NDA 2.0 से विपक्ष का मुकाबला करेगी BJP, इन दलों को साथ लाने की हो रही कोशिश
NDA 2.0 : भाजपा की इस कोशिश को NDA 2.0 नाम दिया जा रहा है। बता दें कि साल 1999 में कांग्रेस विरोधी दलों दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन किया था। 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर एनडीए सत्ता में आया।
पटना में शुक्रवार को हो रही विपक्षी दलों की बैठक।
NDA 2.0 : विपक्षी एकता के लिए 23 जून का दिन काफी अहम है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुक्रवार को पटना में विपक्षी पार्टियों के 20 मुखिया जुट रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा को चुनौती देने के लिए एक साझा एजेंडे को मूर्त रूप दिया जा सकता है। सभी की नजरें शुक्रवार को होने वाली विपक्ष की इस बैठक पर टिकी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का सामना करने के लिए विपक्ष कितना तैयार है, उसके ताप और तेवर का पता भी इस बैठक से चलेगा।
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विपक्षी नेताओं के इस जुटान और उनके संभावित मोर्चे का सामना करने के लिए भगवा पार्टी ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों का मानना है कि भाजपा एनडीए को नए सिरे से खड़ा करने में जुट गई है। भाजपा की इस कोशिश को NDA 2.0 नाम दिया जा रहा है। बता दें कि साल 1999 में कांग्रेस विरोधी दलों दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन किया था। 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर एनडीए सत्ता में आया।
2014 और फिर 2019 के बाद शिथिल पड़ा NDA
इन दोनों लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा पार कर गई। अकेले बहुमत मिलने पर उसे एनडीए के सहयोगी दलों की जरूरत कम पड़ने लगी। 2019 में तो वह 300 के आंकड़े को भी पार कर गई। बाद में शिवसेना, शिअद, जद-यू जैसे दलों के एनडीए से निकलने के बाद इसकी चमक फीकी पड़ी। अब विपक्ष की घेरेबंदी को देखते हुए भाजपा अपने संभावित सहयोगियों को साथ लाने में जुटी है।
यूपी में राजभर को जोड़ेगी BJP
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दबदबा रखने वाली सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को भाजपा फिर से अपने साथ लाने का प्रयास कर रही है। सूत्रों की मानें तो हाल के दिनों में सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर की मुलाकात भाजपा के आलाकमान नेताओं से हुई है। राजभर फिर से भाजपा के साथ आने के लिए तैयार हैं। कुछ दिनों पहले राजभर की मुलाकात सीएम योगी आदित्यनाथ से हुई। इस मुलाकात के बाद अटकलें लगनी लगीं कि लोकसभा चुनाव से पहले राजभर एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं।
बिहार में लोजपा के दोनों धड़ों को जोड़ने की कोशिश
जद-यू का साथ छूटने के बाद भाजपा यहां महागठबंधन को कमजोर बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा की कोशिश लोजपा के दोनों धड़ों चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों को साथ लाने की है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार होने जा रहा है। इसमें चिराग पासवान को मंत्री बनाया जा सकता है। साथ ही राष्ट्रीय लोक जनता दल के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा को भी एनडीए का हिस्सा बनाने की कोशिश की जा रही है। मुकेश सहनी भी भाजपा के साथ आ सकते हैं।
दक्षिण भारत में जेडी-एस, तेदेपा पर नजर
कर्नाटक चुनाव में जेडी-एस को अब तक की अपनी सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उसे नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में जेडी-एस भाजपा के साथ जाने की सोच रही है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के हाल के बयान भाजपा के साथ उनकी बढ़ती नजदीकियों को बयां कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के मुखिया चंद्रबाबू नायडू भी दोबारा एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं।
राजस्थान में बेनीवाल को साथ लाने की कोशिश
रिपोर्टों की मानें तो राजस्थान में भाजपा हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को एनडीए के साथ लाने की कोशिश में है। हालांकि, बताया जाता है कि बेनीवाल को एनडीए का हिस्सा बनाने के पक्ष में वसुंधरा राजे नहीं हैं। फिर भी चुनावी समीकरण की जरूरत को देखते हुए बेनीवाल अगर भाजपा के साथ आते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ एनडीए छोड़ने वाली शिअद भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन सकती है। कुल मिलाकर भाजपा एनडीए को एक बार फिर एकजुट कर रही है। उसकी नजर बीजद जैसे उन दलों पर भी है जिनके साथ चुनाव बाद गठबंधन हो सकता है।
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