्ष दोनों के लिए सीखने एवं भूल-सुधार करने की पूरी गुंजाइश है लेकिन विपक्ष का यह नजरिया कि 2024 में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा या उसकी हार होगी, यह तथ्यों पर शुतुरमुर्ग जैसा रवैया अख्तियार करना होगा। विपक्ष सच्चाई को नजरंदाज कर रहा है। हकीकत यह है कि मोदी का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के पास उनके जैसा कद्दावर और चुनाव जिताऊ राष्ट्रीय चेहरा नहीं है। मोदी का मुकाबला करने के लिए विपक्ष 2014 और 2019 में भी एकजुट हुआ था लेकिन वह भाजपा के विजय रथ को रोक नहीं पाया।

2013 में कर्नाटक में BJP की बड़ी हार हुई थी

कर्नाटक की ही बात करें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की यहां बड़ी हार हुई थी। विधानसभा की 224 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा को मात्र 40 सीटों पर जीत मिली थी। यह हार इतनी बड़ी थी कि 110 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। इस चुनाव में उसे केवल 20 फीसदी वोट मिले। जबकि कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की। वह 122 सीटों पर विजयी हुई और उसका वोट प्रतिशत करीब 37 प्रतिशत रहा। लेकिन इस हार के तुरंत बाद हुए लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने वापसी की। कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटे हैं। इनमें से भाजपा ने 17 सीटें जीतीं। इस चुनाव में कांग्रेस को 9 सीटों और जेडी-एस को दो सीटें पर जीत मिली। खास बात यह है कि एक साल पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत जो कि 20 था वह लोकसभा में बढ़कर 43 प्रतिशत हो गया।

2019 में 28 में से 25 सीटों पर जीती BJP

इसी तरह कर्नाटक विधानसभा 2018 की अगर बात करें तो इस चुनाव में भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन बहुमत का आंकड़ा 113 वह छू नहीं पाई। कांग्रेस के समर्थन से जेडी-एस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी सीएम बने। लेकिन अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जनता ने एक बार फिर भाजपा को बंपर सीटें दीं। 2019 में तो भाजपा ने एक तरह से यहां क्लीन स्वीप कर दिया। यहां की 28 सीटों में से भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस और जेडी-एस को एक-एक सीट पर सिमटना पड़ा। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई।

मध्य प्रदेश में धमाकेदार वापसी

2018 के मध्य प्रदेश चुनाव की अगर बात करें तो यहां विधानसभा की 230 सीटों के लिए चुनाव हुआ। इस चुनाव में 114 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। जबकि दूसरे स्थान पर 109 सीटों के साथ भाजपा रही। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का वोट शेयर करीब-करीब बराबर था। अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत दर्ज की। लोकसभा की 29 सीटों में से उसे 28 पर जीत मिली। कांग्रेस को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 58 फीसदी हो गया।

छत्तीसगढ़ में जोरदार जीत, 11 में से 9 सीटों पर कब्जा

2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई। उसने विधानसभा की 90 सीटों में से 68 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में उसका वोट शेयर 43 फीसदी था। जबकि भाजपा मात्र 15 सीटों पर सिमट गई। भगवा पार्टी का वोट प्रतिशत में कमी आई और उसे 33 फीसदी वोट मिले। अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वापसी की। राज्य में लोकसभा की 11 सीटों में से उसने नौ सीटों पर भारी जीत दर्ज की। भाजपा का वोट शेयर भी बढ़ा। इस चुनाव में उसे करीब 51 प्रतिशत वोट मिला जबकि कांग्रेस के खाते में दो सीटें गई।

राजस्थान में कांग्रेस का हुआ सुपड़ा साफ

राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां 100 सीटें जीतीं। इस चुनाव में उसका वोट प्रतिशत 39.30 था जबकि भाजपा को 73 सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में भगवा पार्टी का वोट प्रतिशत 38.77 रहा। अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ी और धमाकेदार जीत दर्ज की। लोकसभा की 25 सीटों में से भाजपा को 24 सीटों पर जीत मिली। एक सीट भाजपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खाते में गई। इस चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 59.07 था।

लोकसभा चुनाव में BJP बन जाती है पहली पसंद

जाहिर है कि विधानसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन भले ही स्थानीय कारणों से प्रभावित होता रहा हो लेकिन जब लोकसभा चुनाव की बारी आती है तो वही प्रदेश उसे भारी मतों या कहें कि एकतरफा जीत दिलाता है। इसलिए विपक्ष को इस मुगालत में नहीं रहना चाहिए कि 2024 में भाजपा एवं एनडीए की स्थिति कर्नाटक जैसी होगी। दक्षिण के इस राज्य की परंपरा है कि वह करीब 4 दशकों से किसी पार्टी को लगातार सत्ता में बने रहने का मौका नहीं देता है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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